'शादी करना दिक्कत नहीं, मुझे शादी के साथ जो जिम्मेदारियां आती हैं उससे डर लगता है. क्या हो अगर मैं शादी के बाद नए घर में एडजस्ट ना कर सकूं या फिर नए परिवार का ख्याल उस तरह से नहीं रख सकूं जिसकी उन्हें उम्मीद है.' ये कहना है 22 साल की अनुपम का जो एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करती हैं. शादीशुदा या अविवाहित? इस सवाल के जवाब में अनुपम कहती हैं, 'मैं शादी नहीं करना चाहती, लेकिन जिंदगी में एक ऐसा साथी जरूर होना चाहिए जिसके साथ आप क्वालिटी टाइम बिता सकें. हालांकि प्यार में कामयाब होना आज के समय में कोयले के बीच हीरा निकालने जैसा मुश्किल हो गया है. इसलिए फिलहाल मैंने अकेले यानी सिंगल रहने का फ़ैसला किया है.
अभी हाल में ही टीवी सीरियलों में काम कर चुकीं एक अभिनेत्री ने खुद से शादी कर ली थी. उनका ये फैसला अगले दिन सोशल मीडिया का हॉट टॉपिक बन चुका था. 24 साल की कनिष्का सोनी ने जब सोशल मीडिया पर बिना पति के सुहागन बनने वाली तस्वीर डाली तो हर कोई उन्हें जज करने लगा. कुछ लोगों ने इसे वेस्टर्न कलचर का प्रभाव बताया तो कुछ का कहना था कि इस तरह की हरकतों से समाज में शादी की सिरियसनेस कम हो रही है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि शादी हमारे समाज में दो लोगों और उनके परिवार के बीच होने वाला 'संस्कार' माना जाता है.
इस बीच केरल हाईकोर्ट ने भी अपनी एक सुनवाई में शादी की बदलती परिभाषा पर टिप्पणी की. उन्होंने एक सुनवाई के दौरान कहा, "आजकल की युवा पीढ़ी शादी के बंधन को एक बुराई की तरह लेती है, जिसे वह बिना किसी दायित्व या दायित्वों के मुक्त जीवन का आनंद लेने के लिए टाल रहे हैं. वे 'वाइफ इन्वेस्टमेंट फॉर एवर' की पुरानी परंपरा को बदलकर 'लिव-इन रिलेशनशिप' की तरफ बढ़ रहे हैं. 'यूज एंड थ्रो' कल्चर ने हमारे वैवाहिक रिश्तों को भी प्रभावित किया है. यही वजह है कि देश में अब लिव-इन-रिलेशनशिप के मामले बढ़ रहे हैं और वैवाहिक कपल बड़ी संख्या में अलग हो रहे हैं.
सुनवाई के दौरान जस्टिस ए. मोहम्मद मुश्ताक और जस्टिस सोफी थॉमस की खंडपीठ ने कहा, "केरल को भगवान का देश कहा जाता है, यह परंपराओं को निभाने वाला राज्य भी है, लेकिन वर्तमान में युवा जिम्मेदारी लेने से बचने या स्वार्थी वजहों से शादी के रिश्तों को तोड़ रहे हैं. यहां तक की उन्हें अपने बच्चों की भी परवाह नहीं है. जब वैवाहिक संबंध में लड़ाइयां और हताशा हमारी आबादी के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लेते हैं तो सामाजिक शांति पर प्रभाव पड़ता है.''
जस्टिस की इस टिप्पणी पर AbP ने कुछ युवाओं और सीनियर सिटिजन से बातचीत कर इस बारे में उनका क्या सोचना है ये जानने की कशिश की. मास्टर्स की पढ़ाई कर रही छात्र अनमोल ने कहा कि, ''मुझे नहीं लगता कि लिव इन में रहने या शादी से पहले एक दूसरे को जानने की कोशिश विवाह के परंपरा को कमजोर करती है. शादी की कड़वी सच्चाई ये भी है कि विवाह जहां हमारे समाज में संस्कार माना जाता है वहीं ये 'समझौता' मात्र भी है. समझौता अपनी खुशियों से, समझौता अपने करियर से, समझौता अपनी पसंद से और कई बार समझौता अपनी उस निजी आजादी से भी जो शादी से पहले किसी भी युवा की अपनी सबसे प्रिय चीज होती है.''
