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महाराष्ट्र का लावणी नृत्य, क्यों हुआ इस पर विवाद, एनसीपी नेता अजीत पवार का क्या है फरमान

लावणी एक लोक नृत्य है. इस नृत्य की पहचान 9 गज लंबी साड़ी और घुंघरू है. लेकिन आज 9 गज लंबी साड़ी की पहचान लिए लावणी पर अश्लीलता के आरोप लग रहे हैं. इस नृत्य को बंद करवाने की मांग भी जोर पकड़ ली है.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार ने अपनी पार्टी के सदस्यों को निर्देश दिया है कि वे महाराष्ट्र में लोकप्रिय लोक गीत और नृत्य की प्रस्तुति लावणी के नाम पर भद्दे सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित न करें. हालांकि उन्होंने किसी खास कलाकार का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका गुस्सा धुले की 26 साल की लावणी कलाकार गौतमी पाटिल पर था, जो सोशल मीडिया पर काफी मशहूर हैं. 

पिछले हफ्ते  एनसीपी के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ की बैठक के दौरान जानी-मानी लावणी नृत्यांगना मेघा घाडगे ने लावणी डांस को लेकर शिकायत की थी. उनकी इस शिकायत को गंभीरता से लिया गया है. घाडगे ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अजित पवार किसी एक डांसर को टारगेट नहीं कर रहे हैं, लेकिन लड़कियों को घाघरा चोली पहना कर और डीजे बजाकर जनता के सामने नचाना "लावणी संस्कृति " पर सवालिया निशान पैदा करता है. 

घाडगे ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने पवार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि एनसीपी कार्यकर्ता केवल भीड़ को अपनी तरफ खींचने के लिए इस तरह के अश्लील नृत्यों को ना कराए. 

कौन हैं गौतमी पाटिल 

गौतमी पाटिल सोशल मीडिया स्टार हैं. इंटरनेट पर लावणी डांस करके सोशल मीडिया सेंसेशन बने पाटिल को 1 साल का समय ही हुआ है. 1 साल पहले पाटिल ने लावणी पर एक छोटा सा क्लिप बना कर डाला था, जिसमें वो अश्लील इशारे कर रही थीं. लावणी का ये वीडियो उनके लाइव पर्फॉरमेंस के दौरान का था.

इस वीडियो ने पाटिल को रातोंरात इंटरनेट सनसनी बना दिया. इसके बाद से पाटिल के डांस शो में खूब भीड़ जमा होने लगी. कई बार तो शो के दौरान मंच पर ही जम कर हंगामा भी हुआ. सांगली जिले में एक शख्स की मौत भी हो गई थी.


महाराष्ट्र का लावणी नृत्य, क्यों हुआ इस पर विवाद, एनसीपी नेता अजीत पवार का क्या है फरमान

(Source- Social Media)

उत्तर महाराष्ट्र के धुले जिले की रहने वाली पाटिल का पालन-पोषण उनकी मां ने किया और आठवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद पाटिल पुणे शिफ्ट हो गईं. पाटिल का कहना है कि, "मुझे हमेशा नृत्य करना पसंद था, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि नृत्य ही मेरा करियर बनाएगा. मेरे शराबी पिता कभी हमारे साथ नहीं रहे. मैंने अकलुज शहर में लावणी कार्यक्रम में बैक डांसर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और अब मैं नौ साल से लावणी पर लाइव डांस कर रही हूं. 

अपने डांस को लेकर पाटिल माफी भी मांग चुकी हैं

पाटिल लाइव डांस के दौरान अपने परफॉर्मेंस को लेकर एक बार माफी भी मांग चुकी हैं. जिसमें उनका कहना था कि डीजे बज रहा था, इसलिए मैं बहक गई आगे से मैं इसका ख्याल रखूंगी. 

लावणी का मतलब अश्लील इशारे नहीं

एक तरफ अपने डांस से पाटिल मशहूर हुई तो वहीं इस क्षेत्र के कई दिग्गजों ने पाटिल की कठोर आलोचना भी की. इंडियन एक्सप्रेस में लावणी नृत्यांगना सुरेखा पुनेकर ने पाटिल की आलोचना करते हुए कहा कि पाटिल के 'अश्लील कार्यक्रमों' पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जानी चाहिए.

एक टेलीविजन चैनल से बात करते हुए पुणेकर ने कहा था कि " लावणी डांस में केवल उन लोगों को आगे लाने की जरूरत है जिन्होंने इस डांस में बेहतरीन ट्रेनिंग की है, और वो डांस के दौरान ढंग के कपड़े पहनते हों. जो लोग लावणी के नाम पर अश्लील इशारे करते हैं वो लावणी कलाकर हो ही नहीं सकते.

लावणी की पहचान क्या है?

लावणी शब्द  'लावण्या' या सुंदरता से आया है. ये एक मराठी शब्द है. लावणी एक पारंपरिक लोक कला है . इस लोक नृत्य में औरतें चमकीले रंगों में नौ गज लंबी साड़ी, मेकअप और घुंघरू पहनकर ढोलक की थाप पर डांस करती हैं. 

सदियों से लावणी की पहचान पूरी तरह से स्वदेशी कला के रूप में रहा है. 18वीं शताब्दी के पेशवा युग में इसे खास लोकप्रियता मिली. तब के जमाने में इस डांस को राजाओं के लिए पेश किया जाता था.

युद्धों में ब्रेक के दौरान थके हुए सैनिकों की थकान उतारने और उनके मनोरंजन के लिए भी उस जमाने में लावणी डांस करती थी. तब लावणी डांस बहुत ही सहज तरीके से पेश किया जाता था. धीरे-धीरे लावणी नृतकाओं ने इसे सहजता और सरलता से पेश करने के बजाए अश्लीलता को जगह देना शुरू कर दिया, और धीरे-धीरे कला के रूप में इसकी पहचान खत्म होती चली गई.    

