Premature Delivery: राजधानी दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में एक प्रीमेच्योर बच्ची को मृत बोल कर उसके परिजनों को सौंप दिया गया. प्रेगनेंसी में कुछ कॉम्प्लिकेशन होने की वजह से बच्ची का जन्म प्रीमेच्योर डिलीवरी में साढ़े छह महीने में करवाई गई. लेकिन जब परिजन बच्ची के शव को लेकर घर पहुंचे और बंद डिब्बे को अंतिम संस्कार के लिए खोला तो बच्ची जीवित मिली और सांस ले रही थी.
अस्पताल ने मृत बोलकर दे दिया
बच्ची के पिता का कहना है कि "हमें बच्ची को दिखाया भी नहीं गया. मृत बोलकर दे दिया गया, अंतिम संस्कार के लिए जब हम उसे ले जाने वाले थे तो पता चला वह जिंदा है. हम उसे आनन-फानन में लेकर अस्पताल वापस आए जहां ये हमें कोई मदद नहीं कर रहे हैं. बच्ची को रखना भी नहीं चाहते, वेंटिलेटर की जरूरत है क्योंकि मेरी बच्ची का जन्म साढ़े छह महीने में ही हो गया, लेकिन यहां कोई कुछ मदद नहीं कर रहा है."
मुझे डिब्बा देकर भेज दिया
बच्ची की बुआ रुकसाना कहती हैं, "बच्ची की मां रुखसार है उनको अचानक दर्द उठा और हम उसे लेकर अस्पताल आए, जहां डॉक्टर ने बताया कि अंदर कुछ कॉम्प्लिकेशन होने की वजह से पानी और खून अलग नहीं हो पा रहा है. डॉक्टर ने यह कह कर इसलिए बच्चे की डिलीवरी कर दी. नॉर्मल डिलीवरी से बच्ची का जन्म हुआ, मैंने कहा मुझे बच्ची दिखला दीजिए लेकिन उन्होंने कहा कि बच्चा मरा हुआ हुआ है और मुझे डिब्बा देकर भेज दिया."
अस्पताल के एमडी का बयान
एलएनजेपी अस्पताल के एमडी डॉक्टर सुरेश कुमार ने इस मामले पर कहा, "कल एक प्री-टर्म डिलीवरी हुई जिसमें हमारे अस्पताल में एक गर्भस्थ भ्रूण जो 23 हफ्ते का था पैदा हुआ. भ्रूण में कोई हलचल नहीं थी, बाद में स्त्री रोग टीम ने हमें बताया कि भ्रूण में हलचल थी इसलिए हमने उसे वेंटिलेटर सपोर्ट में रखा है."
उन्होंने आगे कहा, विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम इस बच्चे का इलाज कर रही है. हमने इस घटना की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं. हमें 24 घंटे में विस्तृत रिपोर्ट मिल जाएगी. मामले में अभी तक कोई पुलिस शिकायत दर्ज नहीं की गई है.
बच्चे के चाचा नाम सलीम है, उन्होंने कहा कि मैं अपनी भतीजी की कब्र का सारा सामान ले आया था. बाद में पता चला मेरी भतीजी जिंदा है. हम चाहते हैं कि हमें न्याय मिले और मेरी भतीजी को वेंटिलेटर में रखा जाए, जब तक वह ठीक ना हो जाए. डॉक्टर हमें पूरा सहयोग करें, लेकिन डॉक्टर सहयोग नहीं कर रहे, हम न्याय की उम्मीद करते हैं.
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