Service Charge News: रेस्टोरेंट्स और होटल में ग्राहकों से सर्विस चार्ज (Service Charge) वसूलने पर केंद्र सरकार (Modi Government) सख्त हो गई है. राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को लगातार इस तरह की शिकायतें मिलती रहती है कि रेस्टोरेंट में खाना खाने के बाद ग्राहकों से जबरदस्ती सर्विस चार्ज वसूला जाता है. इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने गुरुवार को रेस्टोरेंट एसोशिएशन और उपभोक्ता संगठनों की बैठक बुलाई. केंद्र सरकार की ओर से बैठक की अध्यक्षता उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने की. 


ग्राहकों से जबरदस्ती सर्विस चार्ज वसूलना गैरकानूनी- सरकार


इस मामले को लेकर केंद्र सरकार अब काफी सख्त होती जा रही है. गुरुवार को हुई बैठक में सरकार की ओर से साफ कर दिया गया कि खाने के बाद ग्राहकों से जबरदस्ती वसूला जाने वाला सर्विस चार्ज गैरकानूनी और अनुचित व्यापार की श्रेणी में आता है. सरकार इस बारे में जल्द ही एक विस्तृत फ्रेमवर्क या दिशानिर्देश जारी करने जा रही है. सरकार ने होटल और रेस्टोरेंट एसोशिएशन के प्रतिनिधियों को ग्राहकों से मिल रही शिकायतों से अवगत कराया. सरकार ने बताया कि मेन्यू में ही सर्विस चार्ज को ग्राहकों की सहमति लिए बिना जोड़ दिया जाता है. सरकार ने साफ किया कि सर्विस चार्ज वैकल्पिक और ऐच्छिक है न कि अनिवार्य. 


रेस्टोरेंट और होटल प्रतिनिधियों के तर्कों से सरकार सहमत नहीं


उपभोक्ता संगठनों ने तर्क दिया कि जब होटलों और रेस्टोरेन्ट को खाने का दाम तय करने की आजादी है तो फिर सर्विस चार्ज के तौर पर अतिरिक्त बोझ डालना उपभोक्ता संरक्षण कानून और अनुचित व्यापार (रोक) क़ानून के तहत अन्यायपूर्ण और अनुचित व्यापार माना जाएगा. रेस्टोरेंट और होटल प्रतिनिधियों ने दावा किया कि सर्विस चार्ज खाने के लिए नहीं बल्कि स्टाफ़ और मज़दूरों को देने के लिए लिया जाता है. उनका ये भी कहना था कि मेन्यू में सर्विस चार्ज जोड़ देना ग्राहकों की सहमति लेने के ही बराबर है. हालांकि सरकार इन तर्कों से सहमत नहीं दिखती.


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