Liquor Policy Case: शराब के कारोबार पर दिल्ली (Delhi) में छिड़ी सियासी जंग पंजाब (Punjab) तक आएगी. सीबीआई (CBI) जांच की आंच पंजाब में पैग से पैसा बनाने वाले बड़े खिलाड़ियों तक आनी लाजिमी भी है. इसके दो कारण हैं- पहला ये कि आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार ने पंजाब (Punjab) में दिल्ली की शराब नीति ही लागू की और दूसरा दिल्ली में शराब सप्लाई करने वाली दो बड़ी कंपनियों को पंजाब में भी शराब की थोक सप्लाई का लाइसेंस दिया गया है. इनमें से एक ब्रिंडको (Brindco) कंपनी है. ब्रिंडको वही कंपनी है जिसके मालिक अमनदीप ढल्ल को सीबीआई ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के साथ नामजद किया है. 


पंजाब में ज्यादा बिकने वाले शराब के ब्रांड की सप्लाई ब्रिंडको करती है. सीबीआई की एफआईआर में आरोप है कि ब्रिंडको के मालिक अमनदीप ढल्ल ने अफसरों से सांठगांठ कर आबकारी नीति बनाने और उसे लागू करने में गड़बड़ियां करवाई. ब्रिंडको 100 करोड़ की कंपनी है. ब्रिंडको दिल्ली के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में रजिस्टर्ड है. पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद पिछले महीने जुलाई में नई एक्साइज पॉलिसी लागू हुई है. 


कई पहलूओं की होगी जांच


ब्रिंडको ने पंजाब में बड़े स्तर पर शराब सप्लाई करने का एल-वन लाइसेंस लिया है. ब्रिंडको का ऑफिस और गोदाम लुधियाना में है. अगर दिल्ली में ब्रिंडको का कारोबार सीबीआई जांच के दायरे में है तो पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद ब्रिंडको ने अपना कारोबार कैसे फैलाया इसकी जांच भी होगी. सीबीआई यह पड़ताल भी कर रही है कि ब्रिंडको और अन्य कंपनियों ने अपने फायदे के लिए कैसे आबकारी नीति के नियम कायदों में हेरफेर करवाया? क्या ऐसा सिर्फ दिल्ली में हुआ या पंजाब में भी?  


एलजी के दखल से खुला मामला


एक्साइज पॉलिसी की कलई दिल्ली के नए उपराज्यपाल विनय सक्सेना की चिट्ठी पर खुली थी. एलजी की चिट्ठी पर केन्द्रीय गृहसचिव अजय कुमार भल्ला ने सीबीआई जांच की सिफारिश की. 20 जुलाई को गृहसचिव को भेजे पत्र में गड़बड़ियों का जिक्र किया. एलजी ने पत्र में लिखा था कि दिल्ली सरकार ने आबकारी नीति में कई गड़बड़ियां की हैं. लाइसेंस होल्डर को टैंडर मिलने के बाद फायदे पहुंचाए गए हैं. एलजी की सलाह या आज्ञा के बिना कैबिनेट ने एक्साइज पॉलिसी में कई बदलाव किए हैं. नियमों के उलट जाकर एक कंपनी को 30 करोड़ रिफंड किए गए. एयरपोर्ट रेंज में ठेके लेने वाले लाइसेंस धारक को एयरपोर्ट अथॉरिटी से परमिशन नहीं मिली तो उसका पैसा सरकार ने वापस कर दिया जबकि पॉलिसी में रिफंड का प्रावधान नहीं है.


मनीष सिसोदिया के घर हुई छापेमारी


दिल्ली सरकार ने बिना इजाजत विदेशी बीयर पर प्रति पेटी 50 रुपये आयात फीस हटाई. कोरोना का हवाला देकर एक महीने की लाइसेंस फीस माफ की इससे 144 करोड़ का घाटा हुआ. लाइसेंस धारकों को कारोबार के लिए एक महीने का अतिरिक्त समय दिया गया. एलजी की इस चिट्ठी पर गृह मंत्रालय ने मामला सीबीआई को सौंपा और शुक्रवार को सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और एक्साइज पॉलिसी से जुड़े तत्कालीन अफसरों और शराब कंपनियों के ठिकानों पर छापेमारी की. 


मामला सड़क से लेकर हाईकोर्ट तक गया


असल में पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद दावा किया गया था कि नई एक्साइज पॉलिसी आने से राज्य में राजस्व जुटाने के नए आयाम स्थापित होंगे. दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी से ग्राहकों को शराब सस्ती मिलेगी और पंजाब के खजाने में 10 हजार करोड़ रुपए आएंगे. दिल्ली की शराब का कारोबार करने वाली कुछ कंपनियां पंजाब में भी सुपर एल-वन लाइसेंस ले गई. पुराने शराब कारोबारियों ने नई एक्साइज पॉलिसी का ना सिर्फ विरोध किया बल्कि मामला सड़क से हाईकोर्ट तक लेकर गए. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट भी नई एक्साइज पॉलिसी पर सुनवाई कर रहा है. 


पंजाब में नई एक्साइज पॉलिसी में एल-वन की सालाना लाइसेंस फीस 25 लाख से बढ़ाकर 5 करोड़ की गई. एल-वन मेन डिस्ट्रीब्यूटर होता है. एल-वन से ही दुकानों में शराब की सप्लाई देता है. पिछले साल पंजाब में 80 एल-वन थे जबकि इस साल अभी तक 15 एल-वन ही हैं. ये राज्य की 6378 दुकानों पर शराब सप्लाई करते हैं. एल-वन लेने के लिए कंपनी की सालाना टर्नओवर 30 करोड़ और दो साल का अनुभव होना चाहिए. 


क्या कहना है पंजाब सरकार का


पंजाब में एक्साइज पॉलिसी बदलने की वजह राज्य को 9647 करोड़ राजस्व मिलना, शराब सस्ती करना ताकि चंडीगढ और हरियाणा से तस्करी रुके, बताई गई हैं. कहा जा रहा है कि दिल्ली (Delhi) में नई एक्साइज पॉलिसी से करीब 3500 करोड़ के राजस्व का घाटा हुआ है. सरकार ने दावा 9000 करोड़ रुपये कमाने का किया था, लेकिन 6000 करोड़ ही जमा हो पाए, लेकिन पंजाब (Punjab) सरकार कह रही है कि नई एक्साइज पॉलिसी से उसके खजाने में पहले महीने 885 करोड़ रुपये आए हैं. 


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