नई दिल्ली: अब कुष्ठरोग से पीड़ित होना तलाक़ का आधार नहीं बन सकेगा. मोदी सरकार ने तलाक़ से जुड़े उन कानूनों में बदलाव करने का फ़ैसला किया है. जिनमें कुष्ठरोग को तलाक़ का एक आधार बनाया गया है. संसद के इसी सत्र में बिल पेश होने की संभावना है.


कैबिनेट ने दी मंज़ूरी


आज कैबिनेट की बैठक में पर्सनल लॉ ( संशोधन ) बिल , 2018 को मंज़ूरी मिल गई . बिल के ज़रिए 5 पुराने कानूनों की अलग अलग धाराओं में संशोधन करने का प्रस्ताव है जिनमें तलाक़ के लिए कुष्ठरोग को एक आधार बनाया गया है . सरकार के मुताबिक़ ये बहुत पुरानी मांग रही है . जिस वक़्त ये कानून बनाए गए थे उस समय कुष्ठरोग एक असाध्य रोग माना जाता था लेकिन आधुनिक विज्ञान ने इसे पूरी तरह ठीक करना सम्भव बना दिया है . कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा - " ऐसे में इस प्रावधान को बनाए रखना कुष्ठरोगियों से भेदभाव करने जैसा होगा .... " .


पांच कानूनों में होगा बदलाव


जिन पुराने कानूनों में बदलाव किया जाएगा उनमें डाइवोर्स एक्ट 1869, डिसॉलूशन ऑफ मुस्लिम मैरिज एक्ट 1939 , स्पेशल मैरिज एक्ट1954 , हिंदू मैरिज एक्ट 1955 और हिंदू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट1956 शामिल हैं . इन सभी कानूनों में उन प्रावधानों को बदला जाएगा जिनमें तलाक़ की व्याख्या की गई है.


सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया था निर्देश


इस मामले पर विधि आयोग और संसदीय समिति ने भी अपनी सिफारिश में बदलाव करने को कहा था . सुप्रीम कोर्ट ने भी एक मामले में सरकार को कानूनों में बदलाव कर इस विसंगति को दूर करने को कहा था.

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