Chirag Paswan On Lateral Entry Row: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्र सरकार में मत्री चिराग पासवान ने सोमवार (19 अगस्त) को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में लेटरल एंट्री को पूरी तरह गलत बताया और कहा कि वह इस मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाने की योजना बना रहे हैं.
संघ लोक सेवा आयोग ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी कर केंद्र सरकार के 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पदों पर “लेटरल भर्ती के लिए प्रतिभाशाली और प्रेरित भारतीय नागरिकों” के लिए आवेदन मांगे थे. नौकरशाही में 45 पदों पर लेटरल एंट्री की आलोचना करने वाले पासवान पहले एनडीए सहयोगी हैं.
क्या कहा चिराग पासवान ने?
इस मुद्दे पर अपनी पार्टी के रुख को साफ करते हुए उन्होंने कहा कि एलजेपी (आरवी) ऐसी नियुक्तियों के बिल्कुल पक्ष में नहीं है. उन्होंने कहा, “जहां भी सरकारी नियुक्तियां होती हैं, वहां आरक्षण के प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए.” उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से यह मामला प्रकाश में आया है, वह उनके लिए चिंता का विषय है, क्योंकि उनकी पार्टी सरकार का हिस्सा है और इन मुद्दों को सामने लाने के लिए उनके पास मंच है.
हाजीपुर से सांसद चिराग पासवान ने कहा, "ऐसी नियुक्तियों पर मेरी पार्टी का रुख बिल्कुल स्पष्ट है. जहां भी सरकारी नियुक्तियां होती हैं, वहां आरक्षण के प्रावधानों का पालन होना चाहिए. अपनी पार्टी की ओर से बोलते हुए, हम इसके बिल्कुल पक्ष में नहीं हैं. यह पूरी तरह से गलत है और मैं इस मामले को सरकार के समक्ष उठाऊंगा."
लेटरल एंट्री को लेकर विपक्ष भी हमलावर
इससे पहले आज कांग्रेस ने लेटरल एंट्री मुद्दे पर अपना हमला जारी रखा, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इसे दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला बताया. उन्होंने कहा, ‘बीजेपी का रामराज्य का विकृत संस्करण संविधान को नष्ट करने और बहुजनों से आरक्षण छीनने का प्रयास करता है.’
वहीं, सरकारी सूत्रों ने एएनआई को बताया कि लेटरल एंट्री की अवधारणा पहली बार कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान पेश की गई थी और 2005 में इसकी ओर से स्थापित दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने इसका जोरदार समर्थन किया था. उन्होंने कहा कि सरकार ऐतिहासिक रूप से बाहरी प्रतिभाओं को अपने उच्च स्तरों पर नियुक्त करती रही है, आमतौर पर सलाहकार भूमिकाओं में, लेकिन कभी-कभी प्रमुख प्रशासनिक पदों पर भी.