नई दिल्ली: प्रतिष्ठित पत्रिका ‘लांसेट’ में स्पेन का एक अनुसंधान प्रकाशित हुआ है जिसमें कोविड-19 महामारी से मुकाबले के लिए ‘हर्ड इम्यूनिटी’ की संभावना को लेकर संदेह प्रकट किया गया है. ‘हर्ड इम्यूनिटी’ का आशय ऐसी स्थिति से है जब बहुत लोग वायरस से प्रभावित हो जाते हैं और संक्रमण का फैलना रूक जाता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि ‘हर्ड इम्यूनिटी’ के लिए कम से कम 70 प्रतिशत आबादी में रोग प्रतिरक्षा तंत्र तैयार होना चाहिए ताकि संक्रमण-रहित लोग संक्रमित ना हों. अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक 60,000 से ज्यादा लोगों पर अध्ययन कर अनुमान लगाया गया कि स्पेन की आबादी के महज पांच प्रतिशत लोगों में ही एंटीबॉडी तैयार हुई. इस अनुसंधान में राष्ट्रीय महामारी विज्ञान केंद्र, स्पेन के विशेषज्ञ भी शामिल थे.
आबादी के आधार पर अध्ययन का मकसद स्पेन में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर कोरोना वायरस संक्रमण में ‘सीरो’ की मौजूदगी का आकलन करना था. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इस अध्ययन के लिए 35,883 घरों को चुना गया. इसके तहत 27 अप्रैल से 11 मई के दौरान भागीदारों को कोविड-19 के लक्षणों के बारे में जवाब लिए गए.
अनुसंधानकर्ताओं ने दो तरह की जांच का विश्लेक्षण किया तो पाया कि ‘प्वाइंट ऑफ केयर’ टेस्ट में सीरो की मौजूदगी पांच प्रतिशत और इम्युनो जांच में इसकी मौजूदगी 4.6 प्रतिशत थी. भौगोलिक आधार पर कुछ अंतर भी देखने को मिले. मैड्रिड में इसका स्तर ज्यादा (10 प्रतिशत से अधिक) रहा और तटीय क्षेत्र में यह स्तर (तीन प्रतिशत से नीचे) कम रहा.
अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक नतीजों से पता चलता है कि स्पेन की ज्यादातर आबादी में कोरोना वायरस संक्रमण के लिए सीरो का परिणाम नकारात्मक रहा . पत्रिका में कहा गया, ‘‘पीसीआर जांच से पुष्ट अधिकतर मामलों में एंटीबॉडी का पता चला लेकिन कोविड-19 के लक्षण वाले बहुत सारे लोगों की पीसीआर जांच नहीं हुई. सीरोलॉजी जांच के आधार पर पुष्ट संक्रमण के कम से कम एक तिहाई मामले में मरीज में किसी तरह के लक्षण नहीं थे.’’
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा, ‘‘ये नतीजे जाहिर करते हैं कि महामारी की नयी लहर से बचने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त रखने की जरूरत है.’’