लाल बहादुर शास्त्री के लिए तब पाकिस्तान का लाहौर कब्जाना सिर्फ था 10 मिनट का खेल! पढ़ें, पूरा किस्सा
Lal Bahadur Shastri Birthday: ये वो वक्त था जब भारत और पाकिस्तान की जंग चल रही थी. 1965 की इस जंग में भारत पाकिस्तान के अंदर घुस चुका था और इसकी इजाजत लाल बहादुर शास्त्री ने दी थी.
Lal Bahadur Shastri Birthday: भारत के इतिहास में दो अक्टूबर की तारीख का खास महत्व है. यह तारीख देश की दो महान आत्माओं के जन्मदिन के तौर पर इतिहास के पन्नों में दर्ज है. एक महात्मा गांधी का जन्म दो अक्टूबर 1869 को हुआ था. दूसरे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म भी दो अक्टूबर को ही 1904 में हुआ था. उनकी सादगी और विनम्रता के लोग कायल थे.
उन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था. साल 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल की अहम घटना थी, जिसमें उन्होंने सफलतापूर्वक भारत का नेतृत्व किया था. इसी दौरान का एक किस्सा और भी मशहूर है जब लाल बहादुर शास्त्री ने 10 मिनट में लाहौर को कब्जाने का प्लान बना लिया था.
क्या था वो प्लान?
ये बात है सितंबर 1965 की. जम्मू-कश्मीर में हालात फिर से बिगड़ रहे थे. आधी रात को सेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से मिलने का समय मांगा. आधी रात को ही शास्त्री जी और आर्मी चीफ की मुलाकात हुई. इस दौरान आर्मी चीफ ने लाल बहादुर शास्त्री से कहा कि सर अब हमें कड़ा फैसला लेते हुए पाकिस्तान को जवाब देना ही होगा. इस पर शास्त्री जी उनसे पूछते हैं कि तो फिर आप ऐसा करते क्यों नहीं हैं?
इसके जवाब में आर्मी चीफ कहते हैं कि अब हमें दूसरी ओर जवाबी मोर्चा खोला होगा और पाकिस्तान को दूसरी तरफ से घेरना होगा. लाहौर की तरफ सेना को भेजना होगा. ये एक अंतर्राष्ट्रीय सीमा है और इसे पार करना ही होगा. इसके जवाब में शास्त्री जी कहते हैं कि घुसपैठिए कश्मीर में घुसे थे वो भी एक अंतर्राष्ट्रीय सीमा थी, आप लाहौर की तरफ सेना को आगे बढ़ाएं और सीमा पार कीजिए. मैं जानता हूं इसका क्या मतलब है और तभी मैं आपको ऐसा करने के लिए कह रहा हूं.
इस पूरे मामले पर लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने कहा था कि सेना प्रमुख आए हुए थे एयरमार्शल अर्जुन सिंह और जनरल चौधरी ने बताया कि ये गंभीर मसला है. तब शास्त्री जी ने उनसे कहा था कि आप लोग और मोर्चे खोलिए और उसमें लाहौर को भी शामिल कीजिए.
जब बदल गई लड़ाई की रणनीति और बदल गया इतिहास का रुख
पंजाब और राजस्थान से पाकिस्तान में घुसने के फैसले के बाद इस लड़ाई का रुख ही बदल गया. 7 से 20 सितंबर तक सियालकोट में जमकर युद्ध हुआ और भारतीय फौज ने पाकिस्तान के 28 टैंकों पर कब्जा कर लिया था. सेना पाकिस्तान के पंजाब में घुस गई और लाहौर के करीब पहुंच गई. ज्यादातर हिस्से पर कब्जा कर लिया था. आखिरकार संयुक्त राष्ट्र के दखल के बाद 20 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में युद्ध विराम का प्रस्ताव पारित किया गया.
अंतर्राष्ट्रीय दवाब के आगे झुकते हुए पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने पाकिस्तान रेडियो पर सीजफायर की जानकारी दी और कहा कि फायरिंग बंद कर दी जाए. इधर, लाल बहादुर शास्त्री ने भी युद्ध खत्म करने का ऐलान किया. दोनों देशों के बीच सीजफायर हो गया लेकिन शास्त्री के नेतृत्व में पाकिस्तानी 710 स्वायर किलोमीटर जमीन अभी भी भारत के कब्जे में थी. ये आधी दिल्ली के बराबर जमीन थी और लाहौर पर कब्जा करना मिनटों का खेल था.
लाहौर पर कब्जा न करने को लेकर आज भी होती है बहस
लाहौर पर कब्जा नहीं करना भी एक बड़ा फैसला था. इसको लेकर आज भी बहस होती है. उस समय शास्त्री जी ने रामलीला मैदान से कहा था, “अयूब ने ऐलान किया था कि वो दिल्ली तक चहलकदमी करके पहुंच जाएंगे. वो बहुत बड़े आदमी हैं. मैंने सोचा कि उन्हें दिल्ली पहुंचने की तकलीफ क्यों दी जाए हम ही लाहौर की तरफ बढ़कर उनका इस्तकबाल कर लेते हैं.”
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