नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप केस में फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के चारों गुनहगारों की फांसी की सजा बरकरार रखी है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप को 'सुनामी ऑफ शॉक' करार दिया. कोर्ट ने पुलिस के सभी सबूतों को माना है और कहा है कि घटना को सुनते हुए लगता है कि ये किसी दूसरे ग्रह की घटना है. सुप्रीम कोर्ट से पहले निचली अदालत और हाई कोर्ट ने दोषियों को फांसी को फांसी की सज़ा दी थी.


 


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषियों ने पीड़ित की अस्मिता लूटने के इरादे से उसे सिर्फ मनोरंजन का साधन समझा.

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खडपीठ ने दो अलग अलग लेकिन परस्पर सहमति व्यक्त करते हुये सर्वसम्मति के निर्णय में दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला बरकरार रखा जिसने चारों दोषियों को मौत की सजा देने के निचली अदालत के निर्णय की पुष्टि की थी.




राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कर ली थी आत्महत्या

इस निर्णय के बाद अब मुकेश, पवन, विनय शर्मा आरै अक्षय कुमार सिंह को मौत की सजा दी जायेगी. इस सनसनीखेज वारदात के छह अभियुक्तों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि छठा अभियुक्त किशोर था. उसे तीन साल तक सुधार गृह में रखने की सजा सुनायी गयी थी.

यह भी पढ़ें- निर्भया को इंसाफ: मां-बाप से लेकर सीएम योगी तक जानें किसने क्या कहा?

पीठ ने अपने फैसले में दोषियों के हाथों सामूहिक बलात्कार की शिकार हुयी इस छात्रा के साथ इस अपराध के बाद उसके गुप्तांग में लोहे की राड डालने, चलती बस से उसे और उसके पुरूष मित्र को फेंकने और फिर उन पर बस चढाने का प्रयास करने जैसे दिल दहलाने वाले अत्याचारों के विवरण का जिक्र किया है.

यह भी पढ़ें- निर्भया की मां ने कहा- देर है अंधेर नहीं, हर पीड़ित लड़की के लिए लड़ती रहूंगी लड़ाई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़ित ने संकेतों के सहारे मृत्यु से पूर्व अपना बयान दिया क्योंकि उसकी हालत बहुत ही खराब थी परंतु उसके इस बयान में तारतम्यता थी जो संदेह से परे सिद्ध हुयी. पीठ ने यह भी कहा कि पीडित और दोषियों की डीएनए प्रोफाइलिंग जैसे वैज्ञानिक साक्ष्य भी घटना स्थल पर उनके मौजूद होने के तथ्य को सिद्ध करते हैं.

यह भी पढ़ें- निर्भया कांड फैसला : हर शब्द था महत्वपूर्ण, फैसला सुनते ही तालियों से गड़गड़ा गया कोर्टरूम

पीठ ने कहा कि चारों दोषियों, राम सिंह और किशोर की आपराधिक साजिश साबित हो चुकी है. इस वारदात के बाद उन्होंने पीडित और उसके दोस्त को बस से बाहर फेंकने के बाद उनपर बस चढा कर सबूत नष्ट करने का प्रयास किया.

न्यायालय ने यह भी कहा कि पीड़ित के साथ बस में यात्रा करने वाले उसके दोस्त और अभियोजन के पहले गवाह की गवाही अकाट्य और भरोसेमंद रही. चारों दोषियों ने अपनी अपील में दिल्ली हाई कोर्ट के 13 मार्च, 2014 के फैसले को चुनौती दी थी. इस फैसले में हाई कोर्ट ने चारों दोषियों को मौत की सजा सुनाने के निचली अदालत के निर्णय की पुष्टि की थी.

16 दिसंबर 2012 को हुआ क्या था?


16 दिसंबर 2012 को 23 साल की फिजियोथेरेपी छात्रा निर्भया अपने एक दोस्त के साथ फिल्म लाइफ ऑफ़ पाई देखने गई. रात साढ़े 9 बजे वो दिल्ली के मुनिरका में एक चार्टर बस में सवार हुई. बस में सवार ड्राइवर समेत 6 लोग दरअसल मौज-मस्ती के इरादे से निकले थे. उन्होंने चलती बस में निर्भया का गैंगरेप किया और उसके दोस्त की जमकर पिटाई की.


गैंगरेप के दौरान निर्भया के साथ जानवरों से भी बदतर बर्ताव किया. उसके गुप्तांग में लोहे का सरिया तक डाला गया. जिससे उसकी आंत बाहर निकल आई थी. अस्पताल में दो हफ्ते इलाज के बाद भी  निर्भया को बचाया नहीं जा सका. और आखिरकार 29 दिसंबर 2012 को उसकी मौत हो गयी थी.


इससे पहले कोर्ट कार्यवाही में क्या हुआ?
इस मामले में निचली अदालत ने 10 सितंबर 2013 को फैसला सुनाया था. उसने 4 दोषियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय फांसी की सजा दी थी. इन चारों को बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार, डकैती और हत्या का दोषी माना गया. 13 मार्च 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस सज़ा को बरकरार रखा था. इस मामले में कुल 6 आरोपी थे. एक आरोपी राम सिंह की मुकदमे के दौरान मौत हो गई थी. जबकि एक आरोपी नाबालिग था. इसलिए, उसे बाल सुधार गृह भेजा गया. वो 3 साल सुधार गृह में बिताकर रिहा हो चुका है.