हियरिंग के बीच वकील ने की ऐसी हरकत, गुस्साए जज ने भेजा जेल
अदालत ने सीबी-सीआईडी को प्राथमिकी दर्ज करने और प्रारंभिक रिपोर्ट दर्ज करने का भी निर्देश था. अदालत ने संथाना कृष्णन पर एक महिला को धोखा देने और अदालत की अवमानना का आदेश दिया गया है.
मद्रास हाईकोर्ट में एक वकील को वर्चुअल कोर्ट के दौरान कूडलिंग करना भारी पड़ गया. इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए अब कोर्ट ने उस वकील पर दो हफ्ते की कैद के साथ जुर्माना भी लगाया है. जस्टिस पी.एन प्रकाश और जस्टिस ए.ए.नक्किर की मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ ने हाल ही में तमिलनाडु और पुडुचेरी बार काउंसिल में प्रैक्टिस करने वाले एक वकील आर.डी संथाना कृष्णन को दो सप्ताह के लिए साधारण कारावास और 6000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है.
आर डी संथाना कृष्णन को 20 अक्टूबर 2021 को वर्चुअल अदालती कार्यवाही में भाग लेने के दौरान एक महिला के साथ कनुडलिंग करते देखा गया है. उक्त घटना की वीडियो क्लिपिंग वायरल हो गई और अदालत ने इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया था. पीठ ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर आपराधिक कार्यवाही दर्ज करने और आगे की जांच के लिए वीडियो को संरक्षित करने और वीडियो को इंटरनेट से हटाने का निर्देश दिया है.
अदालत ने दिया था सीआईडी को मामला दर्ज करने का आदेश
अदालत ने सीबी-सीआईडी को प्राथमिकी दर्ज करने और प्रारंभिक रिपोर्ट दर्ज करने का भी निर्देश था. अदालत ने संथाना कृष्णन पर एक महिला को धोखा देने और अदालत की अवमानना का आदेश दिया गया है. सीबी-सीआईडी ने वीडियो के जरिए महिला की पहचान की और उसका बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किया गया. जांच के दौरान आगे यह पता चला कि संथाना कृष्णन द्वारा महिला का शोषण उसके परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण किया जा रहा था.
वकील को करना चाहिए था अदालत का सम्मान
अपने हलफनामे में संथाना कृष्णन ने घटना को स्वीकार किया लेकिन दलील दी कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनके लैपटॉप में वीडियो चालू था जब उसने महिला के साथ कनुडलिंग की थी. कोर्ट इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ. कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि आरोपी ने जानबूझकर अदालत की कार्यवाही में ऑन के लिये चुना था. ऐसा करने के बाद खुद एक वकील होने के नाते उसे अदालत के लिए सम्मान और मर्यादा बनाए रखने की आवश्यकता थी. इस तथ्य के बावजूद कि उनका कैमरा ऑन मोड या ऑफ मोड में था या नहीं उसे वर्चुअल प्लेटफॉर्म में रहते उस आक्षेपित कृत्य में शामिल नहीं होना चाहिए था.