Ashish Mishra Lakhimpur Kheri: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचलकर मारने के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 19 जनवरी के लिए टल गई है. शिकायतकर्ता के मुख्य वकील दुष्यंत दवे के अस्वस्थ होने के चलते कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से यह भी पूछा है कि क्या इस घटना के तुरंत बाद 3 लोगों को पीटकर मारने के आरोपी किसान अभी तक हिरासत में हैं?
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आशीष को जमानत का संकेत दिया था. जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि वह 1 साल से अधिक समय में जेल में है. मुकदमा लंबा चलने की उम्मीद है. ऐसे में उसे हमेशा जेल में बंद नहीं रखा जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के जज से पूछा था कि केस की सुनवाई पूरी करने में उन्हें कितना समय लग सकता है?
निचली अदालत के जज ने क्या कहा?
लखीमपुर खीरी के एडिशनल सेंशस जज ने सुप्रीम कोर्ट को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुकदमे की सुनवाई में 5 साल तक का समय लग सकता है. उन्होंने बताया है कि मामले में 208 गवाह हैं, 171 दस्तावेज हैं और 27 फोरेंसिक रिपोर्ट हैं. इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए आशीष के लिए पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने तुरंत जमानत की मांग की. इसका विरोध करते हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि निचली अदालत को हर दिन सुनवाई का निर्देश दिया जाए. इस पर जजों ने कहा कि यह व्यवहारिक नहीं होगा. ऐसा करने से दूसरे मुकदमों पर असर पड़ेगा.
क्या है मामला?
3 अक्टूबर, 2021 को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में आंदोलनकारी किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाए जाने की घटना हुई थी. इस घटना में और उसके बाद उग्र किसानों की तरफ से की गई आरोपियों की पिटाई में कुल 8 लोगों की जान गई थी. मामले का मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी का बेटा आशीष मिश्रा उर्फ मोनू है. 10 फरवरी, 2022 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आशीष को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश को रद्द कर दिया था. उसके बाद से वह जेल में है.