Uniform Civil Code Consultation: लॉ कमीशन ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर धार्मिक संगठनों और आम लोगों से राय मांगी थी. जिसकी समय सीमा दो दिनों में खत्म हो रही है. सूत्रों ने मंगलवार (11 जुलाई) को न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को बताया कि अब तक समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग (Law Commission) को लगभग 46 लाख सुझाव मिल चुके हैं.
उन्होंने बताया कि आयोग आने वाले दिनों में कुछ संगठनों और लोगों को व्यक्तिगत बातचीत के लिए भी बुला सकता है. इनमें से कुछ निमंत्रण पत्र पहले ही भेजे जा चुके हैं. आयोग ने बुधवार (14 जून) को एक बयान जारी कर यूसीसी पर मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों और जनता के सुझाव मांगे थे. आयोग ने विचार भेजने करने के लिए 30 दिन का समय दिया था.
लॉ कमीशन को मिलीं 46 लाख प्रतिक्रियाएं
सोमवार शाम तक पैनल को लगभग 46 लाख प्रतिक्रियाएं मिली हैं. इससे पहले 21वें लॉ कमीशन ने भी इस विषय पर अध्ययन किया था. 21वें लॉ कमीशन ने इस मुद्दे की जांच की और दो अवसरों पर सभी हितधारकों के विचार मांगे थे. 21वें लॉ कमीशन का कार्यकाल अगस्त 2018 में समाप्त हो गया था.
यूसीसी पर नए सिरे से मांगी थी राय
इसके बाद अगस्त 2018 में ही पारिवारिक कानून में सुधार पर एक परामर्श पत्र जारी किया गया था. चूंकि इस परामर्श पत्र के जारी होने की तारीख से तीन साल से ज्यादा समय बीत चुका है, इसलिए विषय की प्रासंगिकता और महत्व को ध्यान में रखते हुए, 22वें विधि आयोग ने नए सिरे से विचार-विमर्श करना ठीक समझा और लोगों से अपनी राय देने का आग्रह किया.
समान नागरिक संहिता का मतलब है देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होना जो धर्म पर आधारित न हो. पर्सनल लॉ, विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार से संबंधित कानूनों को एक सामान्य संहिता के जरिए कवर किए जाने की संभावना है.
पीएम मोदी ने की थी वकालत
पीएम मोदी ने हाल ही में यूसीसी की वकालत करते हुए कहा था कि एक देश दो कानूनों से नहीं चल सकता है. उन्होंने इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों पर आरोप लगाया था कि वे मुस्लिमों को भड़का रहे हैं. बता दें कि, बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में यूसीसी का वादा किया गया था. उत्तराखंड ने घोषणा की है कि वह जल्द ही राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने वाला है.
(इनपुट पीटीआई से भी)
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