वहीं अब तक दर्जनों शादियां करा चुके इवेंट मैनेजर सितेश आनंद ने कहा कि ''इस मामले में हम जस्टिस की टिप्पणी को सही या गलत नहीं ठहरा सकते हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है कि हर किसी के रिश्ते अपने पार्टनर्स के साथ अलग-अलग होते हैं. बस देखने के नजरिए का फर्क है. लिव इन में रहने का फैसला गलत नहीं हैं. हालांकि आज की जेनरेशन में सहनशीलता की कमी है. पुरानी शादी में जिस तरह पति-पत्नी तमाम असहमतियों के बाद भी एक साथ रहने को तैयार हो जाते थे, अब ऐसा नहीं होता. इसे सही या गलत नहीं ठहरा सकते. सबका अपनी जिंदगी जीने का अपना नजरिया है.''
59 साल की नितिभा ने कहा कि ''भारत एक ऐसा देश है जिसे वहां की विविधताओं और संस्कृति के लिए जाना जाता रहा है. अगर हम वेस्टर्न कलचर को अपनाने के चक्कर में अपनी नीव ही भूल जाएं तो ये फ्यूचर जेनेरेशन के लिए लॉस है. हमें हर हाल में अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए.''
वहीं 35 साल के सूरज ने कहा कि ''हमारा देश तमाम कल्चर से भरा हुआ है. एक तरफ जहां शादी को सात जन्मों का बंधन माना जाता है. वहीं दूसरी तरफ आपको रिश्ते से निकलने की भी आजादी दी जाती है. हां ये जरूर है कि आज की युवा पीढ़ी जिम्मेदारियों को निभाने से बचती है. उन्होंने कहा कि मैंने अपने कईं दोस्तों के रिश्ते टूटते और बनते देखें है. अरेंज से लेकर लव मैरिज होते देखी है. लेकिन ये जरूरी नहीं कि हर वैवाहिक रिश्ता टूट रहा है.''
भारत में बढ़ता चलन
वहीं प्रैक्टिशनर वकील प्रशांत ने कहा कि ''कोर्ट की टिप्पणी और तमाम सहमतियों और असहमतियों के बीच भारत में युवाओं में ‘लिव इन रिलेशनशिप’ की स्वीकार्यता बढ़ रही है. शायद इसलिए भी क्योंकि यह धर्म, जाति, वर्ग और नस्ल के परे जाकर सम्बन्धों को मान्य करता है. हालांकि ज्यादात्तर मामलों में लिव इन में रहने का फैसला शादी से पहले एक दूसरे को समझने से ज्यादा आकर्षण के कारण लिया जाता है. ये भी कारण है इन दिनों यंग कपल का रिलेशन ज्यादा नहीं चल पा रहा. कुछ दिनों तक तो सब ठीक लगता है, लेकिन धीरे-धीरे दोनों के बीच झगड़े बढ़ने लगते हैं''. हाल ही में पुलिस महिला सुरक्षा शाखा की एक रिसर्च से ये पता चला था कि मध्यप्रदेश में साल 2019, 2020 और 2021 के दौरान ‘लिव इन’ में रहने वाली महिलाओं ने सबसे ज्यादा रेप के मामले दर्ज कराएं हैं. इन तीन सालों में कुल 14 हजार 476 मामले रेप के दर्ज मामले दर्ज किए गए, इनमें से 85 परसेंट मामले लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े थे. दर्ज किए गए ज्यादातर मामलों में ये देखने को मिला कि पुरुष महिलाओं को शादी करने का झांसा देकर ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहने के लिए तैयार कर लेते हैं. लेकिन इससे हम ये नहीं कह सकते कि 'लिव इन' शादी के मायने कम कर रहा है.