Lata Mangeshkar Demise: इंदौर के सिख मोहल्ले की जिस गली में 28 सितंबर 1929 को स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का जन्म हुआ था, उसे उनके प्रशंसकों की बरसों पुरानी मांग के बावजूद उनका नाम नहीं मिल सका. 92 साल की उम्र में मंगेशकर का रविवार को निधन हो गया, जिसके बाद शहर के संगीत प्रेमियों ने इस गली के नए नामकरण की मांग पूरी न होने के चलते अपने गम और गुस्से का इजहार किया.


‘‘सुरों की मलिका’’ को श्रद्धांजलि देने के लिए इस गली में उनके प्रशंसकों का तांता लग गया. स्थानीय लोगों ने बताया कि सिख मोहल्ले में मंगेशकर जन्मस्थली वाली गली जिला कोर्ट परिसर से सटी होने के कारण ‘‘कोर्ट वाली गली’’ और चाट-पकौड़ी की कतारबद्ध दुकानों के चलते ‘‘चाट वाली गली’’ के रूप में मशहूर है. लोगों ने बताया कि इस गली की दुकानों के साइन बोर्ड पर पते के रूप में ‘‘कोर्ट वाली गली’’ और ‘‘चाट वाली गली’’ ही लिखा नजर आता है.


इंदौर की जिस गली में जन्मी थीं 'स्वर कोकिला'


संगीत और संस्कृति के स्थानीय जानकार संजय पटेल ने मीडिया को बताया कि हम स्थानीय प्रशासन से पिछले कई बरसों से मांग कर रहे हैं कि सिख मोहल्ले की इस गली का नाम मंगेशकर के नाम पर कर दिया जाए, लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे अथक प्रयासों के बावजूद अब तक ऐसा नहीं हो सका है. उन्होंने बताया कि सरकारी दस्तावेजों में इस गली का नाम मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व जज शंकर माधव संवत्सर के नाम पर पहले से दर्ज है. पटेल ने भावुक लहजे में कहा कि  लता मंगेशकर के निधन (Lata Mangeshkar Death) के बाद अब उनके नाम पर स्थानों और संस्थानों का नाम रखने की देश भर में होड़ लग जाएगी, लेकिन हमें यह पीड़ा हमेशा भीतर ही भीतर सालती रहेगी कि उनकी जन्मस्थली वाली गली का नाम उनके जीते जी उनके नाम पर नहीं रखा जा सका.


इंदौर प्रशासन लता मंगेशकर की यादों को बनाएगा चिरस्थाई!


इस बीच इंदौर (Indore) के लोकसभा सांसद शंकर लालवानी ने मंगेशकर के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह शहर में उनकी याद को चिरस्थायी बनाने के लिए स्थानीय प्रशासन से चर्चा कर जल्द ही कोई घोषणा करेंगे. लालवानी ने कहा कि यह सच है कि इंदौर की जिस गली में मंगेशकर का जन्म हुआ था, उस गली का नामकरण उनके नाम पर नहीं हो सका है, लेकिन इस गली के नुक्कड़ पर हमने पिछले साल 28 सितंबर को उनके जन्मदिन पर उनकी तस्वीर के रूप में प्रतीक चिह्न लगाकर उन्हें सम्मान दिया था. चश्मदीदों के मुताबिक राज्य के संस्कृति निदेशालय और इंदौर नगर निगम (Indore Nagar Nigam) की लगाई यह तस्वीर मंगेशकर जन्मस्थली से चंद कदमों की दूरी पर है और इस पर लिखा है- ''हमें गर्व है कि सृष्टि के दिव्य स्वर लता मंगेशकर की जन्मस्थली है हमारी नगरी इंदौर''.


'सुरो की मलिका' को श्रद्धांजलि


''सुरों की मलिका" के रूप में मशहूर लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) 28 सितंबर 1929 को इंदौर के एक गुरुद्वारे से सटे सिख मोहल्ले में जन्मी थीं. उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर नाटक मंडली चलाते थे और यह मंडली शहर-दर-शहर घूमते हुए इंदौर पहुंची थी. लता के जन्म के कुछ समय बाद उनके परिवार ने इंदौर छोड़ दिया था. हालांकि, वक्त की करवटों के साथ सिख मोहल्ले में अब उस घर का वजूद मिट चुका है, जहां लता मंगेशकर का जन्म हुआ था. वर्तमान में इस जगह पर कपड़ों की एक दुकान है जिसके भीतर मंगेशकर के सम्मान में उनकी छवि की भित्तिचित्र कलाकृति लगी है. मंगेशकर के निधन के बाद इस दुकान के सामने उनके गमगीन प्रशंसकों की भीड़ उमड़ पड़ी और वे ‘‘सुरों की मलिका’’ को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि देते नजर आए.


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