Farmers Protest LIVE Updates: सिंघु बॉर्डर पहुंचे CM अरविंद केजरीवाल, बोले- अगर किसान 'राष्ट्रद्रोही' हो गया तो तुम्हारा पेट कौन भरेगा?
दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन का 32 वां दिन: केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने सरकार से बातचीत का फैसला किया है. किसान संगठनों ने 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे सरकार से अगले दौर की बातचीत का प्रस्ताव दिया है. हालांकि, बातचीत को लेकर किसान संगठनों ने सरकार के सामने शर्तें रखी हैं. किसान आंदोलन से जुड़ी पल पल की अपडेट के लिए बनें रहें एबीपी न्यूज़ के साथ...
हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने प्रधानमंत्री से दूसरों की बात सुनने की अपील की. गुरनाम सिंह हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष हैं और किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले प्रमुख नेताओं में शामिल हैं. थाली बजाकर 'मन की बात' रेडियो कार्यक्रम का विरोध करते हुए किसान नेता ने मोदी को संबोधित करते हुए कहा, ''हम आपके मन की बात से राजी नहीं हैं. आप अपने मन की बात करते हैं, लेकिन दूसरों की बात नहीं सुनते हैं.''
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार अड़ियल रवैया छोड़े, क्योंकि सशर्त बातचीत का कोई मतलब नहीं है. उनका कहना है कि अगर कानून वापस नहीं लिए जाते हैं तो आंदोलनकारी किसान भी घर वापस नहीं जाएंगे.
दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों ने मन की बात शुरू होते ही हाथों में ड्रम और थालियां लेकर बजाना शुरू कर दिया. किसानों का कहना है कि, मोदी जी के मन की बात का हम विरोध करते हैं. सरकार जब तक कानून वापस नहीं लेती, हम इसी तरह प्रधानमंत्री का विरोध करते रहेंगे. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रिय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कोरोना थाली बजाने से भागेगा, उसी तरह किसान भी थाली बजा रहें हैं ताकि कृषि कानूनों को भगाया जाए.
गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन पर बैठे किसानों के साथ अब घर के छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हो गए हैं. ऑनलाइन क्लासेज सर्दियों की छुट्टियों के लिए बंद हैं. ऐसे में कुछ बच्चे गांव से अपने बड़े बुजुर्गों के पास आंदोलन वाली जगह पहुंच गए हैं. बच्चों का कहना है कि जब तक छुट्टियां हैं यहीं रहेंगे.
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में शामिल भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत को जान से मारने की धमकी मिली है. शिकायत पर शनिवार को प्राथमिकी दर्ज की गई. नगर पुलिस अधीक्षक (द्वितीय) ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि टिकैत के निजी सहायक अर्जुन बालियान ने शिकायत दर्ज कराई कि एक अज्ञात कॉलर ने किसान नेता को जान से मारने की धमकी दी.
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि किसान आंदोलन को राजस्थान की जनता ने तो ठेंगा बता दिया है और अभी यह दिन मैं अपने गांव जा रहा था तो बीच में रुक कर मैंने देखा जो किसान आंदोलन कर रहे हैं. उनके कैंप में जाकर कि वह कैसे किसान है और क्या-क्या व्यवस्था है. वहां देखा कि राउटर लगे हुए हैं, बड़ी सी एलईडी लगी हुई है, गर्म पानी होने की मशीनें लगी हुई है, यह तो वीआईपी आंदोलन है. टेंट में हर जगह कम्युनिस्टों के झंडे लगे हुए हैं, इससे पूर्व हमने भी किसानों के आंदोलन किए थे तो हमारे सामने कई बड़ी समस्या रहती थी खाने के लिए रोटी भी नहीं मिलती थी लेकिन यहां पर तो रसोड़ा चल रहे हैं.
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी का बड़ा बयान दिया है. अडानी अंबानी के साथ-साथ बाबा रामदेव के उत्पादों का भी बहिष्कार करने का ऐलान किया है. वहीं सभी किसान समर्थकों को 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात के दौरान थाली बजाने की अपील की गई है. उन्हें प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान थाली बजाते रहने को कहा गया है.
