Law Commission On UCC: देश में समान नागरिक सहिंता (UCC) यानी देश के सभी नागरिकों के लिए एक ही कानून बनाए जाने को लेकर एक बार फिर बवाल शुरू होने की संभावना है. भारत के कानून मंत्रालय के अधीन आने वाले भारत के विधि आयोग ने एक आधिकारिक नॉटिफिकेशन जारी करके देश के आम नागरिकों, सामाजिक-धार्मिक संगठनों से इस विषय और मुद्दे के ऊपर अपने सुझाव मांगे हैं. 


इन सुझावों के अंतर्गत आयोग ने एक ही सवाल पूछा है जिसके मुताबिक क्या इस देश में समान नागरिक सहिंता की कोई जरूरत है या नहीं. अगर जरूरत है तो क्यों जरूरत है, और अगर जरूरत नहीं है तो क्यों जरूरत नहीं है. इन सुझावों को कोई भी भारतीय नागरिक, सामाजिक-धार्मिक संस्थाएं, राजनीतिक पार्टियां और अन्य वह हर व्यक्ति जो इस देश का नागरिक है लिखित रूप से विधिक आयोग को इस विषय पर अपने विचार भेज सकता है. 


चार साल पहले यूसीसी को लेकर क्या बोला था आयोग?
समान नागरिक संहिता को लेकर चार साल पहले इसी विधि आयोग ने अपने एक सुझाव में कहा था कि देश के लिए समान नागरिक संहिता बिल्कुल गैर जरूरी है. लेकिन बुधवार (14 जून) को उन्होंने गजट जारी करके इस मामले पर लोगों से सुझाव मांगा है. विधि आयोग के नोटिस में कहा गया है कि विधि और न्याय मंत्रालय ने 17 जून, 2016 को यूसीसी के लिए 22वें विधि आयोग का गठन किया था और अब यूसीसी को लेकर उनको लोगों के सुझाव चाहिए. 


भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के अधीन यह बात कही गई है कि राज्य को यह अधिकार है कि वह देश के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक सहिंता बनाए और उसको लागू करने के लिए हर संभव प्रयास करे. यूसीसी के खिलाफ देश के कई नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया था लेकिन उसने कहा था कि देश में कानून बनाए जाने का अधिकार देश की संसद के पास है और वह इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं. 


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