Uniform Civil Code Issue: देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड के मसले को लेकर जोरदार बहस छिड़ी हुई है. पीएम मोदी (PM Modi) के हालिया बयान के बाद ये मुद्दा सुर्खियों में आ गया है. यूसीसी को लेकर पीएम मोदी ने कहा था कि एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पायेगा क्या? ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा. यूसीसी (UCC) पर राजनीतिक दलों की ओर से भी मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है.


कुछ विपक्षी दल भी इसके समर्थन में हैं तो बीजेपी के कुछ सहयोगी दल इसके खिलाफ हो गए हैं. आपको बताते हैं कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने को लेकर कितनी पार्टियां इसके पक्ष में हैं और कौन-कौन विरोध कर रहा है. साथ ही एनडीए और यूपीए के दलों का इस पर क्या रुख है. 


एनडीए की दो पार्टियों ने किया विरोध


बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए यानी नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस में शामिल लगभग सभी पार्टियां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के समर्थन में हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का वादा बीजेपी के मेनिफेस्टो में शामिल है. चर्चा है कि मोदी सरकार आगामी मानसून सत्र में इससे जुड़ा बिल पेश कर सकती है. एनडीए में से केवल मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी और तमिलनाडु की एआईएडीएमके ने यूसीसी का विरोध किया है. 


एनपीपी ने यूसीसी पर कही ये बात


कॉनराड संगमा ने यूसीसी का विरोध करते हुए कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड भारत के वास्तविक विचार के विपरीत है. भारत एक विविधतापूर्ण देश है और विविधता ही हमारी ताकत है. एक राजनीतिक दल के रूप में, हमें एहसास है कि पूरे पूर्वोत्तर में अनूठी संस्कृति है और हम चाहेंगे कि वह बनी रहे. यूसीसी ड्राफ्ट की वास्तविक सामग्री को देखे बिना डिटेल्स में जाना मुश्किल होगा. 


एआईएडीएमके भी समान नागरिक संहिता के खिलाफ


एआईएडीएमके ने भी समान नागरिक संहिता पर अपना रुख साफ कर दिया है. पार्टी का कहना है कि यूसीसी संभावित रूप से भारत में अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचा सकता है. एआईएडीएमके महासचिव एडप्पादी पलानीस्वामी ने कहा है कि यूसीसी पर हमारा रुख वही है जो 2019 के चुनाव घोषणापत्र का था. 


शिरोमणि अकाली दल भी विरोध में


एनडीए के पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने सैद्धांतिक रूप से यूसीसी का विरोध किया है और ऐसे कानून की आवश्यकता पर सवाल उठाया है. शिरोमणि अकाली दल के दिल्ली के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने कहा है कि भविष्य के किसी भी तरह के गठबंधन की सोच से पहले बीजेपी को यूसीसी को सिरे से खारिज करना होगा. उन्होंने इसकी निंदा करते हुए कहा कि बिना कोई ड्राफ्ट सामने रखे, लॉ कमीशन धार्मिक संस्थाओं से समान नागरिक संहिता पर सलाह कैसे मांग सकता है. 


क्या है विपक्षी दलों का रुख?


अब विपक्षी दलों की बात करें तो कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए यानी यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस में शामिल दलों में से कुछ ने खुलकर यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध किया है. जबकि कुछ दल इसके समर्थन में हैं. इसके अलावा जो विपक्षी दल यूपीए का हिस्सा नहीं हैं उनमें कुछ पार्टियों को छोड़कर बाकी सभी दल यूनिफॉर्म सिविल कोड के विरोध में हैं. 


कांग्रेस ने यूसीसी को लेकर क्या कुछ कहा?


कांग्रेस ने कहा है कि समान नागरिक संहिता न तो आवश्यक है और न ही वांछनीय है. पार्टी ने आरोप लगाया है कि विधि आयोग का यूसीसी पर नये सिरे से जनता की राय लेने का प्रयास मोदी सरकार की जल्दबाजी को दर्शाता है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि बीजेपी सरकार अपनी विफलताओं पर से ध्यान भटकाने और ध्रुवीकरण के एजेंडे को जारी रखने के लिए ये सब कर रही है. जब कोई मसौदा आएगा या चर्चा होगी, तो पार्टी उसमें भाग लेगी, लेकिन पार्टी अभी इस पर कायम है कि यूसीसी इस समय अवांछनीय है. 


डीएमके ने खुलकर किया यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध


यूपीए की सहयोगी पार्टी डीएमके के चीफ और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने यूसीसी को लेकर बीजेपी की आलोचना करते हुए दावा किया कि पार्टी चुनाव से पहले किए गए किसी भी वादे को पूरा करने में विफल रही है. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का प्रस्ताव बीजेपी का विरोध करने वालों से बदला लेने के लिए किया गया है.


उन्होंने कहा कि बीजेपी तानाशाह शासन चलाने के लिए धर्म और सनातन को थोप रही है. देश में पहले से ही सिविल और क्रिमिनल कोड हैं, लेकिन वे इसे हटाना चाहते हैं और बीजेपी की विचारधारा को शामिल करने के लिए यूसीसी लागू करना चाहते हैं. 


जेडीयू ने क्या कहा?


एनडीए छोड़कर यूपीए में शामिल हुई बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने कहा है कि वो यूसीसी के विरोध में नहीं है. जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा है कि उनकी पार्टी और नीतीश कुमार समान नागरिक संहिता का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि चाहते हैं कि सबको साथ मिलाकर और चर्चा करके यूसीसी पर आगे बढ़ना चाहिए. उन्होंने ये भी बीजेपी इसे इसलिए मुद्दा बना रही है क्योंकि लोकसभा चुनाव करीब है. 


