Live: शाहीन बाग मामले में वार्ताकारों ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट, 26 फरवरी को होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त वार्ताकार प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटने के लिए समझा पाने में नाकाम रहे हैं.जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ की बेंच ने माना था कि प्रदर्शन करना जनता का अधिकार है लेकिन इससे लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए.

एबीपी न्यूज़ Last Updated: 24 Feb 2020 12:10 PM
शाहीन बाग में सड़क खाली करवाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त दोनों वार्ताकारों ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट सौंपने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई दो दिनों के लिए टाल दी है. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 26 फरवरी को करेगा.
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में जारी धरना-प्रदर्शन के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए दो वार्ताकारों की एक टीम नियुक्त की थी. बता दें कि प्रदर्शन का आज 72वां दिन है.
शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन के कारण दिल्‍ली को नोएडा और फरीदाबाद से जोड़ने वाली सड़क पर ट्रैफिक बंद पड़ा हुआ है. इसी सड़क को खुलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.
शाहीन बाग का रास्ता खाली कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त दोनों वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन अंतिम दिन रविवार को प्रदर्शनस्थल पर नहीं पहुंचे. आज दोनों वार्ताकार अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को देंगे.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त मध्यस्थ संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन कई बार शाहीन बाग स्थित प्रदर्शन स्थल पर जा चुके हैं. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और मध्यस्थों के बीच बातचीत हुई. लेकिन अब तक इसका कोई नतीजा नहीं निकला है.

बैकग्राउंड

नई दिल्ली: दिल्ली के शाहीन बाग में दो महीने से ज़्यादा समय से चल रहे प्रदर्शन को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. इन याचिकाओं में दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाली अहम सड़क के बंद हो जाने से लाखों लोगों को हो रही दिक्कत का सवाल उठाया गया है. पिछले हफ्ते कोर्ट ने सड़क बंद किए जाने को गलत बताते हुए वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन को प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए कहा था. वकील प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटने के लिए समझा पाने में नाकाम रहे हैं. शाहीन में एक ओर जहां दो महीने से ज्यादा समय से विरोध प्रदर्शन चल रहा है, वहीं प्रदर्शन के कारण सड़कें बंद होने से कई लोग नाराज और परेशान हैं. रविवार को कुछ लोगों ने शाहीन बाग पहुंचकर इस प्रदर्शन के खिलाफ विरोध जताया और सड़क खुलवाने की मांग की. सुनवाई दोपहर 12 बजे के करीब शुरू होगी.


 


सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने के लिए तीन वार्ताकारों को नियुक्त किया. ये लोग हैं- वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन, पूर्व चीफ इंफोर्मेशन ऑफिसर वजाहत हबीबुल्लाह. इन लोगों ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के साथ मुलाकात की लेकिन सड़क से हटने के लिए समझा पाने में नाकाम रहे.


 


पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने रविवार को कहा कि दिल्ली के शाहीन बाग में जिस सड़क पर सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले बैठे हैं, वहां से उनको जबरन शिफ्ट करना उनकी सुरक्षा से समझौता होगा. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी हलफनामा दायर करके कहा है कि पुलिस ने शाहीन बाग के आसपास के पांच स्थानों पर नाकेबंदी की है. अगर इन अवरोधों को हटा दिया जाता है तो यातायात सामान्य हो जाएगा.


 


जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ की बेंच ने माना था कि प्रदर्शन करना जनता का अधिकार है लेकिन इससे लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए. पब्लिक रोड को ब्लॉक करना परेशानी पैदा करता है.


 


कौन हैं वार्ताकार-


 


संजय हेगड़े-


 


संजय सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं और 1989 से वकालत के पेशे में हैं. 1989 में उन्होंने एलएलबी की पढाई बॉम्बे विश्वविद्यालय से की और फिर 1991 में एलएलएम की पढ़ाई भी यहीं से की. हाल ही में दो बार उनका ट्विटर भी ब्लॉक कर दिया गया था. एक बार उन्होंने एंटी नाजी पिक्चर पोस्ट की थी और एक बार हिंदी कवि गोरख पांडे की कविता पोस्ट की थी. आपको बता दें कि कई हाई प्रोफाइल मामलों में संजय वकील रह चुके हैं. राष्ट्रीय नागरिकता सूची से निकाले गए लोगों, मॉब लिंचिंग के मामलों और मुंबई के आरे जंगल के पक्ष में वे सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीलें रख चुके हैं. संजय टीवी की बहसों में भी दिखाई देते हैं.


 


साधना रामचंद्रन-


 


साधना भी सीनियर एडवोकेट हैं जो मध्यस्थता के लिए जानी जाती हैं. 1978 से वे सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं. वे मानवाधिकार आयोग से जुड़ी रही हैं और कई बड़ी जांचों का भी हिस्सा रही हैं. वे एक संगठन 'माध्यम इंटरनेशनल' की सीनियर वाइस प्रेसीडेंट हैं. इस संगठन का उद्देश्य मध्यस्थता मुहैया कराना है. साल 2006 से वे एक प्रोफेशनल मध्यस्थ हैं और कई बड़े मामलों में अपने सेवाएं दे चुकी हैं. इन मामलों में मध्यस्थता के निर्देश अदालतों ने दिए थे.


 


वजाहत हबीबुल्लाह-


 


वजाहत हबीबुल्लाह 1968 बैच के आईएएस थे जो अगस्त 2005 में रिटायर हुए थे. वे भारत के पहले मुख्य सूचना आयुक्त भी रहे हैं. यही नहीं वे राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं. वजाहत, पंचायती राज मंत्रालय में भारत सरकार के सचिव रहे हैं. सीएए की संवैधानिक वैधता पर गंभीर आपत्तियों को लेकर नौकरशाहों ने जो खुला खत लिखा था उसमें वजाहत का नाम भी शामिल था. अगस्त 2019 में जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में विभाजित कर केंद्र शासित प्रदेश बनाया था तब भी वजाहत ने इसकी आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि ऐसा करके लोगों की ताकत को कम किया जा रहा है.


 


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