पंजाब के गुरदासपुर-तरनतारन से 20 हजार से ज्यादा किसानों का जत्था जींद पहुंच गया है. आज दिल्ली पहुंचेंगे. हजारों की संख्या में महिलाएं भी साथ हैं. किसानों ने कहा, पंजाब और हरियाणा के टोल प्लाजा फ्री रहेंगे. पंजाब के बाद किसानों ने हरियाणा के टोल प्लाजा भी पक्के तौर पर फ्री किए.
किसान संगठनों ने 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे सरकार से अगले दौर की बातचीत का प्रस्ताव दिया है. लेकिन किसान संगठनों ने सरकार के सामने चार शर्तें भी रखी हैं. किसानों की पहली शर्त है कि सरकार तीनों नए कृषि कानून रद्द करें. दूसरी शर्त है कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी दी जाए. तीसरे शर्त में बिजली बिल ड्राफ्ट में बदलाव की मांग है. चौथी शर्त है कि पराली कानून से किसनों को बाहर रखा जाए.
भाजपा ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को ‘खूनखराबे’ में बदलना चाहती है. भाजपा महासचिव दुष्यंत गौतम ने कहा कि लुधियाना से कांग्रेस के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने मीडिया में बयान दिया कि किसानों का प्रदर्शन खत्म नहीं होगा और 'अपने लक्ष्य को पाने के लिए हम लाशों के ढेर लगा देंगे, खून बहाएंगे और किसी भी हद तक जाएंगे.'
दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन का आज 32वां दिन है. दिल्ली की तीन सीमाओं - सिंघू, टिकरी और गाजीपुर में हजारों किसान लगभग एक महीने से डेरा डाले हुए हैं. वे सितंबर में लागू तीन कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द करने और एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं.
हजारों की तादात में किसानों के साथ दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले एनडीए के सहयोगी और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा को अब अपना जवाब देना होगा. बेनीवाल ने कहा, "लगभग 2 लाख किसान मेरे साथ दिल्ली के लिए मार्च कर रहे हैं और इस दौरान हम एनडीए के साथ हमारे गठबंधन के बारे में भी निर्णय लेंगे. यदि कृषि कानून वापस नहीं लिए जाते हैं, तो हम एनडीए के साथ अलग होने की घोषणा करेंगे."
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने ऐलान किया है कि वह किसान आंदोलन के समर्थन में आज जयपुर से लेकर दिल्ली तक हजारों की तादात में किसानों को लेकर मार्च करेंगे. केंद्र में भाजपा के साथ गठबंधन करने वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक बेनीवाल ने अपनी एक सभा में दावा किया था कि वह 2 लाख से अधिक किसानों को लेकर दिल्ली कूच करेंगे.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "एमपी में कृषि कानूनों को लेकर कोई भ्रम नहीं है, यहां के किसान प्रधानमंत्री के साथ हैं. हम कांट्रैक्ट फार्मिंग में एक व्यवस्था कर रहे हैं कि किसान, कंपनी या व्यापारी को एक प्रोफॉर्मा देंगे. उस प्रोफॉर्मा को हम तैयार कर रहे हैं, प्रोफॉर्मा पर किसान, कंपनी या व्यापारी के हस्ताक्षर होंगे और प्रोफॉर्मा SDM के यहां जमा किया जाएगा. ताकि किसान के साथ कोई धोखा न हो सके."
केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है. उन्होंने कहा है कि कानून वापस लेना नामुमकिन है. आठवले ने अपने चिरपरिचित अंदाज में पंचलाइन देते हुए कहा- "कानून वापस लेना नहीं आसान, फिर क्यों कर रहे हो आंदोलन किसान. आने वाले बजट सेशन में कृषि कानूनों में कुछ सुधार हो सकता है. ऐसे में किसानों को सरकार के प्रस्ताव को मानकर आंदोलन खत्म करना चाहिए. मुझे लगता है कि तीनों कानून किसानों के भले के लिए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई राज्यों के किसानों के साथ बात करते हुए उनकी शंकाएं दूर की हैं."