टीएमसी यूसीसी के खिलाफ


पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने खुलकर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का विरोध किया है. पार्टी का कहना है कि यूसीसी देश की एकता, विविधता, बहुसंस्कृतिवाद और धर्मनिरपेक्षता के लिए गंभीर खतरा है. टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि टीएमसी ऐसी किसी भी चीज का समर्थन नहीं करेगी जो लोकतंत्र के सार और संविधान की भावना को नुकसान पहुंचाएगी. 


आरजेडी भी समान नागरिक संहिता के पक्ष में नहीं


बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी यूसीसी का विरोध किया है. पार्टी ने कहा कि समान नागरिक संहिता वास्तव में न तो वांछनीय है और न ही आवश्यक. इसका उपयोग राजनीति के लिए किया जा रहा है. राजद नेता मनोज झा ने कहा है कि ये हिंदू-मुस्लिम मुद्दा नहीं है, कई लोग इसे इस रूप में चित्रित करने की कोशिश कर रहे हैं. वे (बीजेपी) हिंदुओं में विविधता के बारे में क्या करेंगे? इसमें हमारे आदिवासियों की परंपराएं भी शामिल हैं. 


शिवसेना का शिंदे गुट समर्थन में


शिवसेना के दोनों गुट यूसीसी के समर्थन में नजर आ रहे हैं. शिवसेना (शिंदे गुट) एनडीए का हिस्सा है और इसने खुलकर यूसीसी समर्थन किया है. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने समान नागरिक संहिता को बिना शर्त समर्थन दिया और इसे जल्द लागू करने की बात कही. 


उद्धव ठाकरे गुट ने क्या कहा?


वहीं शिवसेना (यूबीटी) भी यूसीसी पर केंद्र सरकार का समर्थन कर सकती है. उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड चुनावी शिगूफा है. ये किसी एक धर्म के लिए नहीं है, ये पूरे देश के लिए है. जब ड्राफ्ट आएगा तब इसपर चर्चा होगी. अगर कोई कानून देश के लिए आता है तो इसपर चर्चा करेंगे. ड्राफ्ट आने दीजिए, कोई भी कानून का विरोध नहीं कर रहा है. इस पर हमारी बैठक में चर्चा हुई है. 


एनसीपी का क्या कहना है?


महाराष्ट्र की एक और बड़ी पार्टी एनसीपी में अभी विभाजन हुआ है. पार्टी दो गुट में बंट गई है- एक अजित पवार का गुट और दूसरा शरद पवार का. अजित पवार गुट एनडीए में शामिल हो गया है और यूसीसी का समर्थन कर सकता है. जबकि शरद पवार गुट ने अभी तक यूसीसी पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है. पार्टी में हुई बगावत से पहले एनसीपी नेता नसीम सिद्दीकी ने कहा था कि वर्तमान में, हम न तो यूसीसी का समर्थन करते हैं और न ही यूसीसी का विरोध करते हैं. समाज और हितधारकों के साथ चर्चा की जरूरत है. 


आम आदमी पार्टी यूसीसी के समर्थन में


आम आदमी पार्टी यूसीसी के समर्थन में बयान दे चुकी है. आप नेता संदीप पाठक ने कहा कि आप सैद्धांतिक रूप से समान नागरिक संहिता के समर्थन में है, लेकिन सभी धर्म-संप्रदायों के साथ इसे लेकर चर्चा करने के बाद एक आम सहमति बनाई जानी चाहिए. संविधान का अनुच्छेद कहता है कि यूसीसी होना चाहिए. 


बहुजन समाज पार्टी ने क्या कहा?


बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी स्पष्ट किया कि वह समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के विचार का विरोध नहीं करती है, लेकिन जिस तरह से बीजेपी और उसकी सरकार इसे देश में लागू करना चाहती है उसका समर्थन नहीं करती है. बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि इसे सर्वसम्मति और जागरूकता के माध्यम से लागू किया जाना चाहिए. 


तेलंगाना की पार्टियों का क्या कहना?


तेलंगाना के सीएम चन्द्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने यूसीसी पर रुख साफ नहीं किया है. पार्टी अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. जबकि एआईएमआईएम ने यूसीसी का विरोध किया है. एआईएमआईएम के चीफ और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड की देश में कोई जरूरत नहीं है. ये देश विविधताओं से भरा हुआ है, लेकिन केंद्र सरकार चुनावी फायदे के लिए इसे लागू करना चाहती है. इसका हम विरोध करते हैं. 


महबूबा मुफ्ती ने क्या कहा?


जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए पूछा है कि अगर यूसीसी कानून बनता है तो धर्मेंद्र से दूसरी शादी को लेकर क्या बीजेपी सांसद हेमा मालिनी जी को बीजेपी जेल भेजेगी. केंद्र किस कानून के तहत समान नागरिक संहिता के जरिए एकरूपता लाएंगे? हमारे पास समान आपराधिक संहिता है, लेकिन बिलकिस बानो के बलात्कारियों को रिहा कर दिया गया. 


उमर अब्दुल्ला ने यूसीसी पर कही ये बात


नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के बहाने बीजेपी सरकार अल्पसंख्यकों को निशाने पर लेने का इरादा रखती है. केंद्र सरकार बहुसंख्यकवाद के सिद्धांत पर चल रही है और हम यूसीसी का ड्राफ्ट आने के बाद ही इस पर अंतिम फैसला लेंगे, लेकिन अभी के हालात देखते हुए सरकार की मंशा पर शक हो रहा है.


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