Bihar Election 2020: राम विलास पासवान की पार्टी एलजेपी नीतीश के साथ चुनाव लड़ेगी या नहीं, आज अहम बैठक
राम विलास पासवान की पार्टी एलजेपी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाले जनता दल (यूनाइटेड) बीते कुछ महीनों से एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं.
नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) अपने बिहार के नेताओं के साथ सोमवार को एक महत्वपूर्ण बैठक कर रही है जिसमें यह तय किया जाएगा कि आगामी राज्य विधानसभा चुनाव जद(यू) के खिलाफ लड़ा जाए या नहीं. हाल के समय में बिहार में सत्ताधारी राजग के दोनों घटक दलों में रिश्ते बिगड़े हैं.
बैठक की पूर्व संध्या पर एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने जद(यू) अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर फिर निशाना साधते हुए कहा कि मारे गए अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के लोगों के परिजन को सरकारी नौकरी देने का उनका फैसला “और कुछ नहीं, बल्कि चुनाव संबंधी घोषणा” है.
बिहार के मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में उन्होंने कुमार पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों से पूर्व में किये गए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया. इन वादों में उन्हें तीन डिसमिल जमीन दिये जाने का भी जिक्र था. एलजेपी अध्यक्ष ने कहा, “नीतीश कुमार की सरकार अगर गंभीर थी”, तो समुदाय के उन सभी लोगों के परिवार के एक सदस्य को नौकरी देनी चाहिए थी, जो उनके 15 साल के शासन के दौरान मारे गए.’’
बीते कुछ महीनों से एक-दूसरे पर निशाना साध रही JDU-LJP राम विलास पासवान की पार्टी एलजेपी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाले जनता दल (यूनाइटेड) बीते कुछ महीनों से एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं. कुमार के पूर्व मुख्यमंत्री और दलित नेता जीतन राम मांझी से हाथ मिलाने के बाद दोनों दलों के रिश्तों में खटास और बढ़ गई है. मांझी एलजेपी पर निशाना साधते रहे हैं. कुमार पर निशाना साधने के दौरान चिराग पासवान भाजपा पर निशाना साधने से बचते हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना भी करते हैं.
केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की पार्टी की कमान अब उनके बेटे चिराग पासवान संभाल रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि पार्टी के पास एक विकल्प यह है कि वह केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग का हिस्सा बनी रहे लेकिन राज्य में उससे अलग होकर चुनाव लड़े जबकि भगवा दल के खिलाफ उम्मीदवार न उतारे.
एलजेपी फरवरी 2005 में हुए बिहार विधानसभा के चुनावों में राजद के खिलाफ चुनाव लड़ी थी जबकि दोनों क्षेत्रीय दल केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार का हिस्सा थे. एलजेपी ने कांग्रेस से अपना गठबंधन बरकरार रखते हुए राजद के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे.
इसकी वजह से राज्य में किसी को भी बहुमत नहीं मिला जिससे लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद का 15 साल का शासन बिहार में खत्म हुआ और कुछ महीनों बाद एक अन्य विधानसभा चुनाव हुआ जिसमें नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला जेडीयू और भाजपा गठबंधन बहुमत के साथ सत्ता में आया.
एलजेपी औ जेडीयू के रिश्तों में दिख रही खटास भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा समेत तमाम पार्टी नेता राजग के तीनों घटकों के साथ मिलकर आगामी चुनाव लड़ने पर जोर दे रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि असहजता का भाव आ रहा है क्योंकि नीतीश कुमार राजद के नेताओं को अपने पाले में करने की कोशिश करके और मांझी से गठजोड़ कर अपनी स्थिति को मजबूत कर रहे हैं.
जेडीयू ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह एलजेपी के साथ सीटों की साझेदारी को लेकर कोई बात नहीं करेगी क्योंकि उसके संबंध परंपरागत रूप से भाजपा के साथ हैं. निर्वाचन आयोग के जल्द ही बिहार विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा करने की उम्मीद है. प्रदेश में विधानसभा की 243 सीटों पर अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने की उम्मीद है.
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