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा, "किसान को किसानी करनी है या मजदूरी करनी है, ये निर्णय केंद्र सरकार को करना होगा. इस मुद्दे पर हम एकजुट हैं, जब तक हम में ताकत है, हम विरोध करते रहेंगे. केंद्र सरकार ने किसानों को जो धोखा दिया है, उसका खामियाजा सरकार को उठाना पड़ेगा."
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील की है. उन्होंने कहा है कि मंच पर आकर सरकार से बात करें. इन कानूनों में उन्हें जो ऐतराज है, उसपर बात करें. सरकार मानने के लिए तैयार है, सरकार ने कई प्रावधानों को बदलने के लिए कहा भी है.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील की है. उन्होंने कहा है कि मंच पर आकर सरकार से बात करें. इन कानूनों में उन्हें जो ऐतराज है, उसपर बात करें. सरकार मानने के लिए तैयार है, सरकार ने कई प्रावधानों को बदलने के लिए कहा भी है.
प्रधानमंत्री के शुक्रवार को हुए भाषण के बाद आज दोपहर 2 बजे सयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी. इस बैठक के दौरान शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण और सरकार की और से भेजी गई चिट्ठी पर भी चर्चा होगी.
दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन का आज 31वां दिन है. सिंघु बॉर्डर पर आम किसानों ने प्रधानमंत्री के इस भाषण पर अपनी नाखुशी व्यक्त की है. किसानों ने कहा है कि प्रधानमंत्री लगातार ऐसी बातें कर रहे हैं जिससे आम जनता को लगे कि किसान राजनीति से प्रभावित है और विपक्ष के बहकावे में हैं लेकिन ये सच नहीं है. किसानों ने कहा है कि किसी मंच पर किसी नेता को आने नहीं दिया गया है और न विपक्ष पीछे से हमें प्रभावित कर रहा है. किसान कष्ट सह कर शांतिपूर्वक अपनी मांग को लेकर अपना आंदोलन कर रहे हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले दिनों अनेक राज्य़ों, चाहे असम हो, राजस्थान हो, जम्मू-कश्मीर हो, इनमें पंचायतों के चुनाव हुए.इनमें प्रमुखत ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने, किसानों ने ही भाग लिया. उन्होंने एक प्रकार से किसानों को गुमराह करने वाले सभी दलों को नकार दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- सरकार किसान के साथ हर कदम पर खड़ी है.किसान चाहे जिसे अपनी उपज बेचना चाहे, सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि एक मजबूत कानून किसानों के पक्ष में खड़ा रहे. उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल जिन्हें देश की जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से नकार दिया है, वो आज कुछ किसानों को गुमराह करके जो कुछ भी कर रहे हैं,उन सभी को बार-बार नम्रता पूर्वक सरकार की तरफ से अनेक प्रयासों के बावजूद भी किसी न किसी राजनीतिक कारण से ये चर्चा नहीं होने दे रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बीते कुछ महीनों में करीब 2.5 करोड़ छोटे किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ा गया है. हम मछली पालकों, पशुपालकों को भी अब किसान क्रेडिट कार्ड दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज नए कृषि सुधारों को लेकर असंख्य झूठ फैलाए जा रह हैं.कुछ लोग किसानों के बीच भ्रम फैला रहे हैं कि MSP समाप्त की जा रही है.कुछ लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि मंडियों को बंद कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मैं आपको फिर ध्यान दिलाना चाहता हूं कि इन कानूनों को लागू हुए कई महीने बीत गए हैं, क्या आपने देश के किसी एक भी कोने में एक भी मंडी बंद होने की खबर सुनी है?
