Amartya Sen: वामपंथी झुकाव वाले बुद्धिजीवियों ने विश्वभारती से आग्रह कर कहा- अमर्त्य सेन को परेशान न करें, जानें मामला
Visva Bharati University: पत्र में कहा गया है कि अमर्त्य सेन उस जमीन पर रह रहे हैं, जो उन्हें विरासत में मिली थी. विश्वभारती अब प्रोफेसर सेन को उनके पैतृक घर से बेदखल करने की तैयारी में है.
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Amartya Sen House Shantiniketan: वामपंथी झुकाव वाले 120 से ज्यादा बुद्धिजीवियों और मशहूर हस्तियों ने एक खुला पत्र लिखकर विश्वभारती विश्वविद्यालय से नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को जमीन के मुद्दे पर परेशान नहीं करने का आग्रह किया है.
बुद्धिजीवियों ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों से "सेन के लगातार अपमान से बचने" का आह्वान करते हुए दावा किया कि शांति निकेतन में उनके पास जमीन के "पूरे 1.38 एकड़ हिस्से पर अधिकार है." पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अमर्त्य सेन के निरंतर अपमान पर अपनी चुप्पी तोड़ने का आग्रह किया. प्रधानमंत्री विश्वभारती के कुलाधिपति भी हैं.
सेन को पैतृक घर से बेदखल करने की तैयारी
शुक्रवार को प्रकाशित पत्र मीडिया को शनिवार (22 अप्रैल) को उपलब्ध हो पाया. पत्र में कहा गया है, "सेन उस जमीन पर रह रहे हैं, जो उन्हें विरासत में मिली थी... विश्वभारती अब प्रोफेसर सेन को उनके पैतृक घर से बेदखल करने की तैयारी में है. इस तरह के कदम ने हर बंगाली, हर भारतीय का सिर पूरी दुनिया के सामने नीचा कर दिया है."
इन्होंने किए हस्ताक्षर
हस्ताक्षर करने वालों में शिक्षाविद पबित्र सरकार, स्तंभकार समिक बंदोपाध्याय, अभिनेता सब्यसाची चक्रवर्ती और बिप्लब चटर्जी, लेखक भागीरथ मिश्र, रंगमंच से जुड़े अशोक मुखोपाध्याय और वकील बिकास भट्टाचार्य शामिल हैं. हाल में एक बेदखली आदेश में विश्वविद्यालय ने नामी अर्थशास्त्री सेन को छह मई तक 13 डिसमिल जमीन खाली करने के लिए कहा, जिस पर उन्होंने कथित तौर पर अनधिकृत तरीके से कब्जा कर लिया था.
जरूरी हो तो बल प्रयोग किया जा सकता है
संस्थान को केंद्र की सलाह और कैग की रिपोर्ट के अनुसार, सभी अतिक्रमण पर नियंत्रण पाने की तत्काल आवश्यकता का जिक्र करते हुए नोटिस में कहा गया है कि "अमर्त्य सेन और संबंधित सभी व्यक्ति उक्त परिसर से बेदखल किए जाने के लिए उत्तरदायी हैं, अगर जरूरी हो तो बल प्रयोग भी किया जा सकता है."
विश्वभारती ने कहा कि पूर्व के कारण बताओ नोटिस पर सेन का जवाब "भ्रामक और तथ्यात्मक रूप से गलत" था और विश्वविद्यालय सेन द्वारा कब्जा की गई 13 डिसमिल जमीन समेत "उन सभी भूमि का वास्तविक मालिक है, जिस पर पिछले वर्षों में अतिक्रमण किया गया था."
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