नई दिल्ली: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले के खिलाफ दिल्ली के एक वकील ने बांग्लादेश के चीफ जस्टिस को पत्र याचिका भेजी है. वकील विनीत जिंदल की याचिका में कहा गया है कि बांग्लादेश का संविधान सभी वर्गों के मानवाधिकार और संस्कृति के संरक्षण की बात कही गई है. धार्मिक आधार पर भेदभाव की भी मनाही है. लेकिन वहां की सरकार इसमें नाकाम रही है. चीफ जस्टिस मामले पर संज्ञान लें. सरकार को घटनाओं की जांच और हिंदुओं की सुरक्षा का निर्देश दें.
चीफ जस्टिस सैयद महमूद हुसैन को भेजी 4 पन्ने की याचिका में जिंदल ने नोआखाली समेत बांग्लादेश के दूसरे हिस्सों में दुर्गा पूजा पंडालों और मंदिरों पर हमले, घरों को जलाने, हिंदुओं की हत्या जैसी घटनाओं का हवाला दिया है. यह भी लिखा है कि बांग्लादेश में लंबे अरसे से हिंदुओं के दमन, उनकी संपत्ति पर कब्ज़े, महिलाओं के यौन शोषण और धर्मांतरण के लिए मजबूर किए जाने की घटनाएं हो रही हैं. लेकिन देश की सरकार अल्पसंख्यक हिंदुओं के संरक्षण में विफल रही है.
वकील ने बांग्लादेश के संविधान के अनुच्छेद 11 (हर नागरिक की स्वतंत्रता, सम्मान और मानवाधिकार की रक्षा), अनुच्छेद 23 (सांस्कृतिक परंपराओं और धरोहरों की रक्षा) और अनुच्छेद 28 (धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव की मनाही) का हवाला दिया गया है. कहा गया है कि सरकार संविधान का पालन सुनिश्चित नहीं कर पा रही है. ऐसे में चीफ जस्टिस को मामले पर संज्ञान लेना चाहिए.
याचिका में मांग की गई है कि बांग्लादेश का सुप्रीम कोर्ट वहां की सरकार को इन घटनाओं की न्यायिक जांच का निर्देश दें. अल्पसंख्यक हिंदुओं और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए कहें. हिंदू महिलाओं के सम्मान की रक्षा का आदेश दें. हिंसा की हालिया घटनाओं में मारे गए लोगों के परिवार को 1 करोड़ टका मुआवजे के लिए भी कहें.
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