पीएम मोदी ने कहा कि इन कृषि सुधार के जरिए हमने किसानों को बेहतर विकल्प दिए हैं. इन कानूनों के बाद आप जहां चाहें जिसे चाहें अपनी उपज बेच सकते हैं.
आपको जहां सही दाम मिले आप वहां पर उपज बेच सकते हैं. पीएम ने कहा कि देश के किसान को इतने अधिकार मिल रहे हैं तो इसमें गलत क्या है? पीएम ने कहा कि अगर किसानों को अपनी उपज बेचने का विकल्प ऑनलाइन माध्यम से पूरे साल और कहीं भी मिल रहा है तो इसमें गलत क्या है?
पीएम मोदी ने कहा कि 2014 में सरकार बनने के बाद हमारी सरकार ने नई अप्रोच के साथ काम करना शुरू किया.हमने देश के किसान की छोटी छोटी दिक्कतों, कृषि के आधुनिकीकरण और उसे भविष्य की ज़रूरतों के लिए तैयार करने पर ध्यान दिया.हमारी सरकार ने प्रयास किया कि देश के किसान को फसल की उचित कीमत मिले.हमने लंबे समय से लटकी स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, लागत का डेढ़ गुना एमएसपी किसानों को दिया. पहले कुछ ही फसलों पर एमएसपी मिलती थी, हमने उनकी भी संख्या बढ़ाई.
पंजाब के किसानों को गुमराह करने के लिए आपके पास समय है, केरल में यह व्यवस्था शुरू कराने के लिए आपके पास समय नहीं है.क्यों आप लोग दोगली नीति लेकर चल रहे हो. उन्होंने कहा कि किसानों के नाम पर अपने झंडे लेकर जो खेल खेल रहे हैं, अब उनको सच सुनना पड़ेगा.ये लोग अखबार और मीडिया में जगह बनाकर, राजनीतिक मैदान में खुद के जिंदा रहने की जड़ी- बूटी खोज रहे हैं.ये वही लोग हैं जो वर्षों तक सत्ता में रहे.इनकी नीतियों की वजह से देश की कृषि और किसान का उतना विकास नहीं हो पाया जितना उसमें सामर्थ्य था.पहले की सरकारों की नीतियों की वजह से सबसे ज्यादा बर्बाद छोटा किसान हुआ.
आंदोलनकारी किसान संगठन आज बैठक कर केंद्र के पत्र पर बातचीत कर सकते हैं दिल्ली की सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं पर किसानों के 40 संगठनों का ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ की आज दिन में बैठक हो सकती है जिसमें केंद्र के पत्र पर चर्चा कर औपचारिक रूप से इसका जवाब देने के लिए विचार-विमर्श हो सकता है. आंदोलनरत किसान संघों ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि वार्ता के लिए केंद्र सरकार का ताजा पत्र केवल यह धारणा बनाने के लिए किसानों के खिलाफ किया जा रहा दुष्प्रचार है कि उनकी बातचीत में दिलचस्पी नहीं है. किसानों ने बातचीत फिर शुरू करने के लिए एजेंडा में नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के विषय को शामिल करने की मांग की है.
किसान आंदोलन का आज 30वां दिन है. केन्द्रीय कृषि कानूनों पर केन्द्र सरकार की तरफ से दिए गए संशोधन के प्रस्ताव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया. संगठनों ने कहा कि हम सरकार से आग्रह करते हैं जिन प्रस्तावों को हमने खारिज कर दिया है उसे नहीं दोहराएं बल्कि लिखित में ठोस प्रस्ताव के साथ आएं. किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि हम गृह मंत्री अमित शाह को पहले ही बता चुके हैं कि प्रदर्शनकारी किसान संशोधनों को स्वीकार नहीं करेंगे.
केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के विरोध में एक तरह दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से करीब 40 किसान संगठनों का धरना-प्रदर्शन चल रहा है. वहीं दूसरी ओर, कानून का समर्थन करने वाले किसान संगठनों का रोज केंद्रीय कृषि मंत्री से मिलने का सिलसिला जारी है. इसी कड़ी में गुरुवार को किसान सेना से पहले किसान मजदूर संघ, बागपत (उत्तर प्रदेश) के प्रतिनिधियों ने यहां कृषि भवन में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की. दोनों संगठनों के प्रतिनिधियों ने नए कृषि सुधारों को मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम बताया.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने गुरुवार को किसानों के आंदोलन को लेकर सरकार की जमकर खिंचाई की. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ 'गलत व्यवहार' कर रही है और इसका हल तभी निकाला जा सकता है जब सरकार किसानों की मांगों को सुनने के लिए तैयार हो. उन्होंने यह भी कहा कि इस सरकार के खिलाफ किसी भी असंतोष को आतंक के रूप में देखा जाने लगा है. दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को दो करोड़ लोगों के हस्ताक्षर के ज्ञापन के साथ कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रपति भवन कूच कर रहे कई कांग्रेस नेताओं को हिरासत में ले लिया था, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल थीं.
राहुल गांधी ने कहा- अभी मैं कुछ दिन पहले विपक्ष के नेताओं के साथ राष्ट्रपति से मिले थे. राष्ट्रपति से हमने कहा कि यह कानून किसान विरोधी कानून हैं. इससे मजदूरों और किसानों का नुकसान होने वाला है. देश को दिख रहा है कि किसान कानून के खिलाफ खड़े हैं. प्रधानमंत्री को यह नहीं सोचना चाहिए कि किसान वापस चले जाएंगे, यह नहीं जाएंगे. प्रधानमंत्री को संयुक्त सत्र बुलाकर कानूनो को वापस लेना चाहिए. इन कानूनों को वापस लेना ही पड़ेगा. हम तीन लोग राष्ट्रपति के पास गए लेकिन करोड़ों हस्ताक्षर लेकर गए. यह देश की आवाज है. सर्दी का समय है, किसान आंदोलन कर रहे हैं और मर भी रहे हैं. आज मैं एडवांस में बोल रहा हूं किसान और मजदूर के सामने कोई शक्ति खड़ी नहीं हो सकती. अगर कानून वापस नहीं हुए तो सिर्फ आरएसएस और बीजेपी को ही नहीं देश को नुकसान होने जा रहा है. नरेंद्र मोदी जी का एक ही लक्ष्य है कि दो चार बड़े उद्योगपतियों के लिए पैसा बनाना. जो लोग मोदी जी के खिलाफ खड़े होते हैं उनके खिलाफ कुछ ना कुछ बोलते हैं. किसान को आतंकवादी कहते हैं, कल को मोहन भागवत भी उनके खिलाफ खड़े हो गए तो उन्हें भी आतंकवादी बोल देंगे.
राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा कि ये कानून किसान विरोधी है. उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहता हूं कि जबतक ये कानून वापस नहीं लिया जाता तबतक किसान घर नहीं जाएगा. उन्होंने कहा हम किसानों के साथ डटकर खड़े रहेंगे. हम किसान की आवाज राष्ट्रपति तक पहुंचाने गए थे.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और अन्य कांग्रेस नेताओं को हिरासत में लेकर मंदिर मार्ग थाने पर लाया गया है. कांग्रेस नेता थाने के बाहर ही थाने पर बैठ गए हैं. प्रियंका ने सरकार पर अलोकतांत्रिक रवैये का आरोप लगाया है. वो भी धरने पर बैठी हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब से केंद्र सरकार की तरफ से कृषि बिल लाया गया है तब से कांग्रेस इसका विरोध कर रही है.
दिल्ली पुलिस ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और अन्य कांग्रेस नेताओं को हिरासत में लेकर मंदिर मार्ग थाने पर भेजा है. वहीं राहुल गांधी के साथ अधीर रंजन चौधरी और गुलाब नबी आजाद के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात कर 2 करोड़ हस्ताक्षर वाला ज्ञापन सौंप दिया है.
