लखीमपुर खीरी कांड में आशीष मिश्रा को मिलेगी जमानत या अभी जेल में ही रहना होगा? सुप्रीम कोर्ट का फैसला कल
Lakhimpur Kheri Case: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में किसानों की मौत के मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल फैसला सुनाने वाला है.
Lakhimpur Kheri Violence: लखीमपुर हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आने वाले कल यानि बुधवार (25 जनवरी) को फैसला सुनाएगा. आशीष मिश्रा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा है. आशीष मिश्रा 1 साल से ज्यादा समय से जेल में बंद है. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई 25 जनवरी की वाद सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की बेंच आदेश सुनाएगी.
इस बेंच ने 19 जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान आशीष मिश्रा की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि मुकदमा खत्म होने तक किसी को जेल में रखना सही नहीं है. बता दें कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुरी खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचल दिया गया था, जिसमें आशीष मिश्रा को आरोपी बनाया गया है.
क्या है मामला?
दरअसल, 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में 8 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद मामले को लेकर वहां पर हिंसा भड़क गई थी. इस दौरान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का दौरा होना था और किसान इलाके में दौरे का विरोध कर रहे थे. उत्तर प्रदेश पुलिस की एफआईआर के अनुसार, एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया, जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे.
यूपी के लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचलकर मारने के आरोपी आशीष मिश्रा की ज़मानत पर SC का आदेश कल। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा आशीष 1 साल से अधिक जेल में बिता चुका है। SC ने सुनवाई के दौरान कहा था कि मुकदमा खत्म होने तक किसी को जेल में रखना सही नहीं। pic.twitter.com/79xqEWaxXH
— Nipun Sehgal (@Sehgal_Nipun) January 24, 2023
पत्रकार और बीजेपी कार्यकर्ताओं की मौत
इस घटना के बाद, एसयूपी के ड्राइवर और दो बीजेपी कार्यकर्ताओं को कथित रूप से गुस्साए किसानों ने पीट-पीटकर मार डाला था. इसी हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने पिछले साल 26 जुलाई को आशीष मिश्रा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.