Lakhimpur Kheri Violence: सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी - 'आरोपी अगर आम नागरिक होता तो क्या पुलिस का यही रवैया होता?'
Lakhimpur Kheri Violence केस में आरोपी के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का बेटा होने की तरफ इशारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो लोग शामिल हैं, उसके चलते हम CBI को भी यह जांच सौंपना नहीं चाहते हैं.
Lakhimpur Kheri Violence: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के अब तक गिरफ्तार न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने आज यूपी सरकार को आड़े हाथों लिया. कोर्ट ने पूछा कि अगर आरोपी कोई आम व्यक्ति होता तो क्या उसके प्रति भी पुलिस का यही रवैया होता? चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने पुलिस को तेज कार्रवाई का निर्देश देते हुए यह संकेत भी दिए कि जांच किसी और संस्था को सौंपी जा सकती है.
'हम ज़िम्मेदार सरकार चाहते हैं'
सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले पर संज्ञान लेते हुए गुरुवार को यूपी सरकार से स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा था. आज कोर्ट ने यूपी सरकार की रिपोर्ट पर गहरा असंतोष जताया. मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा, "यह समझ से परे है कि पुलिस आरोपी से अनुरोध क्यों कर रही है कि वह खुद उसके सामने पेश हो."
यूपी सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पुलिस का बचाव करते हुए कहा, "मामले में गोली लगने से मौत की शिकायत दी गई है. लेकिन पोस्टमार्टम में इसकी पुष्टि नहीं हुई. आरोपी को कल सुबह 11 बजे तक पेश होने का समन दिया गया है. अगर वह पेश नहीं होता तो कानून अपना काम करेगा." चीफ जस्टिस रमना ने इस पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, "पोस्टमार्टम तक का इंतजार क्यों किया गया? अगर हत्या की नामजद एफआईआर दी गई है. कुछ प्रत्यक्षदर्शी आरोपी को वहां देखने का दावा कर रहे हैं, तो फिर पुलिस ने अपने हाथ क्यों रोके? हम एक ज़िम्मेदार सरकार चाहते हैं."
'लोगों को गलत संदेश जा रहा है'
कोर्ट के इन तेवरों से साल्वे रक्षात्मक मुद्रा में आ गए. उन्होंने कहा, "मैं समझ रहा हूँ कि जजों के मन में क्या है. मैं मानता हूँ कि ज़रूरी कार्रवाई होनी चाहिए थी." चीफ जस्टिस ने उन्हें रोकते हुए कहा, "बात हमारे मन की नहीं है. सवाल यह है कि हम आम नागरिकों को क्या संदेश दे रहे हैं?" इसके बाद कोर्ट ने यूपी सरकार की तरफ से गठित एसआईटी पर भी कड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा, "आपकी SIT में कौन हैं? सब स्थानीय अधिकारी हैं. यही दिक्कत है. जो अधिकारी काम नहीं कर रहे उन्हें तुरंत हटाइए."
'सीबीआई को नहीं सौंपेंगे जांच'
आरोपी के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का बेटा होने की तरफ इशारा करते हुए कोर्ट ने कहा, "इस मामले में जो लोग शामिल हैं, उसके चलते हम सीबीआई को भी यह जांच सौंपना नहीं चाहते. हमें कोई और तरीका देखना होगा. हम दशहरे की छुट्टी के बाद मामला देखेंगे. तब तक आपको हाथ पर हाथ रख कर नहीं बैठना है."
20 अक्टूबर को अगली सुनवाई
कोर्ट ने अपने लिखित आदेश में यह दर्ज किया है कि वह राज्य सरकार की तरफ से दाखिल स्टेटस रिपोर्ट से असंतुष्ट है. कोर्ट ने कहा कि 20 अक्टूबर को यह मामले लिस्ट में सबसे पहले लिया जाएगा. कोर्ट ने जांच किसी और संस्था को सौंपने का संकेत भी दिया. 3 जजों की बेंच ने यूपी के पुलिस महानिदेशक को यह निर्देश दिया है कि वह मामले के सभी सबूतों की सुरक्षा सुनिश्चित करें.