नई दिल्ली: दिल्ली में एक बार फिर से अधिकारों को लेकर घमासान शुरू हो गया है और दोबारा से दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार आमने सामने हैं. दरअसल केंद्रीय कैबिनेट के एक फैसले को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बीजेपी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.


मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय कैबिनेट ने एक बिल को बहुत ही गोपनीय तरीके से मंजूरी दी है जिससे उपराज्यपाल के अधिकारों में बढ़ोत्तरी होगी. उनका आरोप है कि इस फैसले के ज़रिए बीजेपी पिछले दरवाज़े से दिल्ली में सरकार चलाना चाहती है.


एक प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से मनीष सिसोदिया ने कहा, "आज कुछ मीडिया रिपोर्ट के माध्यम से पता चला है कि केंद्र सरकार ने कल चुपचाप बहुत ही गोपनीय तरीके से दिल्ली में चुनी हुई सरकार के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के अधिकार कम करके उन्हें छीन कर एलजी को देने का कानून पास किया है. कल कैबिनेट में, दिल्ली की सरकार बनाने का जो कानून है जिसे GNCTD एक्ट कहते हैं उसमें बदलाव करके केंद्र सरकार अब उपराज्यपाल को इतनी शक्ति देने जा रही है कि वह दिल्ली की चुनी हुई सरकार के काम को रोक सके. दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास अब निर्णय लेने की अधिकार नहीं है. ये अधिकार अब LG के पास होंगे, जिसका मतलब है केंद्र की BJP सरकार के पास होंगे. स्टेट गवर्नमेंट जिसको दिल्ली की जनता चुनती है उसके बाद में अब निर्णय लेने की शक्ति नहीं होगी."


2015 में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के फैसले का ज़िक्र करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा, "केंद्र सरकार का ये कदम लोकतंत्र में लोकतांत्रिक तरीके से जनता द्वारा चुनी गई सरकार की शक्ति कम करने का कदम है. यह लोकतंत्र के खिलाफ भी है और संविधान के खिलाफ है. संविधान में साफ-साफ लिखा है कि दिल्ली में जो चुनी हुई सरकार होगी इसमें तीन मुद्दों- पुलिस, जमीन पब्लिक ऑर्डर, को छोड़कर दिल्ली की चुनी हुई सरकार और विधानसभा सारे निर्णय ले सकेगी. इस बात को 2015 में बीजेपी की चुनी हुई सरकार ने एलजी के माध्यम से मनमाने तरीके से संविधान में लिखे होने के बावजूद कहा कि कि दिल्ली केंद्र सरकार चलाएगी. इसके खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट गये. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने संविधान को और स्पष्ट करते हुए कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास तीन मुद्दों को छोड़कर हर मामले में फैसले लेने का अधिकार है. 5 जजों की बेंच ने स्पष्ट तरीके से उसकी व्याख्या की और कहा कि एलजी के पास केवल सरकार के लिए हुए फैसलों की सूचना जाएगी."


सिसोदिया ने कहा, "5 साल पहले 2015 में जब तक सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में संविधान की व्याख्या नहीं की थी तब तक इन्होंने हमारे सारे काम रोकने की कोशिश की थी. सीसीटीवी, मोहल्ला क्लीनिक, स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी सब की फाइलें दबाकर रखीं थीं. जब व्याख्या स्पष्ट कर दी गई उसके बाद सारा काम तेजी से होना शुरू हो गया. अब बीजेपी इन सब कामों में अड़चन डालने के लिए, इन सब कामों को रोकने के लिए, पिछले दरवाजे से दिल्ली को चलाने के लिए साजिश कर रही है जोकि न केवल लोकतंत्र के खिलाफ है बल्कि दिल्ली की जनता की मर्जी के खिलाफ भी है."


यह भी पढ़ें:


तेज प्रताप ने राष्ट्रपति को भेजे एक लाख आजादी पत्र, पिता लालू यादव की रिहाई को लेकर चला रहे हैं मुहिम