नई दिल्लीः नई दिल्लीः लॉ कमीशन ने आज सरकार को कुछ सिफारिशें दी हैं जिसके तहत कानून में कुछ बदलाव किए जाने की संभावना है. लॉ कमीशन ने एक बड़ी सिफारिश की है जिसके तहत लड़का-लड़की की शादी की उम्र एक समान की जाने की सिफारिश की गई है, फिलहाल कानूनन व्यस्क होने की उम्र 18 वर्ष है. पुरुषों के लिए शादी की उम्र 21 और महिलाओं के लिए 18 के अंतर को भी लॉ कमीशन ने गलत बताया है. कमीशन ने इसे एक समान करने की सिफारिश की है. स्त्री और पुरुष के लिए विवाह की अलग उम्र रखना इस सामाजिक मान्यता के चलते है कि पत्नी की उम्र पति से कम होनी चाहिए. लॉ कमीशन के मुताबिक ये गैरज़रूरी है.


लॉ कमीशन ने हिन्दू अविभाजित परिवार को टैक्स में मिलने वाली राहत बंद करने की भी सिफारिश की है और कहा है कि कानून में इस प्रावधान का दुरुपयोग टैक्स चोरी के लिए हो रहा है.


यूनिफार्म सिविल कोड और पर्सनल लॉ में सुधार पर भी लॉ कमीशन ने सुझाव दिए हैं. इसके लिए अलग-अलग लोगों से चर्चा हुई है. कानून और सामाजिक स्थितियों की समीक्षा के आधार पर लॉ कमीशन ने कहा कि:-


1. इस समय समान नागरिक संहिता लाना मुमकिन नहीं
2. मौजूदा पर्सनल लॉ में सुधार की ज़रूरत है. मौलिक अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता में संतुलन बनना चाहिए.
3. पारिवारिक मसलों से जुड़े पर्सनल लॉ को संसद कोडिफाई करने (लिखित रूप देने) पर विचार करे.
4. सभी समुदायों में समानता लाने से पहले एक समुदाय के भीतर स्त्री-पुरुष के अधिकारों में समानता लाने की कोशिश हो.


तीन तलाक पर लॉ कमीशन ने कहा कि


* सुप्रीम कोर्ट इसे खारिज कर चुका है.
* इस तरह तलाक देने वालों को क्रूरता, घरेलू हिंसा से जुड़े मौजूदा कानूनों के तहत सज़ा दी जाए.


 मुस्लिम विवाह और निकाहनामा पर लॉ कमीशन


निकाह एक कांट्रेक्ट होना चाहिए, निकाहनामा महिलाओं के लिए फायदेमंद है, इसमें महिला के हित में उचित शर्तें लगाई जा सकती हैं


बहुविवाह पर लॉ कमीशन


मुसलमानों में इसका प्रचलन बेहद कम है मुस्लिम देशों में भी इसके खिलाफ सख्त कानून है.


भारत में निकाहनामे में एक पत्नी के रहते दूसरी शादी न करने की शर्त रखी जा सकती है.


मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है इसलिए लॉ कमीशन इस पर ज़्यादा कुछ नहीं कहेगा.


8. हर धर्म के ऐसे बच्चों को जो कानूनी रूप से मान्य विवाह से पैदा नहीं हुए हैं, संपत्ति पर हक देना ज़रूरी. इसके लिए विशेष कानून बनना चाहिए.


8. स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी से पहले माता-पिता को 30 का नोटिस देने की शर्त खत्म की जाए. इस प्रावधान का दुरुपयोग शादी करने जा रहे जोड़े को धमकाने, शादी में बाधा डालने के लिए लिया जाता है. अगर 30 दिन के नोटिस का प्रावधान खत्म नहीं हो सकता तो जोड़ों को सुरक्षा देने की व्यवस्था की जाए.


ध्यान रहे कि ये सिर्फ सुझाव हैं जो सरकार को सौंपे गए हैं और इनके आधार पर कानून में कोई बदलाव लाने या न लाने का फैसला सरकार का अधिकार है.