High Court On Union Minister Ajay Mishra Teni: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में पिछले साल 3 अक्टूबर को हुई हिंसा के मामले में आज इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अहम टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teni) ने अगर किसानों को खदेड़ने की धमकी देने वाला बयान नहीं दिया होता तो लखीमपुर में हिंसक घटना नहीं होती. 


बता दें कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले का मुख्य आरोपी अजय मिश्रा टेनी का बेटा आशीष मिश्रा ऊर्फ मोनू है. 10 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आशीष को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. इसके बाद किसान संगठनों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. शीर्ष अदालत ने 18 अप्रैल को जमानत रद्द कर दिया. इस समय आशीष मिश्रा जेल में हैं. आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उनकी गाड़ी ने प्रदर्शनकारी किसानों को कुचला.


हाई कोर्ट ने कहा, ''ऊंचे पदों पर बैठे राजनीतिक व्यक्तियों को समाज में इसके नतीजों को देखते हुए एक सभ्य भाषा अपनाते हुए सार्वजनिक बयान देना चाहिए. उन्हें गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए क्योंकि उन्हें अपनी स्थिति और उच्च पद की गरिमा के अनुरूप आचरण करना आवश्यक है.''


अदालत ने यह भी कहा कि जब क्षेत्र में धारा 144 लागू थी तो कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कार्यक्रम में क्यों शामिल हुए? अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि सांसदों को कानून का उल्लंघन करने वाले के रूप में नहीं देखा जा सकता.


अदालत ने कहा कि यह विश्वास नहीं होता कि केंद्रीय मंत्री और राज्य के उप मुख्यमंत्री को क्षेत्र में धारा 144 लागू होने की कोई जानकारी नहीं थी. इस केस से जुड़े चार आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की है.  अदालत ने आरोपी लवकुश, अंकित दास, सुमित जायसवाल और शिशुपाल की जमानत अर्जी को कोर्ट खारिज किया है. अदालत ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी जिक्र किया है.


India Nepal Relation: चीन के अरबों डॉलर लुंबिनी प्रोजेक्ट की काट तलाशेगा पीएम मोदी का नेपाल दौरा ?


Indian Citizenship: नागरिकता नहीं मिलने पर 800 पाकिस्तानी हिंदुओं ने छोड़ा भारत, रिपोर्ट में किया गया दावा