नेशनल और स्टेट हाईवे पर शराबबंदी को लेकर कानूनी विकल्प तलाश रहा है एफएचआरएआई
नई दिल्ली: फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) नेशनल और स्टेट हाईवे पर शराबबंदी के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कानूनी विकल्प की तलाश कर रहा है.
एफएचआरएआई का कहना है कि इस प्रतिबंध से एक लाख से अधिक प्रतिष्ठान प्रभावित हुए हैं और करीब दस लाख नौकरियां दांव पर हैं. साथ ही एफएचआरएआई ने कहा इससे सरकारी खजाने को भी दो लाख करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान होगा.
एफएचआरएआई के उपाध्यक्ष दिलीप सी दतवानी ने बयान में कहा कि सरकारी खजाने को दो लाख करोड़ रुपए का नुकसान और एक लाख प्रतिष्ठानों का बंद होना कोई छोटी बात नहीं है. एफएचआरएआई के उपाध्यक्ष टी एस वालिया ने शीर्ष अदालत के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि सभी नेशनल और स्टेट हाईवे के ईद-गिर्द निश्चित दूरी में शराब बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है, जबकि ऐसा करते समय शहरों के मामले में व्यावहारिक पहलू को नहीं देखा गया है.
उन्होंने कहा कि इससे होटल और रेस्तरां प्रभावित होंगे जिन्होंने देश के पर्यटन उद्योग के विकास में करोड़ों रुपए का निवेश किया है. उन्होंने कहना है कि इस प्रतिबंध से कोई लक्षित उद्देश्य हासिल नहीं होगा.
उन्होंने कहा यदि इससे कोई नतीजे मिलते तो हम अपने नुकसान को नहीं देखते, लेकिन वास्तविकता यह है कि इससे सिर्फ नौकरियों और दूसरे नुकसान ही होंगे. इसे जिस मंशा से किया गया है वह हासिल नहीं हो पाएगा. दतवानी ने कहा कि भावना की दृष्टि से देखा जाए तो यह फैसला अच्छा है लेकिन इसमें अन्य संबंधित मुद्दों को नहीं देखा गया है.