दिल्ली पुलिस ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत अन्य कांग्रेस नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया. राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस नेता कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रपति को 2 करोड़ हस्ताक्षर का ज्ञापन सौंपने जा रहे थे.प्रियंका ने कहा कि बीजेपी की सरकार किसानों के पेट पर लात मार रही है और हमारा कर्तव्य है कि हम किसानों के साथ खड़े रहें इसलिए हम लोग अपना कर्तव्य निभाएंगे. हम पीछे नहीं हटेंगे.
चाणक्यपुरी की ACP प्रज्ञा ने कहा कि जिन नेताओं को राष्ट्रपति भवन से अनुमति मिली है हम उनको राष्ट्रपति भवन जाने देंगे. बता दें कि केवल तीन नेताओं को राष्ट्रपति से मिलने की इजाजत मिली है. नई दिल्ली इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है और राष्ट्रपति भवन के पास सुरक्षा को बढ़ाया गया है. कांग्रेस कार्यलय पर नेताओं को राष्ट्रपति भवन ले जाने वाली बसों को वहां से हटा दिया गया है.
राष्ट्रपति भवन जाने के लिए राहुल गांधी कांग्रेस मुख्यालय पहुंच चुके हैं, राहुल के साथ बहन प्रियंका गांधी भी मौजूद हैं. केवल तीन नेताओं को राष्ट्रपति से मिलने की इजाजत मिली है. नई दिल्ली इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है और राष्ट्रपति भवन के पास सुरक्षा को बढ़ाया गया है. वहीं विजय चौक पर भरा संख्या में पुलिस बल तैनात है.
कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने कहा कि हम सभी सांसद आज राहुल गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रपति से मिलने जाएंगे और हमने इन कानूनों के खिलाफ 2.5 करोड़ के करीब जो हस्ताक्षर कराए हैं उस ज्ञापन को राष्ट्रपति को सौंपेंगे. राहुल गांधी कांग्रेस नेताओं के साथ विजय चौक से राष्ट्रपति भवन जाने वाले हैं. हालांकि कांग्रेस को राष्ट्रपति भवन जाने की इजाजत नहीं मिली है. जिसके बाद अब कांग्रेस दफ्तर के आसपास दिल्ली पुलिस ने धारा 144 लगा दी है.
राष्ट्रपति भवन जाने के लिए राहुल गांधी कांग्रेस मुख्यालय पहुंच चुके हैं, राहुल के साथ बहन प्रियंका गांधी भी मौजूद हैं. राहुल समेत तमाम नेता बस से विजय चौक तक जाएंगे और वहां से मार्च करते हुए राष्ट्रपति भवन जाएंगे. पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं सांसद आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दो करोड़ हस्ताक्षरों के साथ ज्ञापन सौंपेंगे जिसमें केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने का आग्रह किया जाएगा.
कांग्रेस कार्यलय पहुंचे नेता शशि शरूर ने कहा कि कांग्रेस किसानों आंदोलन की आड़ में राजनीति नहीं कर रही है बल्कि उनकी आवाज उठा रही है.
राष्ट्रपति से मुलाकात के पहले राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि भारत के किसान ऐसी त्रासदी से बचने के लिए कृषि-विरोधी क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं. इस सत्याग्रह में हम सबको देश के अन्नदाता का साथ देना होगा. कांग्रेस ने 2 करोड़ किसानों के हस्ताक्षर जुटाने का दावा किया है.
राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल आज राष्ट्रपति से मुलाकात करेगा. कांग्रेस कार्यलय में दो बसें मंगाई गई हैं जिससे प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेता राष्ट्रपति भवन जाएंगे. दिल्ली पुलिस ने राहुल गांधी को राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकालने की इजाजत नहीं दी है और कांग्रेस कार्यालय के आस-पास धारा 144 लगा दी गई है. राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि भारत के किसान ऐसी त्रासदी से बचने के लिए कृषि-विरोधी क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं. इस सत्याग्रह में हम सबको देश के अन्नदाता का साथ देना होगा.
