Lawrence Bishnoi Case: लॉरेंस बिश्नोई-गोल्डी बराड़ गैंग के मॉड्यूल का पर्दाफाश, इंटरनेशनल नंबर से कॉलिंग, नाबालिग से चलवाते थे गोली
Lawrence Bishnoi: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ गैंग को लेकर बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि ये लोगों को डराकर रंगदारी मांगते थे.
Lawrence Bishnoi: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ गैंग के तीन मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने कुल 8 लोगों को पकड़ा है, जिनमें से दो नाबालिग है. इनके पास से 8 पिस्तौल और कारतूस बरामद किए गए हैं.
क्राइम ब्रांच की दो अलग-अलग टीमों ने इन तीनों मोड्यूल को पकड़ा है. पुलिस का दावा है कि लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ गैंग के सदस्य जेल में बैठकर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और राजस्थान के व्यापारियों से रंगदारी वसूलने के लिए साजिश रचते हैं. अपने टारगेट को डराने के लिए नाबालिग लड़कों को उनके घर या ऑफिस भेजकर गोली चलवाते हैं. पुलिस ने खुलासा किया कि रंगदारी मांगने के लिए कॉल इंटरनेशनल नंबरों से की जाती है. इसके साथ ही पैसा हवाला के माध्यम से विदेशों में भिजवाया जा रहा है.
दिल्ली पुलिस ने की ये अपील
दिल्ली पुलिस ने युवाओं से अपील की है कि वो गैंगस्टर के प्रलोभन में बिल्कुल भी ना आए, क्योंकि अपराधी का भविष्य ज्यादा लंबा नहीं होता और उसे या तो एनकाउंटर में पुलिस की गोली नसीब होती है या फिर जेल होती है. इस कारण युवा पढ़ाई की तरफ ध्यान दें और अपने उज्जवल भविष्य की ओर आगे बढ़े.
लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल बिश्नोई ने कराया ये काम
क्राइम ब्रांच के स्पेशल सीपी रविन्द्र यादव ने बताया कि 23 अप्रैल को सन लाइट कॉलोनी थाना क्षेत्र के सिद्धार्थ एनक्लेव में एक घर पर गोली चलाई गई थी. सीसीटीवी कैमरों में 2 लड़के गोली चलाते नजर आए. पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक की तो पाया कि दोनों एक ऑटो में सवार होकर कहीं चले गए हैं.
पुलिस ने ऑटो को ट्रेस किया, जिसने बताया कि उन दोनों को धौला कुंआ छोड़ा था और यहां से दोनों बस में सवार हुए. बस कंडक्टर और ड्राइवर को भी खोजा गया. फिर इन्होंने बताया कि दोनों को गुरुग्राम के पटौदी छोड़ा था. दोनों यहां से राजस्थान जाने के लिए बस के बारे में पूछ रहे थे. पुलिस ने दोनों को राजस्थान से ट्रेस कर लिया. ये दोनों नाबलिग है. इनके तीसरे साथी को भी गुजरात से पकड़ा गया, जिसकी उम्र 18 साल है.
पूछताछ के दौरान खुलासा हुआ कि इन तीनों को लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल बिश्नोई ने ये काम सौंपा था. अनमोल फिलहाल विदेश में है और उसने इन लड़कों से कहा था कि इन्हें दिल्ली जाकर एक फ्लैट पर गोली चलानी है. इन तीनों को हथियार मुहैया कराए गए, जिसके बाद इन्हें बता दिया गया कि बस और ऑटो से उस घर तक पहुंचेंगे. फिर गोली चला कर वहां से वापस लौट आएंगे.
विदेशों से कराई जाती है कॉल
पुलिस ने बताया कि लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ गैंग से जुड़े बदमाश हैं, जैसे कि संपत नेहरा, प्रियव्रत, अनमोल बिश्नोई और अन्य सभी रंगदारी मांगने का काम कर रहे हैं. इनमें से जो जेल में हैं. वह जेल में रहते हुए ये जानकारी जुटाते हैं कि दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, चंडीगढ़ आदि जगहों पर सटोरिए, बिल्डर और अन्य व्यापारियों की आर्थिक स्थिति का जायजा लेते हैं. फिर इसके बाद उन्हें इंटरनेशनल नंबरों से रंगदारी के लिए कॉल करते हैं. कोई पैसा नहीं देता है तो उसके घर या ऑफिस पर फायरिंग करवाते हैं. फिर उसे दोबारा से कॉल करते हैं, जिसके बाद इनके पास रंगदारी की रकम पहुंच जाती है. ये लोग लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ के नाम से फोन करते हैं.
