नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो चुकी है. यूं तो दिल्ली में सीधा मुकाबला आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच है लेकिन कई क्षेत्रीय दल भी इस समर में किस्मत आजमाने की जुगत में हैं. झारखंड में सरकार बनाने के बाद अब लालू यादव की पार्टी आरजेडी दिल्ली में भी पांव पसारने की कोशिशों में जुट चुकी है. आरजेडी दिल्ली में करीब आधा दर्जन सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.


आरजेडी सांसद और दिल्ली प्रभारी मनोज झा के मुताबिक दिल्ली में आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन को लेकर बातचीत अपने आखिरी दौर में है और अगले 2 दिनों के भीतर इसका औपचारिक एलान भी हो जाएगा. मनोज झा का दावा है कि दिल्ली में साथ चुनाव लड़ने को लेकर आरजेडी-कांग्रेस के बीच दो दौर की बातचीत के बाद आपसी सहमति बन चुकी है लेकिन सीटों के बंटवारे पर अभी पेंच फंसा हुआ है. सूत्रों के मुताबिक जहां एक तरफ आरजेडी 7 सीटों (10 फीसदी) की मांग कर रही है वहीं कांग्रेस आरजेडी को महज 3-5 सीटें ही देना चाहती है.


कयास तो ये भी हैं कि अगर सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई तो आरजेडी अकेले भी चुनाव लड़ सकती है. दिल्ली चुनाव को लेकर आरजेडी की तैयारी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पार्टी ने कांग्रेस को दिल्ली में अपने संभावित उम्मीदवारों की एक लिस्ट भी दे दी है जिस पर आखिरी फैसला कांग्रेस आलाकमान को करना है. हालांकि आरजेडी के अकेले चुनाव लड़ने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है क्योंकि दिल्ली से पहले आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन बिहार और झारखंड में साथ चुनाव लड़ते आया है.


दिल्ली चुनाव में बिहार की पार्टी जेडीयू, एलजेपी पहले से ही चुनावी मैदान में कूदे हुए हैं और अब आरजेडी के आ जाने से निश्चित तौर पर पूर्वांचली और बिहारी वोटरों का बिखरना तय माना जा रहा है. ऐसी परिस्थिति में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इससे आम आदमी पार्टी को नुकसान होगा क्योंकि बीते विधानसभा चुनाव में पूर्वांचली और बिहारी वोटरों के बड़े तबके ने ही आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक जीत में अहम भूमिका निभाई थी.


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