भीमा कोरेगांव केस: गिरफ्तार 5 सामाजिक कार्यकर्ताओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कल
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ये सभी लोग हाउस अरेस्ट पर हैं, यानी अपने घर मे नज़रबंद हैं. पुलिस ने सबको अपनी हिरासत में सौंपे जाने की मांग की है.
नई दिल्ली: भीमा कोरेगांव केस में गिरफ्तार पांच लोगों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट कल फैसला देगा. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में इन लोगों की रिहाई की मांग की गई है. गिरफ्तारी की SIT जांच की मांग भी याचिका में की गई है. पुणे पुलिस ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि गिरफ्तार लोग देश में हिंसा भड़काने की साज़िश में जुटे थे.
फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ये सभी लोग हाउस अरेस्ट पर हैं, यानी अपने घर मे नज़रबंद हैं. पुलिस ने सबको अपनी हिरासत में सौंपे जाने की मांग की है.
इस साल एक जनवरी को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में जातीय हिंसा भड़की थी. इसकी जांच कर रही पुणे पुलिस ने 28 अगस्त को देश के अलग-अलग हिस्सों से पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं- गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, वरनॉन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को गिरफ्तार किया. पुलिस ने इन पर देश को हिंसा में झोंकने की साज़िश में शामिल होने का आरोप लगाया.
इसके खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर समेत पांच लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. याचिका में आरोप लगाया गया कि गिरफ्तारी का मकसद राजनीतिक है. पुलिस सत्ताधारी पार्टी विरोधी विचारधारा रखने वाले बुद्धिजीवियों को निशाना बना रही है. इस याचिका को सुनते हुए 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में पुलिस को गिरफ्तार लोगों को रिमांड पर लेने से रोक दिया. कोर्ट ने कहा कि फिलहाल इन लोगों को उनके घर पर ही नजरबंद रखा जाए.
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