कृषि कानूनों को खिलाफ मार्च निकालने की राहुल गांधी को इजाजत नहीं मिली है. दिल्ली पुलिस ने कांग्रेस कार्यलय के आस-पास धारा 144 लगा दी है. राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि भारत के किसान ऐसी त्रासदी से बचने के लिए कृषि-विरोधी क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं.इस सत्याग्रह में हम सबको देश के अन्नदाता का साथ देना होगा.
बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि सरकार किसानों से अब भी बातचीत कर रही है औऱ आगे भी करेगी. लेकिन हम लोगों को सावधान रहना होगा क्योंकि किसानों के बीच घुसकर कुछ लोग अपना एजेंडा चलाने की कोशिश कर रहे हैं. बता दें कि सरकार और किसानों के बीच बातचीत के कई दौर हो चुके हैं पर उसका कोई परिणाम नहीं निकल पाया है. किसान लगातार आंदोलने तेज करने की चेतावनी दे रहे हैं.
भारतीय किसान यूनियन के बिंदर सिंह गोलेवाला ने कहा कि जब तक काले कानून रद्द नहीं हो जाते तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा, हमारे हौंसले बुलंद हैं. सरकार जितनी जल्दी हो सके ये कानून रद्द कर दे नहीं तो संघर्ष और बढ़ा होगा. हमें दुनिया का सहयोग मिल रहा है. किसान आंदोलन का 29वां दिनः केन्द्रीय कृषि कानूनों पर केन्द्र सरकार की तरफ से दिए गए संशोधन के प्रस्ताव को किसान संगठनों ने बुधवार को खारिज कर दिया. संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसले के बाद सिंघु बॉर्डर पर कहा कि किसानों का फ़िलहाल सरकार से बैठक का मन नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आगामी 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत मिलने वाले वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया कि एक बटन दबाकर मोदी नौ करोड़ से अधिक किसान लाभार्थियों के खातों में 18,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित करेंगे. बयान में कहा गया कि इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री छह राज्यों के किसानों के साथ संवाद भी करेंगे. पीएम-किसान और केंद्र सरकार की अन्य कृषि कल्याण की योजनाओं को लेकर किसान अपने अनुभव प्रधानमंत्री से साझा करेंगे. इस योजना के तहत हर साल तीन किस्तों में किसानों के खातों में 6000 रुपये भेजे जाते हैं. 2,000 रुपये की राशि तीन किस्तों में भेजी जाती है।.यह कार्यक्रम ऐसे समय हो रहा है जब दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग को लेकर पिछले कुछ हफ्तों से प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार का दावा है कि ये तीनों कानून किसानों के हित में हैं.
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा- कृषि कानूनों को वापस करने के अनुरोध वाले हस्ताक्षर देशभर से इकट्ठे किए गए हैं. यह आज राहुल गांधी की अगुवाई वाले कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल की तरफ से राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा.केन्द्र की तरफ से लाए गए तीन नए कृषि सुधार संबंधी कानूनों के विरोध में हजारों की तादाद में राजधानी दिल्ली और इसके आसपास आकर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने एक बार फिर सरकार से कानूनों की वापसी की मांग की है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल द्वारा किसान 20 दिसंबर को लिखे पत्र का जवाब देते हुए मोर्चा की तरफ से क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब के डॉ. दर्शनपाल ने बुधवार को कहा कि आपने 9 दिसंबर 2020 को जो लिखित प्रस्ताव भेजे थे वो 5 दिसंबर की वार्ता में दिए गए उन मौखिक प्रस्तावों का दोहराव भर है, जिन्हें हम पहले ही खारिज कर चुके हैं. हालांकि उन्होंने आगे पत्र में यह भी कहा है कि प्रदर्शनकारी किसान और किसान संगठन सरकार से वार्ता के लिए तैयार है और इंतजार कर रहे हैं कि सरकार कब खुले मन, खुले दिमाग और साफ नीयत से इस वार्ता की आगे बढ़ाए.