लावणी को कुछ महान और प्रसिद्ध कवियों ने अपनी कविताओं में इस्तेमाल करना शुरू किया इस तरह लावणी को लोकगीतों के मंच से निकलकर एक अलग पहचान मिलनी शुरू हुई. 80 और 90 के दशक में, राजनीति और धार्मिक व्यंग्य में लावणी गीतों के बोल इस्तेमाल होने की वजह से लावणी की पहचान और बढ़ी. इसी दौर में लावणी का इस्तेमाल भीड़ का मनोरंजन करने के लिए भी शुरू हुआ. 

कामुक शैली भी है लावणी का हिस्सा

लावणी की कई शैलियां हैं, जिनमें से सबसे मशहूर है श्रृंगारिक यानी कामुक शैली. कामुक शैली में गाए जाने वाले गीतों के बोल अक्सर सामने वाले को चिढ़ाने जैसा होता है. इसके बोल में कामुक शब्दों का इस्तेमाल भी होता है और डांस के दौरान कामुक इशारे भी किए जाते हैं. 

पिछले कुछ सालों में, लावणी लोगों के बीच ज्यादा मशहूर हुआ. लावणी के दर्शक ऐतिहासिक रूप से सभी पुरुष रहे हैं, लेकिन हाल के सालों में कुछ चुनिंदा महिलाएं भी इस डांस को देखने के लिए आती हैं. 

सिनेमा जैसे लोकप्रिय मीडिया में भी लावणी के इस्तेमाल किया जाने लगा. सिनेमा में बढ़ते लावणी के प्रचलन से पूरे देश में इस लोक गीत को पहचान मिलनी शुरू हुई.  पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया पर इस नृत्य के कई छोटे क्लिप को मिलियन लाइक मिले. 

आलोचना का आधार क्या है?

लावणी में कामुक फैक्टर पर लंबे समय से नाराजगी जताई गई है. 1948 में, बॉम्बे के तत्कालीन मुख्यमंत्री बालासाहेब खेर को लावणी डांस पर कथित अश्लीलता को लेकर बहुत सारी शिकायतें मिली थी. इसके बाद इस डांस पर रोक लगा दिया गया था, वहीं सांस्कृतिक इतिहासकार इस डांस को कला के रूप में मानने से साफ मना करते आए हैंं.

ग्रामीण महाराष्ट्र में खूब है लावणी का क्रेज

ग्रामीण महाराष्ट्र में आज भी लोग इस डांस को खूब पंसद करते हैं और फंक्शन में लावणी डांसर्स को बुलाया जाता है. वहीं राजनेता और राजनीतिक दल भी अक्सर लावणी डांसर्स को अपनी सभाओं में बुलाते रहते हैं. इस वजह से ज्यादातर युवा और पुरुष भीड़ में शामिल हो जाते हैं. ये डांसर्स हिंदी और मराठी दोनों फिल्मी गीतों पर लावणी डांस करती हैं. डांस के दौरान महिलाएं अक्सर एक अजीब से कपड़े पहनती हैं, और भीड़ उनके इशारों पर जोर-जोर से चिल्लाती है. 

कला के दिग्गज लावणी के इस चलन का शुरू से विरोध करते आए हैं. घाडगे जैसे वरिष्ठ डांसर्स का मानना है कि नए जमाने की लड़कियों का लावणी डांस इस डांस प्रथा को अश्लील और नीच बना रहा है. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि इस डांस को लेकर अब तक सरकार की ओर से किसी भी तरह का दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है. ना ही कोई सेंसरशिप है. इस वजह से कलाकार लोगों की नजरों में सम्मान खो रहे है.

घाडगे ने कहा कि " मुझे लगता है कि इस तरह के अश्लील डांस और अश्लील कार्यक्रमों पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की जरूरत है.' उन्होंने कहा कि लावणी के लिए नियम बनाने की जरूरत है , या कोई ऐसी संस्था बने जो इस तरह के मुद्दों को देखे, और दिशानिर्देश जारी करे. 

अजित पवार ने पिछले हफ्ते कहा था, "लावणी और महाराष्ट्रीयन परंपरा की दूसरी कलाएं खूबसूरत हैं, लेकिन उन्हें इस तरह से किया जाना चाहिए कि हर कोई उनका आनंद ले सके. किसी भी तरह की अश्लीलता नहीं होनी चाहिए.  कुछ जिलों में अश्लील नृत्यों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है लेकिन कई जिलों रोक लगाने का काम अब भी जारी है. अगर जरूरत पड़ी तो मैं इस मुद्दे को राज्य विधानसभा के आगामी बजट सत्र में उठा सकता हूं. 

लावणी डांस के लिए मशहूर हैं ये नाम

  • मराठी शाहीर कवि और गायक जैसे पराशरम, राम जोशी, अनंत फैंडी, होनाजी बाला, प्रभाकर, सगनभाऊ, लोक शाहीर, अन्नाभाऊ साठे ने कई लावणी गीत लिखे
  • लोकशाहिर बशीर मोमिन कावठेकर एक समकालीन कवि हैं.  सुरेखा पुनेकर, संध्या माने, रोशन सतरकर जैसे कवियों ने 1980 के दशक में मंच पर अपनी लावणी रचनाओं को पेश किया. 
  • सत्यभामाबाई पंढरपुरकर और यमुनाबाई वायकर भी लावणी गीत के लिए खूब मशहूर हुए. 
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