एलसीए (नेवी) ने पहली बार सफलता पूर्वक आईएनएस विक्रमादित्य पर की लैंडिग
शनिवार को एचएएल ने स्वदेशी फाइटर जेट एलसीए (नेवी) तैयार किया था. नौसेना के कमांडर जयदीप माओलंकर ने विक्रमादित्य पर इसकी लैंडिंग की.
नई दिल्ली: समंदर की सुरक्षा में भारत ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है. इसी के साथ भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिसने एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात होने वाले लड़ाकू विमान को तैयार कर लिया है. शनिवार को एचएएल ने जो स्वदेशी फाइटर जेट एलसीए (नेवी) तैयार किया था उसने अरब सागर में आईएनएस विक्रमादित्य पर पहली बार सफलता पूर्वक लैंडिग की.
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानि एचएएल, डीआरडीओ और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) ने लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट का नेवल-वर्जन, एलएसीए (नेवी) तैयार कर लिया है. भारतीय नौसेना के मुताबिक, शनिवार सुबह 11.05 बजे एलसीए-नेवी ने विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य पर 'अरेस्टेड-लैंडिंग' की.
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— Neeraj Rajput (@neeraj_rajput) January 11, 2020
नौसेना के कमांडर जयदीप माओलंकर ने विक्रमादित्य पर लैंडिंग की. इन दिनों वह अरब सागर में ऑपरेशन्ल तैनाती पर हैं. ये खबर ऐसे समय में आई है जब चीन और पाकिस्तान की नौसेनाएं अरब सागर में साझा युद्धभ्यास, 'गार्जियन-सी 2020' कर रही हैं.
दरअसल, समंदर के बीच विमानवाहक युद्धपोत पर लैंडिंग बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि उसका रनवे काफी छोटा होता है. ऐसे में फाइटर जेट को लैंड कराने के लिए उसे लैंडिंग-डेक पर लगी एक खास स्टील की रोप को विमान के नीचे लगे हुक में फंसाकर रोका जाता है (अरेस्टेड लैंडिंग). लैंडिंग के वक्त लड़ाकू विमान की स्पीड उतनी ही तेज होती है जितनी टेक-ऑफ के वक्त होती है. ऐसा इसलिए होता है जिससे अरेस्टेड लैंडिंग ना हो सके तो पायलट अपने फाइटर जेट को उसी स्पीड से लैंडिंग डेक से टेक ऑफ कर सके और विमान समंदर में नहीं गिरे.
शनिवार की लैंडिंग से पहले एलसीए-नेवी ने गोवा स्थित नौसेना के एयरबेस पर काफी अभ्यास किया था. जहां पर विमानवाहक युद्धपोत की तर्ज पर एक लैंडिंग-डेक है. माना जा रहा है कि अब एचएएल इस एलसीए-नेवी का प्रोडेक्शन शुरू कर देगा, क्योंकि स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत, विक्रांत जल्द ही बनकर तैयार होने वाला है. उस पर तैनात करने के लिए ही नौसेना को एलसीए-नेवी की सख्त जरूरत है. फिलहाल, विक्रमादित्य पर मिग-29के फाइटर जेट्स तैनात हैं जो भारत ने वर्ष 2013 में रूस से खरीदे थे.
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