मुंबई: शिवसेना ने किसानों के मुंबई मार्च को सत्तारूढ़ बीजेपी के मुंह पर तमाचा बताते हुए आज कहा कि किसानों ने महाराष्ट्र सरकार को उनसे किये अपने वादे पूरे करने का अंतिम मौका दिया है. विपक्ष और गठबंधन सहयोगी शिवसेना की कटु आलोचना झेल रही राज्य सरकार ने आंदोलनरत किसानों की मांगें कल स्वीकार कर लीं. इसमें जंगल भूमि पर कृषि करने का अधिकार भी शामिल है.
शिवसेना ने अपने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा है, ‘‘किसानों की ओर से मिले इस झटके ने सरकार को सीधे रास्ते पर ला दिया है. उसके पास आंदोलनकारियों की मांग मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.’’ देवेन्द्र फडणवीस सरकार पर तंज कसते हुए शिवसेना ने कहा कि किसानों के मुद्दों पर कुंडली मार कर बैठे सरकार के लोग अचानक संवेदनशील हो गये हैं. जो अभी तक किसानों का गुस्सा महसूस नहीं सकते थे, वे उनकी मांगों पर सकारात्मक रूख अपनाने लगे हैं.
संपादकीय में लिखा गया है, ‘‘किसानों के आंदोलन का प्रभाव इतना मजबूत था कि सरकार को उन्हें लिखित में देना पड़ा कि उनकी सभी मांगें मानी जाती हैं. सरकार अपने चेहरे पर किसानों का यह तमाचा हमेशा याद रखेगी, और भविष्य में कोई भी श्रमिकों के जीवन से खेलने की हिम्मत नहीं करेगा.’’
बीजेपी नीत फडणवीस सरकार पर निशाना साधते हुए शिवसेना का कहना है कि जो लोग छत्रपति शिवाजी का नाम लेकर सत्ता में आये थे, उन्होंने पिछले साढ़े तीन साल में सिर्फ घोषणाएं की हैं. लोगों को न्याय के लिए सैकड़ों किलोमीटर चलने पर मजबूर किया है.
महाराष्ट्र और केन्द्र सरकार में बीजेपी की गठबंधन सहयोगी शिवसेना ने कहा, ‘‘किसानों की ओर से सरकार को मिला यह अंतिम अवसर था. उसे किसानों के दिये गऐ लिखित आश्वासनों को पूरा करन ही होगा.’’