Green Corridors To Transport 2 Live Hearts: 48 घंटे में तीन शहरों में चार अलग-अलग जीरो-ट्रैफिक ग्रीन कॉरिडोर (Zero-Traffic Green Corridor) बनाए गए ताकि दो दिलों को दिल्ली से पुणे और अहमदाबाद से दिल्ली समय पर पहुंचाया जा सके. इसमें से एक दिल दिल्ली आर्मी हॉस्पिटल में डोनेट किया गया था, जोकि पुणे पहुंचाया गया. वहीं, दूसरा दिल अहमदाबाद के एक अस्तपाल में डोनेट किया गया था, जो अहमदाबाद से दिल्ली लाया गया. 


नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (NOTTO) ने बताया कि अहमदाबाद में एक डोनर का दिल लेने के लिए दिल्ली एयरपोर्ट से एम्स तक एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया था. हार्ट सर्जरी के लिए दूसरे दिल को ग्रीन कॉरिडोर के जरिए दिल्ली से पुणे पहुंचाया गया. ये काम भारतीय एयरफोर्स के विमान की मदद से किया गया. इसके लिए पुणे में भी ग्रीन कॉरीडोर की व्यवस्था की गई थी. पुणे एयरपोर्ट से दिल को आर्मी अस्तपाल में ले जाया गया.


दिल्ली से पुणे पहुंचाया पूर्व सैनिक का दिल 


दिल्ली से पुणे के लिए फ्लाइट का समय 98 मिनट था. डॉक्टरों ने कहा कि दिल निकालने के चार घंटे के अंदर आमतौर पर हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है. यह दिल एक 40 साल के पूर्व सैनिक विवेकानंद शर्मा का था, जिन्हें सड़क हादसे के बाद ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था और उनके परिवार ने उनके दिल को दान कर दिया था. इनके दिल को पुणे पहुंचाया गया. 


6 मिनट का ग्रीन कॉरिडोर 


11 फरवरी को 6 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए पालम स्टेशन तक छह मिनट का ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया और इसे पुणे एयर पोर्ट से सेना के अस्पताल तक ले जाने में 17 मिनट का और समय लगा. विवेकानंद शर्मा का मध्य प्रदेश के भिंड जिले में 8 फरवरी को एक्सीडेंट हुआ था. हालत गंभीर होने पर उन्हें 9 फरवरी को सिविल अस्पताल से दिल्ली के आरएंडआर अस्पताल रेफर किया गया. यहां डॉक्टरों ने अगले ही दिन उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. 


दिल्ली एयरपोर्ट से एम्स तक बनाया ग्रीन कॉरिडोर 


अगले ही दिन रविवार (12 फरवरी) को एक और दिल ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली एयरपोर्ट से एम्स तक एक और ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया. इसकी मदद से 18.2 किलोमीटर की दूरी महज 18 मिनट में तय की गई. अधिकारियों ने बताया कि एक 39 साल के डोनर का दिल दिल्ली से अहमदाबाद लाया गया, जोकि 32 साल के एक युवक को लगना था.


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