सिंघु बॉर्डर पर किसान मजदूर संघर्ष समिति के सरवन सिंह ने कहा- सरकार ने अपना रूख साफ कर दिया है कि वे कानूनों को वापस नहीं लेंगे. उन्होंने इस बारे में एक पत्र जारी किया है कि अगर किसान इन कानूनों में संशोधन चाहते हैं तो उन्हें चर्चा के लिए समय और तारीख देना चाहिए. सरवन सिंह ने आगे कहा कि यह आगे लेकर जाने का रास्ता नहीं बल्कि किसानों को भटकाने की चाल है. एक सामान्य आदमी यह सोचेगा कि किसान किसान अड़े हुए हैं लेकिन हम किसान कानूनों में कोई संशोधन नहीं चाहते हैं. वह पूरी तरह से इसकी वापसी चाहते हैं.
राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिल कर कृषि कानूनों के खिलाफ इकट्ठा किए गए दो करोड़ हस्ताक्षर सौपेंगा. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं सांसद आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दो करोड़ हस्ताक्षरों के साथ ज्ञापन सौंपेंगे जिसमें केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने का आग्रह किया जाएगा. पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक बयान में यह आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने पहले कृषि विरोधी कानून बनाकर किसानों को दर्द दिया और अब उसके मंत्री अन्नदाताओं का अपमान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कृषि विरोधी कानूनों को लेकर चल रहे सतत विरोध को आगे बढ़ाने और मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने कानूनों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हस्ताक्षर अभियान शुरू किया था.
बैकग्राउंड
नई दिल्ली: केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने शनिवार को सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला किया. अगले दौर की वार्ता के लिए 29 दिसंबर की तारीख का प्रस्ताव दिया, ताकि नए कानूनों को लेकर बना गतिरोध दूर हो सके. संगठनों ने साथ ही यह स्पष्ट किया कि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा एजेंडा में शामिल होना चाहिए.
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक में यह फैसला किया गया. इस फैसले से एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर दिया था कि उनकी सरकार अपने कटु आलोचकों समेत सभी से बातचीत के लिये तैयार है, लेकिन यह बातचीत 'तर्कसंगत, तथ्यों और मुद्दों' पर आधारित होनी चाहिये. उन्होंने केन्द्र और किसानों के बीच वार्ता में गतिरोध के लिये राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर निशाना भी साधा था.
इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी प्रदर्शनकारी किसानों से चर्चा के जरिए अपने मुद्दों का हल करने का आग्रह किया. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल को लिखे पत्र में मोर्चा ने कहा, "हम प्रस्ताव करते हैं कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे हो."
किसान नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह स्पष्ट किया कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा सरकार के साथ बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए. किसान संगठनों ने हालांकि अपना आंदोलन तेज करने का भी फैसला किया और उन्होंने 30 दिसंबर को सिंघू-मानेसर-पलवल (केएमपी) राजमार्ग पर ट्रैक्टर मार्च आयोजित करने का आह्वान किया था.
सरकार और किसानों के बीच कब-कब बातचीत हुई
सबसे पहले अक्टूबर में पंजाब के किसान संगठनों के नेताओं के साथ 14 अक्टूबर को कृषि सचिव से वार्ता हुई थी. इसके बाद 13 नवंबर को यहां विज्ञान-भवन में केंद्रीय मंत्रियों के साथ उनकी वार्ता हुई, जिसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलमंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश मौजूद थे.
सरकार के साथ तीसरे, चौथे और पांचवें दौर की वार्ताएं क्रमश: एक दिसंबर, तीन दिसंबर और पांच दिसंबर को विज्ञान भवन में ही हुईं, जिनमें तीनों मंत्री मौजूद थे. इसके बाद आठ दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक के बाद सरकार की ओर से किसान संगठनों के नेताओं को कानूनों में संशोधन समेत अन्य मसलों को लेकर सरकार की ओर से एक प्रस्ताव नौ दिसंबर को भेजा गया, जिसे उन्होंने नकार दिया दिया था.
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