नौकरी में आरक्षण का मामला: SC की टिप्पणी से असहमत LJP ने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की, कल संसद में उठेगा मामला
साल 2018 में एससी एसटी कानून में बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद बड़ा बवाल हुआ था. उस साल मार्च के महीने में इस मुद्दे पर बुलाए गए भारत बंद के दौरान हिंसा में कुछ लोग मारे भी गए थे. बाद में सरकार ने क़ानून बनाकर कोर्ट के फ़ैसले को पलट दिया था.
नई दिल्ली: मोदी सरकार के दरवाज़े पर बैठे बिठाए एक नई मुसीबत ने दस्तक दे दी है. एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा सांसद चिराग पासवान ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश को पलटने की मांग की है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि सरकारी नौकरियों की नियुक्ति में आरक्षण देने के लिए सरकारें बाध्य नहीं हैं. कोर्ट ने ये भी कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण किसी का मूल अधिकार नहीं हो सकता है. चिराग पासवान ने कोर्ट के इस फ़ैसले पर असहमति जताते हुए सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है. पासवान ने मांग की है कि सरकार कोर्ट के फ़ैसले को पलटकर आरक्षण की व्यवस्था पहले की तरह ही बरक़रार रखे.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 फ़रवरी 2020 को दिए गए निर्णय जिसमें उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को सरकारी नौकरी/पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है।
— Chirag Paswan (@ichiragpaswan) February 9, 2020
सोमवार को चिराग संसद में उठाएंगे मामला सोमवार को ये मामला संसद में भी उठने की संभावना है. सूत्रों के मुताबिक़ चिराग पासवान मामले को लोकसभा में उठा सकते हैं. चिराग इसे शून्यकाल के दौरान सदन में उठाएंगे. हालांकि मामले की राजनीतिक अहमियत को देखते हुए कहना मुश्किल नहीं है कि चिराग को विपक्ष समेत कई दलों का समर्थन मिलेगा जिससे इस मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में बवाल होना तय है.
रामविलास पासवान ने बुलाई एससी एसटी सांसदों की बैठक उधर एलजेपी के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने सोमवार रात को ही संसद के दोनों सदनों के एससी एसटी सांसदों को एक मिलन समारोह के लिए बुलाया है . इनमें सभी दलों के सांसद शामिल होंगे . माना जा रहा है कि इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट के ताजा फ़ैसले पर भी चर्चा होगी .
2018 में भी हुआ था बवाल 2018 में एससी एसटी कानून में बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद बड़ा बवाल हुआ था. उस साल मार्च के महीने में इस मुद्दे पर बुलाए गए भारत बंद के दौरान हिंसा में कुछ लोग मारे भी गए थे. बाद में सरकार ने क़ानून बनाकर कोर्ट के फ़ैसले को पलट दिया था. माना जाता है कि मोदी सरकार के क़दम से उस साल के अंत में हुए मध्य प्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अगड़ी जातियों की नाराज़गी झेलनी पड़ी और इसका सियासी नुकसान भी पार्टी को अपनी सरकार गंवाकर उठाना पड़ा.
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