लखनऊ: मध्य प्रदेश के राजयपाल और बीजेपी के कद्दावर नेता रहे लाल जी टंडन का आज सुबह 85 साल की उम्र में निधन हो गया. लाल जी टंडन के निधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनके जाने का गहरा दुख है. लाल जी टंडन को बेहद सामान्य जीवन शैली वाला नेता माना जाता था.
अटल बिहारी वाजपेयी के बेहद खास थे लाल जी टंडन
वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बेहद खास थे. अटल बिहारी वाजपेयी के लखनऊ से जाने के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को सांसद के तौर पर लाल जी टंडन ने ही आगे बढ़ाया. अटल बिहारी वाजपेयी और लाल जी टंडन करीब 50 साल तक एक दूसरे साथी रहे. आज लाल जी टंडन को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बात का उल्लेख किया. प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि प्रिय अटल जी के साथ उनका लंबा और करीबी संबंध रहा. दु: ख की इस घड़ी में, श्री टंडन के परिवार और शुभचिंतकों को मेरी संवेदना. शांति.''
लखनऊ में सभासद के तौर पर की थी राजनीतिक सफर की शुरुआत
लाल जी टंडन ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत लखनऊ में सभासद के तौर पर की थी. इसके बाद उन्होंने देश की सबसे पंचायत संसद भवन से राजभवन का लंबा सफर तय किया. लाल जी टंडन संवैधानिक मामलों के बेहद अच्छे जानकार थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शोक संदेश में इसका भी जिक्र किया.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी और बीएसपी सरकार के सूत्रधार रहे टंडन को बीएसपी सुप्रीमो मायावती अपना भाई मानती थीं. मायवती हर साल रक्षाबंधन पर उन्हें राखी भी बांधती थीं. मायावती की लाल डजी टंडन को राखी बांधने की तस्वीरें अखबारों में खूब सुर्खियां बटोरती थीं. लाल जी टंडन बीजेपी-बीएसपी सरकार में मंत्री भी रहे.
12 अप्रैल 1935 को जन्मे लाल जी टंडन का आरएसएस से भी बहुत लंबा रिश्ता है. लाल जीटंडन के बेटे आशुतोष टंडन उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में नगर विकास, शहरी समग्र विकास, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन मंत्री हैं. लाल जी टंडन का विवाद 1985 में कृष्णा टंडन के साथ हुआ था.
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— Ashutosh Tandon (@GopalJi_Tandon) July 21, 2020
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