लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल पटेल अपने फैसलों को लेकर चारों ओर से घिरते दिखाई दे रहे हैं. प्रफुल पटेल के फैसलों का स्थानीय लोगों में भारी विरोध देखा जा रहा है. पटेल ने लक्षद्वीप में बीफ पर प्रतिबंध से लेकर प्रिवेंशन ऑफ एंटी सोशल एक्टिविटीज जैसे कई नए कायदे लागू किए हैं. लेकिन विरोधियों का कहना है ये नियम लक्षद्वीप के सामाजिक ताने-बाने के मुताबिक नहीं हैं, साथ ही गैरजरूरी भी हैं. लिहाजा इन नियमों को जमकर विरोध हो रहा है. लक्षद्वीप एक केन्द्र शासित प्रदेश है और प्रफुल पटेल पिछले साल दिसंबर में यहां के प्रशासक नियुक्त किए गए हैं.
बीफ प्रतिबंध का क्यों है विरोध
लक्षद्वीप की 90 फीसदी आबादी मुस्लिम है. इसके बावजूद प्रशासक प्रफुल पटेल ने यहां बीफ को प्रतिबंधित कर दिया है. इस संबंध में प्रफुल पटेल की नई नीति के हिसाब से लक्षद्वीप में कही भी बीफ या बीफ के उत्पादों की बिक्री, संग्रहण या ट्रांसपोर्टेशन नहीं किया जा सकता है. ऐसे में बीफ बैन को लेकर लक्षद्वीप में तनाव बढ़ गया है. लक्षद्वीप में जन्म दर देश में सबसे कम है. ऐसे में यहां दो से ज्यादा संतान होने पर चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिए जाने के नियम का भी विरोध किया जा रहा है. यही नहीं लक्षद्वीप में अपराध दर भी काफी कम है, उसपर यहां गुंडा एक्ट के तहत सख्ती पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.
केरल के मुख्यमंत्री ने भी उठाए सवाल
लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैसल का कहना है कि सबसे ज्यादा विरोध लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी को लेकर हो रहा है. उनका कहना है कि यहां सड़कें नेशनल हाइवे के मानकों के मुताबिक बनाई जा रही है. लक्षद्वीप की भौगोलिक व सामाजिक स्थिति को देखते हुए इसकी कोई जरुरत नहीं है. इसके कारण लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी को लोगों की जमीन पर कब्जा करने की ताकत मिल जाएगी. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी इस मामले को लेकर सवाल उठाए हैं
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