Quota in Reservation: केंद्रीय मंत्री और एलजेपी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का विरोध किया, जिसमें राज्यों को 15 प्रतिशत कोटे के एक हिस्से के लिए अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग में क्रीमी लेयर बनाए जाने की अनुमति दी गई है. चिराग सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने से पहले समर्थन जुटाने के लिए विभिन्न दलों के अनुसूचित जाति के सांसदों की बैठक बुलाने की योजना बना रहे हैं.
हालांकि, लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के नेता चिराग पासवान पहले ही फैसले से अपनी असहमति जता चुके हैं. उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर करेगी. सूत्रों ने कहा कि पासवान ने फैसले पर अनुसूचित जाति के सांसदों के विचार जानने के लिए उनसे संपर्क किया है. कोर्ट के इस फैसले का दूरगामी राजनीतिक प्रभाव पड़ सकता है. जिसमें कई प्रमुख राष्ट्रीय दलों ने इस मसले पर चुप्पी साध रखी है.
SC सांसदों को लामबंद करेंगे चिराग
वहीं, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान जल्द ही इस पर चर्चा के लिए अनुसूचित जाति के सांसदों की एक औपचारिक बैठक बुला सकते हैं. हालांकि, यह देखा जाना बाकी है कि विभिन्न दलों के अनुसूचित जाति के सांसदों की प्रतिक्रिया क्या होती है. इनमें से कई ने अपने लोकसभा क्षेत्रों की स्थिति के आधार पर अलग-अलग रुख अपनाया है. पासवान या मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) जैसी पार्टियां सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ खुलकर सामने आ गई हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जीतन राम मांझी ने की तारीफ
इस बीच एनडीए के एक अन्य सहयोगी दल हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने फैसले की सराहना करते हुए कहा कि मांझी समुदाय को आरक्षण से मिलने वाले लाभों में 'बहुत कम प्रतिनिधित्व' मिला है. क्योंकि नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में ज्यादातर पदों पर संपन्न अनुसूचित जाति के समुदाय का कब्जा है.
जीतन राम मांझी ने आगे कहा कि, "क्रीमी लेयर और सब-कोटा को लेकर हमने कैबिनेट में रहते हुए भी इन मुद्दों पर चर्चा की है. पीएम मोदी का निर्देश कि क्रीमी लेयर नहीं होनी चाहिए, सही है. हालांकि, 76 साल बाद भी समाज में कुछ लोग हाशिए पर हैं. उनके लिए प्रावधान होना चाहिए." उन्होंने आगे कहा कि इसमें पुनर्विचार नहीं समीक्षा होनी चाहिए.
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