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ABP News Bureau | Updated at : 03 Dec 2019 12:30 PM (IST)
12:24 PM (IST) • 03 Dec 2019
स्वाति मालिवाल ने अनशन पर बैठने को लेकर कहा है कि पुलिस कह रही है कि उनके पास ऊपर से आदेश हैं कि वह हमें अनशन पर न बैठने दें. मैं अपराधी नहीं हूं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली पुलिस सहयोग नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि चाहे जो हो जाए वह अनशन से नहीं उठेंगी.
11:42 AM (IST) • 03 Dec 2019
मथुरा से बीजेपी सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी ने कहा है, ‘’सरकार को तुरंत एक्शन लेना चाहिए. दोषियों को खत्म करो. लोगों में डर होना चाहिए. बिलकुल सोच बदलनी चाहिए. लोग अध्यात्म की ओर बढ़ रहे हैं, फिर भी सोच नहीं बदल रही. ये कलयुग है.’’
11:41 AM (IST) • 03 Dec 2019
राज्य सभा में बीजेपी सांसद सरोज पाण्डेय ने कहा है, ‘’घटना दुखद है. जिसकी बच्ची गई है शायद वही समझ सकता है. सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में जो कदम उठाए हैं, उन कदमों के बावजूद भी इस तरह की घटनाएं हो रही हैं तो मुझे लगता है कि लोगों के बीच में डर नहीं है. कानून का भय नहीं है. कानून का भय नहीं होने कारण यह घटनाएं हो रही है. ऐसा लगता है कि इन घटनाओं को रोकने के लिए बेहद जरूरी है कि एक टाइम लिमिट में जो कानून बने हैं, उनको इंप्लीमेंट करें.’’
11:39 AM (IST) • 03 Dec 2019
राज्यसभा सांसद विप्लव ठाकुर ने कहा है, ‘’कोई भी घटना तब तक नहीं रुकेगी, जब तक एक तय वक्त में दोषियों को सजा नहीं मिलेगी. मेरा तो कहना है कि दोषियों को 6 महीने में सजा मिल जानी चाहिए. मेरा तो सुझाव यह है कि एक बार अगर सेशंस कोर्ट से दोषियों को सजा मिल जाती है तो फिर उसके बाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वक्त नहीं लगना चाहिए. निर्भया मामले की तरह नहीं होना चाहिए कि दोषियों की दया याचिका 7 साल तक लंबित रहे.
11:38 AM (IST) • 03 Dec 2019
केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने एबीपी न्यूज़ से कहा है, ‘’महिलाओं और अपनी बेटियों की सुरक्षा में हम फेल हो रहे हैं. मैं अपने कॉलेज के दिन याद करती हूं. बेटियों से आज बसों में छेड़छाड़ हो रही है. हम नाकाम साबित हो रहे हैं. निर्भया जैसी घटना और कानून में बदलाव के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा. आउट ऑफ बॉक्स समाधान सोचने होंगे. बलात्कार पीड़िता की उम्र जितनी है उतने महीनों में सज़ा सुनिश्चित हो. दो महीने की बच्ची यदि पीड़िता है तो दो महीने में दोषी को सज़ा दी जाए. इसके लिए ज़रूरी हो तो अदालतें एक्स्ट्रा वक्त में काम करें. संवेदनशीलता से कार्रवाई न करने वाले पुलिसवालों को भी सज़ा मिले. रेप के मामले में मर्सी पिटीशन का प्रावधान न हो. आज सांसद भी महसूस कर रहे हैं कि कानून अपना काम नहीं कर रहा. ऐसे में लोग कानून अपने हाथ में लेने को मजबूर होंगे.’’