नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच अधिकार की लड़ाई पर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने हुए दिल्ली की जनता को 'असली बॉस' बताया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में किसी का एकाधिकार नहीं है, एलजी दिल्ली के प्रशासक हैं लेकिन हर मामले में उनकी सहमति जरूरी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्य सर्वोच्च हैं, जनता के प्रति जवाबदेही सरकार की होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का आसान मतलब ये है कि एलजी दिल्ली के प्रशासनिक मुखिया जरूर हैं लेकिन उनके पास ऐसी शक्तियां नहीं है कि वो चुनी हुई सरकार के काम में अंड़गा लगाएं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एलजी कैबिनेट के साथ मिलकर काम करें और अगर उन्हें सरकार के किसी फैसले से दिक्कत है तो मामले को सीधे राष्ट्रपति के पास भेजें.


सुप्रीम कोर्ट के फैसले को समझाते हुए दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एलान किया है कि अब उन्हें हर फाइल एलजी से मंजूर कराने की जरूरत नहीं है. उनका कहना है कि जमीन, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर के अलावा हर मामले में कानून बनाने की इजाजत दिल्ली सरकार को है.


फैसले पर किसने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों ने स्वागत किया है. आम आदमी पार्टी जहां इसे लोकतंत्र की जीत बता रही है तो वहीं बीजेपी का कहना है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज नहीं देने की बात कह कर सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को आईना दिखाया है. वहीं संविधान और कानून के जानकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अच्छा बता रहे हैं.


आम आदमी पार्टी ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए इसे लोकतंत्र की जीत करार दिया है. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ट्वीट किया, ''दिल्ली के लोगों की बड़ी जीत, लोकतंत्र के लिए भी ये बड़ी जीत है.'' दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले क स्वागत करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक बहुत अच्छा फैसला सुनाते हुए दिल्ली की जनता को सुप्रीम बताया है.


सिसोदिया ने कहा, ''हम फैसले लिए सभी जजों का धन्यवाद करते हैं. कोर्ट ने कहा है कि लोकतंत्र में जनता सु्प्रीम है, एलजी के पास मनमानी करने की शक्ति नहीं होगी. दिल्ली में सिर्फ पुलिस, जमीन और कानून व्यवस्था केंद्र के पास है, बाकी सब दिल्ली सरकार के पास. केद्र ने सेवाओं को भी अपने अधीन कर लिया था. इसे आज सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.''


बीजेपी ने क्या कहा?
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी फैसले का स्वागत किया, उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से केजरीवाल को आईना दिखा दिया. मनोज तिवारी ने कहा, ''मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बहुत खुशी जता रहा हूं. सुप्रीम कोर्ट ने एक लाइन में कहा है कि संविधान के अनुसार ही कार्य होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता और यहां अराजकता का कोई स्थान नहीं है. मैं समझता हूं कि आज अरविंद को आज सुप्रीम ने साफ साफ आईना दिखा दिया है. एलजी संविधान के अनुसार किसी कार्य को नहीं रोकेंगे लेकिन दिल्ली समस्या ये है कि मुख्यमंत्री संविधान छोड़कर सब कुछ मानना चाहते हैं.''


वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पुराने साथी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा फैसले दिल्ली सरकार की कोई उपलब्धि नहीं है. प्रशांत भूषण ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा, ''कोर्ट ने संवैधानिक स्थिति स्पष्ट की है. ये किसी भी लिहाज से दिल्ली सरकार की कोई उपलब्धि नहीं है. एलजी आमतौर पर कैबिनेट की सलाह पर काम करेंगे, लेकिन जिस विषय पर गंभीर मतभेद होगा, उसे राष्ट्रपति के पास भेजेंगे. राष्ट्रपति का फैसला अंतिम होगा. राष्ट्रपति खुद केंद्र सरकार की सलाह पर काम करते हैं, यानी एक तरह से अंतिम फैसला केंद्र का होगा. सर्विसेस को लेकर भी कुछ हासिल नहीं हुआ है. यहां UT कैडर के अधिकारी होते हैं. उनके मसले केंद्र सरकार ही देखती है.''


योगेंद्र यादव ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के एक और पुराने साथी योगेंद्र यादव ने कहा कि कोर्ट ने गतिरोध खत्म कर जनता की भावनाओं का सम्मान किया है. योगेंद्र यादव ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और एलजी के बीच चल रहे गतिरोध को खत्म कर जनता की भावनाओं का सम्मान किया है. अब एलजी सरकार से ऊपर नहीं जा सकते. उन्होंने दिल्ली सरकार को भी नसीहत देते हुए कहा कि वो हर काम में अड़ंगे लगाना बंद करे और लोकहित की तरफ ध्यान दे.''


एक्सपर्ट का क्या कहना है?
संविधान और कानून के जानकारों ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. पूर्व एटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने कहा, ''यह सुप्रीम कोर्ट का बहुत अच्छा फैसला है. एलजी और दिल्ली सरकार को सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना है, हमेशा टकराव नहीं हो सकता है. लोकतंत्र के लिए रोज रोज की तकरार अच्छी नहीं है. मैं फैसले का स्वागत करता हूं.''