नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से लखीमपुर हिंसा मामले के गवाहों की सुरक्षा के लिए कहा है. कोर्ट ने आज कहा कि जल्द से जल्द गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज करवाया जाए. राज्य सरकार की तरफ से अब तक की गई कार्रवाई पर कोर्ट ने असंतोष जताया. कहा कि सरकार ऐसी छवि न दे कि वह अपने पैर पीछे खींच रही है.


8 अक्टूबर को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी न होने पर यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी. आज इस बात पर सवाल उठाए कि जिन आरोपियों को पकड़ा गया उनकी ज़्यादा हिरासत की मांग पुलिस ने क्यों नहीं की? क्यों 3 दिन की पुलिस हिरासत के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल जाने दिया गया.


यूपी सरकार की तरफ से स्टेटस रिपोर्ट देर से दाखिल होने पर भी चीफ जस्टिस एन वी रमना ने नाराजगी जताई. 3 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस रमना ने कहा कि कल वह देर शाम तक इस रिपोर्ट का इंतजार करते रहे. इस तरह सुनवाई से ठीक पहले रिपोर्ट देना गलत है. यूपी सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुनवाई शुक्रवार तक टालने के सुझाव दिया. लेकिन जजों ने इससे मना कर दिया. उन्होंने रिपोर्ट को पढ़ा और सुनवाई की.


बेंच के सदस्य जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल किया कि अब तक गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज क्यों नहीं हुए हैं. हरीश साल्वे ने दशहरे की छुट्टी के चलते कोर्ट बंद होने का हवाला दिया. जज इस जवाब से संतुष्ट नहीं नज़र आए. बेंच की तीसरी सदस्य जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, "सरकार ऐसी छवि दूर करे कि वह आने कदम पीछे खींच रही है."


यूपी सरकार के वकील साल्वे ने कहा कि कोर्ट उन्हें 1 सप्ताह का समय दे. तब तक इन कमियों को दूर कर लेगा. इस पर जजों ने 26 अक्टूबर को अगली सुनवाई की बात कही. कोर्ट ने कहा कि मामले के गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए. आज हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने 10 आरोपियों की गिरफ्तारी और 44 गवाहों की पहचान की बात कही. कोर्ट ने इसे रिकॉर्ड पर ले लिया. जजों ने यूपी सरकार से कहा कि वह अगली बार सुनवाई से पहले रिपोर्ट दे.
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