नई दिल्लीः कोरोना महामारी की वजह से पैदा आर्थिक दिक्कतों के मद्देनजर सरकार ने सभी बैंकों और लोन देने वाली संस्थाओं से कहा था कि वे मोरेटोरियम पीरियड के दौरान बकाया EMI पर ग्राहकों से इंटरेस्ट न लें. RBI के निर्देश के अनुसार 5 नवंबर तक छह महीने के मोरेटोरियम पीरियड के लिए ब्याज पर ब्याज पर माफी योजना को लागू किया गया था.


जिस पर 5 नवंबर तक सभी ग्राहकों से 'ब्याज पर ब्याज' का श्रेय देने के लिए बैंकों और अन्य संबंधित वित्तीय संस्थानों ने 2 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि आवश्यक कदम उठाए जाएं. वहीं सॉलिसीटर जनरल के दूसरे मामले में व्यस्त रहने के चलते आज सुनवाई नहीं हो सकी है. अगली सुनवाई 18 नवंबर को होनी है.





लोन मोरेटोरियम मामले में छोटे खाताधारकों के लिए याचिका करने वाले वकील ने केंद्र और RBI के जवाब पर संतोष जताया है. उन्होंने SC से सुनवाई बंद करने की प्रार्थना की है. सरकार ने SC को बताया है कि 2 करोड़ तक के लोन पर चक्रवृद्धि ब्याज नहीं लिया जाएगा. इसके साथ ही जिनसे ज़्यादा ब्याज लिया गया है, उनके पैसे लौटाए जाएंगे.


वहीं सॉलिसीटर जनरल के दूसरे मामले में व्यस्त रहने के चलते आज सुनवाई नहीं हो सकी. वहीं अगली सुनवाई में SC अलग-अलग उद्योगों की मांग पर सुनवाई करेगा. उनका कहना है कि उनके लोन को भी रीस्ट्रक्चर किया जाना चाहिए. वहीं इस मामले में 18 नवंबर को अगली सुनवाई होगी.


बता दें कि कोरोना महामारी की वजह से पैदा आर्थिक संकट के कारण सरकार ने यह योजना ऐसे लोन ग्राहकों के लिए शुरू की थी, जो कोरोना काल में आय की कमी या नौकरी जाने की वजह से EMI नहीं दे पा रहे थे. रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों और एनबीएफसी से कहा थी कि वे दो करोड़ रुपये तक के लोन पर छह महीने के मोरेटोरियम पीरियड के लिए ब्याज पर ब्याज पर माफी योजना को पांच नवंबर तक लागू कर दें. इसके तहत दो करोड़ रुपये तक के कर्ज के ब्याज पर ब्याज को एक मार्च, 2020 से छह महीने के लिए माफ किया जाएगा.


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