नई दिल्ली: एक देश एक चुनाव इस बात को लेकर पिछले कुछ वक्त से लगातार चर्चा चल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले देश में वन नेशन वन इलेक्शन अपनाने का सुझाव दिया जिसके बाद इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई कि क्या देश में ऐसा मुमकिन है. इस सिलसिले में चुनाव आयोग से लेकर विधि आयोग तक लगातार इस मुद्दे पर विचार विमर्श कर रहे हैं कि क्या वन नेशन वन इलेक्शन के सुझाव पर अमल किया जा सकता है क्योंकि अगर यह अमल हो जाता है तो इससे चुनावों के दौरान खर्च होने वाले करोड़ों रुपए पर की बचत हो सकती है.


वन नेशन वन इलेक्शन की संभावनाओं को तलाशने के लिए लॉ कमीशन ने अलग-अलग राजनीतिक दलों के साथ बैठक शुरू की है इस बैठक में करीबन डेढ़ दर्जन राजनैतिक दल शामिल हो रहे हैं हालांकि इस बैठक में सभी राजनीतिक दल एक साथ बैठे बल्कि एक एक कर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि आ रहे हैं और अपना पक्ष लॉ कमीशन के सामने रख रहे हैं. बैठक में पहुंचे टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी ने एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव का विरोध किया तो वहीं एनडीए में बीजेपी की सहयोगी पार्टी गोवा फॉरवर्ड ब्लॉक के प्रतिनिधि विजय सरदेसाई ने भी पीएम मोदी के वन नेशन वन इलेक्शन के सुझाव का विरोध किया.

लॉ कमीशन ने वैसे तो सभी राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर अपना पक्ष लॉ कमीशन के सामने रखने को कहा है लेकिन कई ऐसे दल हैं जिन्होंने अभी तक लॉ कमीशन को यह भी नहीं बताया है कि वह अपना पक्ष रखना चाहते भी हैं या नहीं. इनमें सिर्फ राज्य स्तर की पार्टियां ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर की भी पार्टीयां भी शामिल हैं.

हालांकि इस बैठक में कोई अहम फैसला हो जाएगा यह कहना भी अभी जल्दबाज़ी है लेकिन इस बैठक से लॉ कमीशन को अलग-अलग राजनीतिक दलों का पक्ष जरूर मिल जाएगा. लॉ कमीशन उस पक्ष को देखने के बाद अपनी एक रिपोर्ट तैयार कर कानून मंत्रालय को भेज सकता है जिसके आधार पर कानून मंत्रालय यह देखेगा कि क्या वाकई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव वन नेशन वन इलेक्शन पर मौजूदा समय में आगे बढ़ा भी जा सकता है या नहीं. क्योंकि जब तक अधिकतर राजनीतिक दल इस मुद्दे पर एकमत नहीं होते तब तक वन नेशन वन इलेक्शन पर अमल करना लगभग नामुमकिन है.