Land for Job Scam: लैंड फॉर जॉब स्कैम में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. गृह मंत्रालय ने सीबीआई को लालू यादव के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दे दी है. सीबीआई ने यह जानकारी राऊज एवेन्यू कोर्ट में दी है.


15 अक्टूबर को होगी सुनवाई


सीबीआई ने कहा कि इस मामले में अन्य आरोपियों के खिलाफ जल्द ही सेंशन मिल जाएगा. अभी ये प्रक्रिया जारी है. लैंड फॉर जॉब घोटाले से जुड़े सीबीआई के मामले में राऊज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट पर संज्ञान लेने के मामले पर सुनवाई टल गई है. 15 अक्टूबर को कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान लेने पर सुनवाई करेगा.


सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि बाकी आरोपियों के खिलाफ सेंक्शन मिलने में 15 दिन लगेंगे. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए गृहमंत्रालय ने मंजूरी दे दी है. सीबीआई ने कहा कि अन्य आरोपियों के खिलाफ सेंक्शन हासिल करने की प्रक्रिया चल रही है.  बाकी आरोपी अधिकारियों के खिलाफ अभी मंजूरी लंबित है. पिछली सुनवाई में सीबीआई ने कोर्ट को बताया था कि लालू प्रसाद यादव समेत 32 लोकसेवकों के खिलाफ मुकदम चलाने की अनुमति अभी नहीं मिली है.


पहली बार तेजप्रताप को किया गया तलब 


इससे पहले दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 18 सितंबर को ‘नौकरी के बदले जमीन’ से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव, पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव और अन्य आरोपियों को समन जारी किया था. उन्हें 7 अक्टूबर को कोर्ट में पेश होने को कहा गया है.


कोर्ट ने अखिलेश्वर सिंह और उनकी पत्नी किरण देवी को भी समन भेजा है. वो एके इंफोसिस लिमिटेड के निदेशक भी थे. वहीं, इस मामले में पहली बार तेजप्रताप यादव को समन भेजा गया है. कोर्ट ने लालू यादव, तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव, अखिलेश्वर सिंह, हजारी प्रसाद राय, संजय राय, धर्मेंद्र सिंह, किरण देवी को 7 अक्टूबर को तलब किया है. 


जानें क्या है पूरा मामला


दरअसल, लालू यादव पर रेलवे में नौकरी के बदले लोगों से जमीन लेने या उनके परिवार को बेचने के लिए दबाव डालने का आरोप है. यह मामला उस समय का है, जब लालू यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे. अपनी चार्जशीट में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि रेलमंत्री रहते हुए लालू यादव ने नियमों को ताक पर रखते हुए भर्तियां की थीं. नौकरी पाने के लिए लोगो ने अपनी जमीन को बाजार भाव से 5 गुना कम दाम पर लालू परिवार को बेच दिया था. इसमें कुछ जमीन लालू यादव के परिवार के नाम हुई थी, जबकि कुछ उनके करीबी रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के नाम हुई थी.