ठंड से द्रास में हुआ जीना बेहाल, कहीं ATM मशीन हुई खराब तो कहीं टमाटर जमकर बना पत्थर
द्रास में 20 दिसंबर को पारा माइनस 29 डिग्री तक लुढ़क गया. जिसके चलते नदी नाले जम गए, सड़के शीशे की तरह फिसलन वाली बन गयी और टेक्नोलॉजी भी ठंड के सामने फ़ेल हो गयी है.
द्रास: दिसंबर का महीना आते ही उत्तर भारत में ठंड का मौसम शुरू हो जाता है और लोग गरम कपडे़ और गर्मी के लिए हीटर का इस्तेमाल शुरू कर देते हैं, लेकिन देश के उत्तरी छोर पर बसे लदाख में जीवन ही मानो ठंड के चलते जम जाता है.
लदाख में दुनिया की दूसरी सबसे ठंडी जगह द्रास भी है जहां न्यूनतम पारा माइनस 60 तक लुढ़क चुका है. यह 1994 में हुआ था उसके बाद अभी तक कुदरत इस इलाके पर थोड़ा मेहरबान रहा है और पारा इतना नीचे नहीं गया. लेकिन इस बार द्रास में 20 दिसंबर को पारा माइनस 29 डिग्री तक लुढ़क गया. जिसके चलते नदी नाले जम गए, सड़के शीशे की तरह फिसलन वाली बन गयी और टेक्नोलॉजी भी ठंड के सामने फ़ेल हो गयी.
द्रास के बाजार में एक बैंक का एटीएम है जहां पर आम दिनों में लोग ज़रूरत के हिसाब से जाते हैं और पैसे निकाल लेते हैं, लेकिन ठंड के आगे यह एटीएम भी जम गए हैं. मोहमद अली पैसे निकालने के लिए एटीएम पहुंचे लेकिन मशीन ने पैसे नहीं दिए क्यूंकि ठंड के चलते मशीने का मोटर जम गया है और मशीन बेकार हो गया है.
कुछ यही हाल एक फ़ोटोस्टेट की दूकान चलाने वाले अल्ताफ हुसैन का है. अल्ताफ की दूकान ठंड के चलते चल नहीं पा रही है. क्योंकि उनकी जेरॉक्स की मशीन ठंड से जम जाती है और इसको स्टार्ट करने के लिए पहले गर्म करने वाला मोटर को शुरू करना होता है.
लेकिन इससे भी बुरा हाल खाने पीने की चीज़े बेचने वालो का है. सब्ज़ी और मीट की दूकान हमेशा खुले में ही लगती है और यहां ठंड के चलते जहां नदी नालो में पानी जम जाता हो सब्ज़ियों का क्या हाल होगा इस बात के बारे में आप अंदाजा लगा सकते हैं.
खुले में रखे टमाटर बर्फ के गोले बन गए हैं हथोड़े से भी मारने पर टमाटर को कुछ नहीं होता. मतलब इस को पकाने से पहले टमाटर को काटना टेडी खीर हो चुका है. टमाटर को आरी से काटने पर बर्फ निकलने लगती है लेकिन टमाटर नहीं कटता है.
कुछ यही हाल कटे चिकन और आलू का हो गया है चिकेन को काटने के आधे घंटे के अंदर उसका हाल ऐसा हो जाता है कि मानो डीप फ्रीजर से निकाला गया है और आलू तो गोल गोल पत्थर बन चुके हैं.
लदाख को बाकी देश से जोड़ने वाली ज़ोजिला सड़क भी बर्फ के चलते बंद ही रहती है और इसके कारण इलाके में ताज़ा सब्ज़ियों का आना लगभग ना के बराबर हो गया है.
कारगिल में रहने वाले असगर अली का कहना है कि ठंड तो पहले भी पड़ती थी लेकीन इस बार बर्फ कम गिरी है और कम बर्फ के चलते पहाड़ों पर से आने वाली बर्फीली हवाओ के चलते ठंड और ज़्यादा पड़ रही है. कोरोना काल में यह ठंड ना सिर्फ इंसानो के लिए खतरनाक है साथ ही साथ ये जानवरों के लिए भी जानलेवा बन सकती है.
आज भी कारगिल में पारा माइनस 25 रिकॉर्ड हुआ है, जबकि द्रास में पारा माइनस 27 के नीचे है. मौसम विभाग के अनुसार आने वाले 48 घंटो में इलाके में फिर से बर्फ गिरेने की सम्भावना है जिस के बाद ठंड का प्रकोप और ज़्यादा बढ़ गया.