Light Weight Tank: भारतीय सेना को जल्द ही भारत में बना एक हल्के वजन वाला टैंक मिलने जा रहा है. इस 25 टन के टैंक को लार्सन एंड टर्बो और रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मिलकर प्रोजेक्ट जोरावर के तहत इसे तैयार किया है. इसे तैयार करने में करीब दो साल लग गए. इसके आने के बाद भारतीय सेना की 354 हल्के टैंकों की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा.
अधिकारियों ने बताया, "यह मिनिमम लॉजिस्टिक सपोर्ट के साथ एलएसी पर चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम करने में सक्षम होगा. टैंक गर्मियों और सर्दियों के परीक्षणों में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा. प्रोडक्शन में जाने से पहले अगले दो सालों के दौरान रेगिस्तान और पहाड़ों में अपनी पावर दिखाएगा." डीआरडीओ प्रमुख समीर वी कामत ने शनिवार को गुजरात में एलएंडटी की हजीरा फैक्ट्री में टैंक के पहले प्रोटोटाइप की समीक्षा की.
चीन की नाक में दम कर देगा जोरावर
चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने एलएसी के पार कई आधुनिक टैंकों को शामिल किया है और तैनात भी कर दिया है. इनमें उच्च शक्ति-से-भार अनुपात वाले हल्के टैंक भी शामिल हैं. पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध अब अपने पांचवें साल में है और समस्याओं का समाधान भी नहीं दिख रहा है. हालांकि भारत को उम्मीद है कि पड़ोसी के साथ चल रही बातचीत अप्रैल 2020 की यथास्थिति को बहाल करने में मदद करेगी.
पहाड़ों के लिए कारगर साबित होगा ये टैंक
भारतीय सेना ने लद्दाख में रू के भारी टी-72 और टी-90 टैंक तैनात किए हैं, लेकिन उनकी अपनी सीमाएं हैं. उन्हें मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों में ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया गया था. अधिकारियों ने कहा कि सीमा विवाद शुरू होने के बाद पर्याप्त मारक क्षमता, सुरक्षा, निगरानी और संचार क्षमताओं वाले हल्के टैंकों की आवश्यकता महसूस की गई जिस पर लगभग 17,500 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
एक अधिकारी ने बताया, "टैंक को हवा से ले जाया जा सकता है और यह जलस्थलीय अभियानों में सक्षम है. यह ऊंचाई के उच्च कोणों पर फायर कर सकता है और सीमित तोपखाने की भूमिका निभा सकता है."
जोरावर नाम क्यों रखा गया?
टैंक का नाम जोरावर यूं ही नहीं रखा गया है. महान सेनापति जोरावर सिंह ने 1834 से 1841 के बीच छह बार डोगरा सेना का नेतृत्व किया. लद्दाख और तिब्बत में जीत हासिल की. मई 1841 में, उन्होंने 5,000 सैनिकों वाली डोगरा सेना का नेतृत्व तिब्बत में किया और कुछ ही हफ्तों में चीनी सेना को परास्त कर दिया और उनके मंतलाई झंडे पर कब्जा कर लिया.
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