Lakhimpur Kheri Violence Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri violence) मामले की जांच की निगरानी का जिम्मा पंजाब (Punjab) और हरियाणा हाई कोर्ट (Haryana High Court) के पूर्व जज जस्टिस राकेश कुमार जैन को सौंपा है. इसके अलावा कोर्ट ने मामले की जांच कर रही एसआईटी में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को भी शामिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि रिटायर्ड जस्टिस जैन यह सुनिश्चित करेंगे कि मामले की जांच निष्पक्षता से हो सके. केस में चार्जशीट दाखिल होने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट दोबारा इस मामले की सुनवाई करेगा. 


8 नवंबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले में किसानों, एक पत्रकार और बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है. SIT हत्या के सभी मामलों को आपस में मिला दे रही है. इससे न्याय मिलने की संभावना कम हो सकती है. कोर्ट ने कहा था, "हमने यह तय किया है कि जांच की निगरानी के लिए किसी सेवानिवृत्त हाई कोर्ट जज को नियुक्त किया जाए. यह जज इलाहाबाद हाई कोर्ट से नहीं होंगे. हमारी नजर में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस रंजीत सिंह और जस्टिस राकेश कुमार हैं. पूर्व जज यह सुनिश्चित करेंगे कि तीनों मामलों की जांच सही तरीके से हो और सभी में समय पर चार्जशीट दाखिल हो जाए." यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे ने 15 नवंबर को कोर्ट के सुजगव पर राज्य सरकार की तरफ से सहमति जताई थी. 


चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने जांच की निगरानी रिटायर्ड जज को सौंपने के साथ ही SIT में भी बदलाव किया है. वरिष्ठ IPC अधिकारियों एस पी शिरोडकर, प्रीतिंदर सिंह और पद्मजा चौहान को भी SIT में शामिल किया गया है. पिछली सुनवाई में ही कोर्ट ने संकेत दिया था कि SIT में सिर्फ लखीमपुर के आस-पास तैनात जूनियर अधिकारियों का होना सही नहीं है. कोर्ट ने मूल रूप से यूपी के न रहने वाले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम पर राज्य सरकार से सुझाव मांगा था.


प्रदर्शन कर रहे किसानों पर चढ़ाई थी गाड़ी 


3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी गई थी. इससे कुछ किसानों की मृत्यु हो गई थी. घटना के दौरान एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप भी मारे गए थे. साथ ही उग्र किसानों की पिटाई में कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं की भी मृत्यु हुई थी. वकील शिवकुमार त्रिपाठी ने चीफ जस्टिस एन वी रमना को घटना की जानकारी देते हुए चिट्ठी भेजी थी. उसी पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनवाई शुरू की है. मामले की पहली सुनवाई 8 अक्टूबर को हुई थी. इस सुनवाई में कोर्ट ने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी न होने पर नाराजगी जताई थी. इसके बाद पुलिस सक्रिय हुई और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष को गिरफ्तार किया.


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