नाबालिगों को फायरिंग के लिए भेजते हैं
स्पेशल कमिश्नर रविंद्र यादव ने बताया कि गैंग के सदस्य अपने टारगेट को डराने के लिए उनके घर पर फायरिंग करवाने के लिए नाबालिग लड़कों को भेजते हैं. ये अलग-अलग तरीकों से नाबालिगों को अपने काम पर रखते हैं. यह लोग सोशल मीडिया औऱ गांव से युवाओं को अपने साथ जोड़ते हैं. उन्हें थोड़े पैसों का लालच दिया जाता है. ये भरोसा दिलाया जाता है कि उन्हें अपने गैंग में रखेंगे. उनकी अगर कोई परेशानी है तो उस परेशानी को दूर करेंगे.
मसलन इन नाबालिगों में से एक ने बताया है कि उसका अपने स्कूल में कुछ लड़कों से झगड़ा हो गया था. गांव के ही किसी व्यक्ति ने उसे इस गैंग से संपर्क करवाया और ये आश्वासन दिया कि उन लड़कों को हम देख लेंगे. तुम ये काम करके आओ.
पुलिस का कहना है कि जो नाबालिक इनके झांसे में आते हैं, उन्हें कोई खास पैसा भी नहीं मिलता है और न ही उनका कोई भविष्य बन पाता है. ये जो नाबालिक होते हैं, इन्हें सही मायने में ये भी नहीं पता होता है कि किसके लिए काम करने जा रहे हैं. इन्हें बस सपने दिखाए जाते हैं और अपराध की दुनिया में इन से काम करवाया जाता है.
पुलिस ने बताया कि सन लाइट कॉलोनी इलाके में वारदात को अंजाम देने मॉड्यूल ने ही नरेला के लामपुर इलाके में एक प्रॉपर्टी डीलर और उसके साथी पर गोली चलवाई थी. इसमें प्रॉपर्टी डीलर के पैर में गोली भी लगी थी.
तीसरा मोड्यूल को कैसे पकड़ा गया?
पुलिस के अनुसार तीसरा मोड्यूल वारदात को अंजाम देने से पहले ही पकड़ लिया गया. इस मोड्यूल में बिश्नोई गैंग से जुड़ा प्रियव्रत जेल से रंगदारी वसूल रहा था. उसने जेल से ही लड़कों को गोली चलवाने के लिए रखा. उसे अपने ही एक साथी की हत्या करवानी थी.
दअरसल एक लड़का जो प्रियव्रत के लिए रंगदारी कलेक्ट करता था, उसने पैसा देना बंद कर दिया था. प्रियव्रत को जब ये पता चला तो उसने उसकी हत्या करनवाने की साजिश रची. उसने लड़कों को रखा . इसके अलावा शोरूम पर गोली चलवाने का काम भी दिया. दोनों ही वारदात को कतेवड़ा में अंजाम देना था. एसीपी विवेक त्यागी की टीम को सूचना मिली और वारदात से पहले ही 5 लोगों को पकड़ लिया गया.
हवाला कर जरिये विदेश मंगवाते हैं पैसा
पुलिस का कहना है कि लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ के जितने भी सदस्य हैं वे लोग रंगदारी का पैसा हवाला के माध्यम से विदेशों में मंगाते हैं. पुलिस अब इस गैंग पर नकेल लगाने का हर प्रयास कर रही है. जल्द ही यह भी पता लगाने में जुटी है कि आखिर पैसे का रूट क्या रहता है? किस तरीके से पैसा विदेशों में जा रहा है और फिर विदेशों से वापस भारत में कैसे आ रहा है.
पुलिस के अनुसार बिश्नोई गैंग अपने गुर्गों को हर तरीके के हथियार उपलब्ध कराता है, जो लड़के डराने धमकाने के लिए गोली चलाते हैं, उन्हें सेमी ऑटोमेटिक पिस्तौल उपलब्ध कराई जाती हैं और अगर कोई बड़ी वारदात को अंजाम देना है तो ऐसे में गैंग के सदस्यों को जिगाना आदि जैसी सॉफिस्टिकेटेड पिस्टल भी उपलब्ध करवा दी जाती है. पुलिस इस गैंग के हर नेक्सस को तलाशने में जुटा है. जल्द से जल्द इस पूरी गैंग की कमर तोड़ने का प्रयास है.
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