नई दिल्ली: तेलंगाना के वीर सपूत कर्नल बिकुमल्ला संतोष बाबू को राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने के लिए भारतीय सेना ने श्रद्धांजलि अर्पित की. एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि शहीद अधिकारी के पार्थिव शरीर को हाकिमपेट वायु सेना स्टेशन पर बुधवार को लाया गया जहां वरिष्ठ सरकारी और सैन्य अधिकारियों ने संपूर्ण सैन्य सम्मान के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की.
सेना की दक्षिण कमान के प्रमुख और सभी रैंक की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल टीसीए नारायणन ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित किया. तेलंगाना की राज्यपाल डॉ टी सुंदरराजन, राज्य के मंत्रीगण, हैदराबाद के पुलिस आयुक्त और अन्य सैन्य अधिकारियों ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए.
16बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया. उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हूजूम उमड़ पड़ा. हर तरफ से बस संतोष आमर रहे के नारे लगाए जा रहे थे.
संतोष बाबू बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे
तेलंगाना निवासी संतोष बाबू बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे. संतोष बाबू का संबंध तेलंगाना के सूर्यापेट से था. परिवार में माता-पिता के अलावा दो बच्चे और पत्नी हैं. उनकी पत्नी अपने एक बेटे और एक बेटी के साथ दिल्ली में रहती हैं. संतोष बाबू के पिता रिटायर्ड बैंक अधिकारी हैं. शहादत से पहले संतोष बाबू की पोस्टिंग हैदराबाद जल्द होनेवाली थी. एक अधिकारी का कहना है कि संतोष बाबू अपने अधीनस्थों का बहुत ख्याल रखते थे.
संतोष बाबू की पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में थी
संतोष बाबू भारतीय सेना में 2004 में शामिल हुए. उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में थी. रविवार को उन्होंने अपनी मां से फोन पर बात की थी. दोनों के बीच बातचीत का ज्यादातर हिस्सा लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के इर्द गिर्द रहा. अंतिम संस्कार के लिए शहीद संतोष बाबू का शव बुधवार को सड़क मार्ग से पैतृक आवास लाया जाएगा. उनका अंतिम संस्कार गुरुवार को किया जाएगा. उनकी पत्नी और बच्चे दिल्ली से हैदराबाद पहुंच चुके हैं. संतोष बाबू की शहादत पर उनके माता-पिता को गर्व है.
पिता की प्रेरणा से भारतीय सेना में हुए थे शामिल
उनके पिता ने एक अखबार से बात करते हुए बताया था कि उनकी प्रेरणा से संतोष ने सेना में शामिल होने का फैसला किया. उन्होंने आंध्र प्रदेश के सैनिक स्कूल से तालीम हासिल कर NDA और फिर IMA का रुख किया. 15 वर्ष के सेवाकाल में संतोष बाबू को चार प्रमोशन मिले. कुपवाड़ा में आतकंवादियों से बहादुरी के साथ मुकाबला करने पर सेना प्रमुख की तरफ से उनको सराहना भी मिली थी. संतोष बाबू के पिता को देश की खातिर जान न्योछावर करनेवाले बेटे की वीरगति पर गर्व है.