लखीमपुर खीरी केस के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी है. कोर्ट ने आशीष से 1 सप्ताह में समर्पण करने के लिए कहा है. फैसले में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने ज़मानत का आदेश देते समय पीड़ित पक्ष को नहीं सुना. बिना सभी तथ्यों को ध्यान में रखे आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से ज़मानत याचिका पर दोबारा सुनवाई के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाई कोर्ट तेज़ी से सुनवाई करे और 3 महीने में आदेश देने का प्रयास करे.


क्या है मामला?


पिछले साल 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में आंदोलनकारी किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाए जाने की घटना हुई थी. इस घटना में और उसके बाद उग्र किसानों की तरफ से की गई आरोपियों की पिटाई में कुल 8 लोगों की जान गई थी. मामले का मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी का बेटा आशीष मिश्रा और मोनू है. 10 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आशीष को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था.


सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पीड़ित


घटना में मारे गए एक किसान के परिवार ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. याचिकाकर्ता को तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि हाई कोर्ट ने बिना मामले की गंभीरता देखें जमानत का आदेश दे दिया. उन्होंने कहा, "हाई कोर्ट ने आशीष को जमानत देते समय कहा कि घटनास्थल पर गोली चलने के सबूत नहीं हैं. ज़मानत पर सुनवाई करते हुए एफआईआर में लिखी गई हर बात की समीक्षा ज़रूरी नहीं थी. अपराध की गंभीरता के मद्देनजर ज़मानत नहीं मिलनी चाहिए थी." दवे ने यह भी कहा कि आशीष के जेल से बाहर आने के बाद एक गवाह पर हमला हुआ है.


SIT की रिपोर्ट


सुनवाई से पहले मामले की जांच कर रही SIT ने रिपोर्ट दाखिल की थी. SIT ने बताया कि उसने आशीष की जमानत के बाद यूपी सरकार को 2 बार चिट्ठी लिखी थी. उसने सलाह दी थी कि राज्य सरकार आशीष की जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे. SIT ने यह भी बताया कि आशीष के घटनास्थल पर मौजूद होने और घटना में शामिल होने के सबूत हैं.


रियायत की गुहार


सुनवाई के दौरान आशीष मिश्रा के लिए पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा था कि वह घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं था. उन्होंने गुहार लगाते हुए यह भी कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट आशीष की बेल रद्द करेगा तो उसे कोई भी अदालत ज़मानत नहीं देगी. इस तरह वह मुकदमा खत्म होने तक जेल में ही रहेगा.


हाई कोर्ट जज बदलने का आदेश नहीं


सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस सूर्य कांत और हिमा कोहली की बेंच के आदेश के बाद पीड़ित पक्ष के वकील दुष्यंत दवे ने जजों को संबोधित किया. उन्होंने फैसले के लिए कोर्ट को धन्यवाद दिया. दवे ने कहा कि हाई कोर्ट में अब यह मामला किसी और बेंच में लगना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट इसका भी आदेश दे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा आदेश देने से मना कर दिया. जजों ने कहा कि सुनवाई के लिए बेंच तय करना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के अधिकार क्षेत्र में आता है.


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