Kiren Rijiju On Same Sex Marriage: केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने समलैंगिक विवाह के मुद्दे को लेकर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को देश के लोगों की बुद्धिमत्ता पर छोड़ता हूं जो देश की सोच को दर्शाता है. यह पूछे जाने पर कि क्या यह मुद्दा ऐसा है जिस पर सुप्रीम कोर्ट को फैसला करना चाहिए या इसे संसद पर छोड़ देना चाहिए. मंत्री ने इसपर कहा कि एक बार संसद में इस मुद्दे को लेकर बहस जरूर होनी चाहिए. 


कानून मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का अपना अधिकार है. कोर्ट के मामलों पर हमें नहीं बोलना चाहिए लेकिन समलैंगिक विवाह के मामले पर संसद में बहस की जरूरत है. संसद में बैठे लोग देश के सभी हिस्सों को कवर करते हैं. अगर संसद की तरफ से पारित कोई कानून संविधान की भावना के अनुरूप नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट के पास बदलाव करने का ऑप्शन है. वह इसमें कोई और बदलाव करके या इसे संसद को वापस भेज सकता है. 


'सुप्रीम कोर्ट अपना कुछ भी फैसला सुना सकता है'


किरेन रिजिजू ने कहा कि "अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट कुछ भी संदर्भित कर सकता है और निर्णय पारित कर सकता है. 13 मार्च को भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली एक पीठ ने देश में समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने वाली कई याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेजा था.


18 अप्रैल को होगी मामले में अंतिम बहस 


इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से जुड़ी याचिकाओं को संविधान पीठ के सामने सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था. कोर्ट मामले में अंतिम बहस 18 अप्रैल को करेगा. सुनवाई जनहित में लाइव-स्ट्रीम की जाएगी. कोर्ट ने कहा था कि समलैंगिक विवाह से संबंधित मुद्दा अहम महत्व रखता है. 


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