पटना: बिहार में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पहले जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने फॉर्मूला दिया था जिसे रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी ने नकार दिया है. लोक जनशक्ति पार्टी के नेता और रामविलास पासवान के सांसद भाई पशुपति पारस ने कहा कि लोकसभा चुनाव के आधार पर सीटों का बंटवारा हो. पटना में पत्रकारों से बात करते हुए पशुपति पारस ने पहले सीटों के तालमेल पर अपनी दावेदारी पेश की. पारस ने कहा कि "लोकसभा चुनाव में जो सीट बंटवारे में हिस्सेदारी का हिस्सा था उसी तरह विधानसभा चुनाव में भी होना चाहिए. ये मैं शीर्ष नेताओं से आग्रह करूंगा कि आपसी मतभेद भुलाकर लोकसभा चुनाव की तरह हिस्सेदारी हो वैसे ही रिज़ल्ट आए.


उन्होंने कहा कि हमारी बराबरी की हिस्सेदारी है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जबकि एलजेपी को 7 सीटें मिली थी. एक लोकसभा में 6 विधानसभा सीटें होती हैं. पिछले बार भी विधानसभा में एलजेपी को 42 सीटें मिली थी और इस बार भी हमारी मांग यही रहेगी. उन्होंने कहा कि हमारे सैकड़ों उम्मीदवार तैयार हैं. ऐसी 119 सीटें हैं जहां पर जेडीयू और बीजेपी की सिटिंग नहीं हैं, महागठबंधन के लोग हैं. वहाँ हमारी तैयारी है. सीट शेयरिंग को लेकर जो फॉर्मूला तय किया गया था उस आधार पर एलजेपी को 7 सीटें मिली थी. हमें सफलता भी मिली है, लेकिन देशभर की जो रिपोर्टिंग आयी है उसमें एलजेपी का वोट पहले नंबर पर है.


जेडीयू और बीजेपी नेताओं के बयान को नकारते हुए पशुपति पारस ने कहा, "हमारी कोशिश और उम्मीद है एनडीए इंटैक्ट होकर चुनाव लड़े और जो लोग बयान दे रहें हैं उनका कोई मतलब नहीं है. तीनों पार्टी के अध्यक्ष का फैसला माना जाएगा. नीतीश कुमार,अमित शाह और चिराग़ पासवान जो फ़ैसला लेंगे वही सामूहिक तौर पर सर्वमान्य होगा."


फॉर्मूला नंबर एक


बता दें कि हाल ही चुनाव रणनीतिकार और जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने दो फॉर्मूला दिया था. इसमें उन्होंने कहा था कि 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी के बीच सीट बंटवारे का हवाला देकर 2020 में भी टिकट बंटवारे की बात कही है. उस वक्त जेडीयू 142 सीट पर और बीजेपी 101 सीट पर चुनाव लड़ी थी. तब एनडीए के साथ एलजेपी नहीं थी. उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में सीटों की संख्या के जगह 1:1:4 के फॉर्मूले को रखा है.


फॉर्मूला नंबर दो


अगर एक सीट पर बीजेपी चुनाव लड़ती है तो 1.4 सीट पर जेडीयू लड़ेगी यानी लगभग डेढ़ गुना सीट. इस लिहाज से देखें तो यह 2010 के फॉर्मूले से मैच करता है यानी तब जेडीयू 142 सीट और बीजेपी 101 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. प्रशांत किशोर ने अपने बयान में कहा था कि अगर 2010 के फॉर्मूले पर किसी को एतराज है तो 2015 के विधानसभा चुनाव परिणाम के हिसाब से टिकट का बंटवारा हो.


2015 में जेडीयू ने 71 सीटों और बीजेपी ने 53 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस फॉर्मूले से भी लगभग 1:1:3 अनुपात होता है. यानी बीजेपी एक सीट पर चुनाव लड़ती है तो जेडीयू लगभग 1.3 सीट पर चुनाव लड़ेगी. एलजेपी पर प्रशांत किशोर ने कहा था कि बीजेपी और जेडीयू अपने खाते से एलजेपी को सीट दे.